"पहेली 2 अक्टूबर 2017": अवतरणों में अंतर

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||[[चित्र:Narmad.jpg|right|border|100px|तीर्थंकर]]'तीर्थंकर' शब्द का [[जैन धर्म]] में बड़ा ही महत्त्व है। 'तीर्थ' का अर्थ है, जिसके द्वारा संसार समुद्र तरा जाए, पार किया जाए और वह अहिंसा धर्म है। जैन धर्म में उन 'जिनों' एवं महात्माओं को [[तीर्थंकर]] कहा गया है, जिन्होंने प्रवर्तन किया, उपदेश दिया और असंख्य जीवों को इस संसार से 'तार' दिया। जैन धर्म में 24 तीर्थंकर माने गए हैं। इन 24 तीर्थंकरों ने अपने-अपने समय में धर्ममार्ग से च्युत हो रहे जन-समुदाय को संबोधित किया और उसे धर्ममार्ग में लगाया। इसी से इन्हें धर्ममार्ग और मोक्षमार्ग का नेता तीर्थ प्रवर्त्तक '[[तीर्थंकर]]' कहा गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[तीर्थंकर]]
||[[चित्र:Seated-Jain-Tirthankara-Jain-Museum-Mathura-3.jpg|right|border|100px|आसनस्थ जैन तीर्थंकर]]'तीर्थंकर' शब्द का [[जैन धर्म]] में बड़ा ही महत्त्व है। 'तीर्थ' का अर्थ है, जिसके द्वारा संसार समुद्र तरा जाए, पार किया जाए और वह अहिंसा धर्म है। जैन धर्म में उन 'जिनों' एवं महात्माओं को [[तीर्थंकर]] कहा गया है, जिन्होंने प्रवर्तन किया, उपदेश दिया और असंख्य जीवों को इस संसार से 'तार' दिया। जैन धर्म में 24 तीर्थंकर माने गए हैं। इन 24 तीर्थंकरों ने अपने-अपने समय में धर्ममार्ग से च्युत हो रहे जन-समुदाय को संबोधित किया और उसे धर्ममार्ग में लगाया। इसी से इन्हें धर्ममार्ग और मोक्षमार्ग का नेता तीर्थ प्रवर्त्तक '[[तीर्थंकर]]' कहा गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[तीर्थंकर]]
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