"अहिर्बुध्न्य संहिता": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replacement - "विद्वान " to "विद्वान् ") |
No edit summary |
||
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 7: | पंक्ति 7: | ||
*इसमें भेदाभेदवाद का भी पर्याप्त व्याख्यान है। इसी आधार पर कुछ विद्वान् रामानुज दर्शन की भूमिका के लिए पाँचरात्र दर्शन को महत्वपूर्ण मानते हैं।<ref>{{cite web |url=http://bharatkhoj.org/india/%E0%A4%85%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AC%E0%A5%81%E0%A4%A7%E0%A5%8D%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%AF_%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%BE |title=अहिर्बुध्न्य संहिता|accessmonthday=10 नवंबर |accessyear=2016 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=भारतखोज |language= हिंदी}}</ref> | *इसमें भेदाभेदवाद का भी पर्याप्त व्याख्यान है। इसी आधार पर कुछ विद्वान् रामानुज दर्शन की भूमिका के लिए पाँचरात्र दर्शन को महत्वपूर्ण मानते हैं।<ref>{{cite web |url=http://bharatkhoj.org/india/%E0%A4%85%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AC%E0%A5%81%E0%A4%A7%E0%A5%8D%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%AF_%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%BE |title=अहिर्बुध्न्य संहिता|accessmonthday=10 नवंबर |accessyear=2016 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=भारतखोज |language= हिंदी}}</ref> | ||
{{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
[[Category: | [[Category:प्राचीन महाकाव्य]][[Category:साहित्य कोश]][[Category:महाकाव्य]][[Category:पद्य साहित्य]][[Category:हिन्दू धर्म ग्रंथ]][[Category:पौराणिक कोश]] | ||
[[Category:हिन्दी विश्वकोश]] | [[Category:हिन्दी विश्वकोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
06:34, 9 जून 2018 के समय का अवतरण
अहिर्बुध्न्य संहिता पाँचरात्र साहित्य का एक अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रंथ है। विष्णु भक्ति का जो दार्शनिक अथवा वैचारिक पक्ष है, उसी का एक प्राचीन नाम पाँचरात्र भी है। परमतत्व, मुक्ति, भुक्ति, योग तथा विषय (संसार) का विवेचन होने के कारण इस साहित्य का यह नामकरण किया गया है। नारद पाँचरात्र और इस संहिता में उक्त नामकरण का यही अर्थ बतलाया गया है।
- पाँचरात्र साहित्य का रचनाकाल सामान्यतया ईसापूर्व चतुर्थ शती से ईसोत्तर चतुर्थ शती के बीच माना जाता है।
- पाँचरात्र संहिताओं की संख्या लगभग 215 बतलाई जाती है, जिनमें अब तक लगभग 16 संहिताओं का प्रकाशन हुआ है।
- अहिर्बुध्न्य संहिता का प्रकाशन 1916 ई. के दौरान तीन खंडों में हुआ था।
- इसमें आठ अध्याय हैं, जिनमें ज्ञान, योग, क्रिया, चर्या तथा वैष्णवों के सामान्य आचारपक्ष के प्रामाणिक विवेचन के साथ-साथ वैष्णव दर्शन के आध्यात्मिक प्रमेयों की भी प्रामाणिक व्याख्या दी गई है। अन्य अनेक संहिताओं से इसकी विशेषता यह है कि इसमें तांत्रिक ग्रंथों की तरह ही तांत्रिक योग का भी सांगोपांग विवेचन किया गया है, यद्यपि भक्ति की महिमा यहाँ कम नहीं है।
- इसमें भेदाभेदवाद का भी पर्याप्त व्याख्यान है। इसी आधार पर कुछ विद्वान् रामानुज दर्शन की भूमिका के लिए पाँचरात्र दर्शन को महत्वपूर्ण मानते हैं।[1]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ अहिर्बुध्न्य संहिता (हिंदी) भारतखोज। अभिगमन तिथि: 10 नवंबर, 2016।