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'''नर्गिस''' [[हिन्दी सिनेमा]] की प्रसिद्ध अभिनेत्रियों में शामिल थीं। मशहूर गायिका जद्दनबाई उनकी माता थीं। नर्गिस ने सिर्फ छह साल की उम्र में फ़िल्म 'तलाशे हक़' (1935) से अभिनय की शुरुआत कर दी थी। | |||
==राजकपूर की आवारा के लिए छोड़ी महबूब ख़ान की आन== | |||
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नर्गिस से सम्बंधित संस्मरण
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पूरा नाम | फ़ातिमा रशीद |
प्रसिद्ध नाम | नर्गिस |
जन्म | 1 जून, 1929 |
जन्म भूमि | कलकत्ता, पश्चिम बंगाल |
मृत्यु | 3 मई, 1981 |
मृत्यु स्थान | मुम्बई, महाराष्ट्र |
अभिभावक | उत्तमचन्द मोहनचन्द और जद्दनबाई |
पति/पत्नी | सुनील दत्त |
संतान | संजय दत्त, नम्रता दत्त, प्रिया दत्त |
कर्म भूमि | मुम्बई |
कर्म-क्षेत्र | अभिनेत्री |
मुख्य फ़िल्में | मदर इंडिया, आवारा, श्री 420, बरसात, अंदाज, लाजवंती, जोगन परदेशी, रात और दिन |
पुरस्कार-उपाधि | पद्मश्री, राष्ट्रीय पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री (रात और दिन) |
प्रसिद्धि | फ़िल्म 'मदर इंडिया' में राधा की भूमिका |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | अभिनय से अलग होने के बाद नर्गिस सामाजिक कार्यो में संलग्न रहीं और पति सुनील दत्त के साथ अजंता आर्ट्स कल्चरल ट्रूप की स्थापना की। |
नर्गिस हिन्दी सिनेमा की प्रसिद्ध अभिनेत्रियों में शामिल थीं। मशहूर गायिका जद्दनबाई उनकी माता थीं। नर्गिस ने सिर्फ छह साल की उम्र में फ़िल्म 'तलाशे हक़' (1935) से अभिनय की शुरुआत कर दी थी।
राजकपूर की आवारा के लिए छोड़ी महबूब ख़ान की आन
हिन्दी सिनेमा में अभिनेत्री नर्गिस को महबूब ख़ान ने फ़िल्म 'तकदीर' से लॉन्च किया था। इसके बाद महबूब ख़ान की फ़िल्मों का नर्गिस अहम हिस्सा होने लगी थी। 'अंदाज़' फ़िल्म की कामयाबी के बाद नर्गिस को लेकर महबूब ख़ान ने ऐतिहासिक 'मदर इंडिया' भी बनाई। महबूब ख़ान की पहली पसंद नर्गिस ही थी। तभी तो जब दिलीप कुमार को लेकर महबूब ख़ान 'आन' बनाने लगे तब भी नर्गिस को ही अभिनेत्री साइन किया और फ़िल्म की शूटिंग शुरू कर दी। कुछ ही दिनों के बाद नर्गिस के रवैये में काफ़ी बदलाव आ गया था। नर्गिस सेट पर देर से आने लगी थीं और कभी कभी तो आती ही नहीं थी। ऐसे में महबूब ख़ान का काफी नुकसान हो रहा था। परेशान होकर एक दिन महबूब ख़ान ने नर्गिस से पूछ ही लिया कि आख़िर आप लगातार देर से क्यों आ रही हैं। तब नर्गिस ने कहा कि दरअसल मैं राजकपूर के साथ फ़िल्म 'आवारा' की शूटिंग भी कर रही हूं। इसलिए देर से आती हूं। तब महबूब ख़ान ने कहा कि आपको या तो हमारी फ़िल्म चुननी होगी या फिर राजकपूर की। दोनों साथ में आप नहीं कर सकतीं। नर्गिस ने ऐसे में फ़िल्म 'आवारा' चुनी और महबूब ख़ान की फ़िल्म 'आन' को छोड़ दिया। उन्होंने भी नर्गिस के बदले में फ़रहत एज़ेकेल नादिरा को साइन किया, जो नादिरा के नाम से मशहूर हुईं। सौभाग्य की बात ये थी कि दोनों ही फ़िल्मों को दर्शकों ने पसंद किया। नर्गिस के इस तरह के व्यवहार के बाद महबूब ख़ान ने फिर कभी नर्गिस को साइन नहीं किया।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 'आवारा' की वजह से नरगिस ने छोड़ी थी महबूब ख़ान की 'आन' (हिंदी) www.lehren.com। अभिगमन तिथि: 05 जुलाई, 2017।