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डॉ. सत्यपाल
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{[[महाभारत]] में [[कीचक वध]] किस पर्व के अंतर्गत आता है?
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+[[विराट पर्व महाभारत|विराट पर्व]]
-[[अनुशासन पर्व महाभारत|अनुशासन पर्व]]
-[[आदि पर्व महाभारत |आदि पर्व]]
-[[वन पर्व महाभारत|वन पर्व]]
||[[विराट पर्व महाभारत|विराट पर्व]] में [[अज्ञातवास]] की अवधि में [[विराट नगर]] में रहने के लिए गुप्तमन्त्रणा, धौम्य द्वारा उचित आचरण का निर्देश, [[युधिष्ठिर]] द्वारा भावी कार्यक्रम का निर्देश, विभिन्न नाम और रूप से विराट के यहाँ निवास, [[भीमसेन]] द्वारा जीमूत नामक मल्ल तथा [[कीचक]] और उपकीचकों का वध, [[दुर्योधन]] के गुप्तचरों द्वारा [[पाण्डव|पाण्डवों]] की खोज तथा लौटकर [[कीचक वध]] की जानकारी देना, त्रिगर्तों और [[कौरव|कौरवों]]  द्वारा [[मत्स्य]] देश पर आक्रमण, कौरवों द्वारा [[विराट]] की गायों  का हरण, पाण्डवों का कौरव-सेना से युद्ध, [[अर्जुन]] द्वारा विशेष रूप से युद्ध और कौरवों की पराजय, अर्जुन और कुमार उत्तर का लौटकर विराट की सभा में  आना, विराट का युधिष्ठिरादि पाण्डवों से परिचय तथा अर्जुन द्वारा [[उत्तरा]] को पुत्रवधू के रूप में स्वीकार करना वर्णित है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[विराट पर्व महाभारत]], [[कीचक वध]]


{[[महाभारत]] युद्ध में कौन-से दिन [[श्रीकृष्ण]] ने [[शस्त्र]] न उठाने की अपनी प्रतिज्ञा को तोड़ा?
|type="()"}
-[[महाभारत युद्ध आठवाँ दिन|आठवें दिन]]
-[[महाभारत युद्ध दसवाँ दिन|दसवें दिन]]
-[[महाभारत युद्ध ग्यारहवाँ दिन|ग्यारहवें दिन]]
+[[महाभारत युद्ध नौवाँ दिन|नौवें दिन]]
||[[महाभारत युद्ध नौवाँ दिन|नौवें दिन]] के युद्ध में [[भीष्म]] के [[बाण अस्त्र|बाणों]] से [[अर्जुन]] घायल हो गए। भीष्म की भीषण बाण-वर्षा से [[कृष्ण|श्रीकृष्ण]] के अंग भी जर्जर हो गए। तब श्रीकृष्ण अपनी प्रतिज्ञा भूलकर रथ का एक चक्र उठाकर भीष्म को मारने के लिए दौड़े। अर्जुन भी रथ से कूदे और कृष्ण के पैरों से लिपट पड़े। वे श्रीकृष्ण को अपनी प्रतिज्ञा का स्मरण दिलाते हैं कि वे युद्ध में [[अस्त्र शस्त्र|अस्त्र-शस्त्र]] नहीं उठायेंगे।


टी.पी इलिस के न्यायालय द्वारा सैंट्रल समरी कोर्ट में न्याय का पक्ष प्रस्तुत किया गया तथा उनके विरुद्ध 18 अपराध लगाकर उन्हें अपराधी घोषित किया गया। जो अपराध उन पर लगाए गए वे निम्नवत थे-
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#5 फरवरी 1919 को रौलेट बिल के विरुद्ध आक्रामक भाषण।
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#आपके भाषण द्वारा 5 फरवरी 1919 को प्लेटफार्म टिकिट जनता में शासन के प्रति रोष उत्पन्न किया गया।
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#आपके द्वारा 12 जनवरी 1919 को मि. वेनिट को पत्र लिखा गया जिसमें कहा गया कि शहर के अंदर जो-जो आंदोलन एवं असंतोष है उसके आप मुख्य गवाह हैं और इस तरह की गवाही आपने पहले कभी नहीं देखी, सुनी होगी।
#11 फरवरी 1919 को जो दूसरी मीटिंग हुई उसमें आप स्वयं वक्ता थे जो अपने भाषण में सरकार के प्रति जहर उगल रहे थे।
#17 फरवरी 1919 को ट्रेफिक मैंनेजर एन. डब्लु. रेलवे को धमकी भरा पत्र लिखा जिसमें आपने असंतोष एवं हड़ताल की बात कही। इस पत्र को 20 फरवरी 1919 को प्रकाशित किया गया।
#22 फरवरी 1919 को मौहम्मडॅन एजुकेशन मीटिंग में शासन के प्रति अप्रिय भाषा का प्रयोग किया।
#ग्रेन सोप में 26 फरवरी 1919 को जो मीटिंग की उसमें विरोध की कोई बात नहीं कही गई लेकिन किचलू को शक्ति प्रदान करने का प्रयास किया गया।
#28 फरवरी 1919 को रोलेट बिल के विरुद्ध भाषण किया जिससे जनता में सरकार के प्रति नाराजगी उतपन्न हुई।
#28 मार्च 1919 को जो भाषण दिए वे बहुत ही गम्भीर थे। शासन को चेतावनी थी तथा 31 मार्च 1919 को शासन के समक्ष गम्भीर संकट उत्पन्न करने को कहा।
#23 मार्च 1919 को म्युनिसिपल कमेटी की चेयरमैन के प्रति विरोध प्रकट किया।
#29 मार्च 1919 को जो मीटिंग बुलाई गई वह आपके द्वारा प्रायोजित थी तथा आप ही उसके वक्ता थे। आपने अपने भाषण में जनता को शासन के विरुद्ध उकसारा।
#30 मार्च 1919 को जो मीटिंग शासन के विरुद्ध बुलाई गई वह भी आप द्वारा प्रायोजित थी।
#'प्रताप' अखबार में जो लेख आप द्वारा प्रस्तुत किया गया उसके आधार पर आपको राजद्रोह से सबंधित किया जाता है।
#अनेकों मीटिंग 31 मार्च 1919 से 10 अप्रॅल 1919 के बीच की जिनका उद्देश्य शासन के समक्ष कठिनाई उत्पन्न करना, यूरोपियन के बंगले में आग लगाना, यूरोपियन का कत्ल करना, ब्रिटिश सामान का परित्याग करना तथा झूठी अफवाह फैलाना आदि शामिल था। ये सभी मीटिंग सेफुद्दीन किचलू के घर पर की गई।
#एनी बैसेंट द्वारा समर्थित होम सूल के सम्बंध में सत्याग्रह करने हेतु सेफुद्दीन किचलू के घर मीटिंग में उपस्थित थे।
#8 अप्रॅल 1919 को रामनवमी के दौरान मीटिंग करने की घोषणा की।
#9 अप्रॅल 1919 को रामनवमी के जलूस में एकत्रित हे, मिठाई बाँटी तथा गुरु बाज़ार मे जाकर आगे के कार्यक्रम पर विचार विमर्श किया।
#10 अप्रॅल 1919 को जब शहर से बाहर किए गए तब जनता को भड़काया तथा बदला लेने के लिए प्रेरित किया।
डॉ. सत्यपाल का निम्नलिखित धाराओं के अंतर्गत चालान किया गया।
121A-121, 121A, 336, 146,436, 326, 506, 426/120B 124A, 147 456, 302/100 506
 
टी. पी इलिस की अदालत ने केस की समरी बनाकर तैयार किया। समरी कोर्ट ने डॉ. सत्यपाल तथा डॉ. किचलू को 10 अप्रॅल 1919 को शासन के विरुद्ध युद्ध छेड़ाने के लिस ज़िम्मेदार ठहराता। अत: दोनों को 10 अप्रॅल 1919 को सुबह 10 बजे धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश) भेज किया जिससे अमृतसर में अमन शांति रह सके। यह सूचना कि डॉ. सत्यपाल तथा डॉ. किचलू को अमृतसर से बाहर आज्ञात स्थान पर सरकार ने भेज दिया है आग की तरह पूरे शहर में फैल गयी। और थोड़े ही समय में लोगों का समूह इकट्ठा होकर डिप्टी कमिश्नर के बंगले की तरफ बढ़ने लगा। जनता की माँग थी कि दोनों नेताओं क रिहा करो।
 
सरकारी रिपोर्ट के अनुसार रेलवे फुट ब्रिज पर आंदोलनकारियों को सिपाहियों द्वारा रोका गया और उनकी जाँच की गई। लेकिन आंदोलनकारियों ने इन सिपाहियों पर पत्थर से हमला करना शुरू कर दिया और उन्हें 100 गज पीछे धकेल दिया। उसी समय मिस्टर कूनर एडिसनल डिस्ट्रिक्ट मजेस्ट्रेट आन्दोलनकारियों के समक्ष अपनी पुलिस की टुकड़ी लेकर प्रकट हुआ। उसने आन्दोलनकारियों को रोकने के आदेश दिए लेकिन असफल रहा। तभी उसने गोली चलाने के आदेश पारित किए। गोली चलने पर आन्दोलनकारी आगे बढ़्ने से रुक गए। इसके बाद डिप्टी सुपरिंटेंडेंट मिस्टर प्लोमर अपनी पुलिस के दल-बल के साथ पहुचा। आन्दोलनकारियों  के दूसरे समूह ने रेलवे गुड्स रोड पर आक्रमण किया और स्टेशन सुपरिंटेंडेंट मि. बेनीट की हत्या कर दी। सारजेंट रालैंडस जो केंटोमेंट में इलैक्ट्रीसीयन था, उसकी बुरी तरह पिटाई की जो बाद में मर गया। उसके बाद आन्दोलनकारियों ने टेलीग्राफ ऑफिस पर आक्रमण कर दिया। आन्दोलनकारियों  का दूसरा समूह रेलवे रोड ब्रिज की ओर बढ़ रहा था तथा डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट पर गोली चलाने का दबाव बढ़ता जा रहा था। शहर में नेशनल बैंक को लूट लिया गया तथा आग लगा की गई। मिस-स्टेबार्ट तथा स्काट की हत्या कर दी गई। दूसरेबैंक पर भी हमला किया गया जहाँ थोम्पसन की हत्या कर की गई, चार्टर्ड बैंक पर भी हमला किया गया। रिलिजीयस बुक सोसाइटी बुक डिपो, टाउनहाल तथा भारतीय क्रिश्चीयन चर्च में आग लगा दी गई। 'नॉर्मल गर्ल्स' स्कूल तथा जनता अस्पताल पर आक्रमण किया गया। लेडी डॉक्टर रेडसन बड़ी मुश्किल से बच पाई। मिस शेर वुड को बुरे तरीके से पीटा गया जब तक कि वह मर नहीं गई।
 
सरकार ने निर्णय लिया कि यह शासन के विरुद्ध युद्ध छेड़ने के बराबर है और यह सब डॉ. सत्यपाल के कारण 10 अप्रैल 1919 को हुआ अत: डॉ. सत्यपाल ही इस काण्ड के जिम्मेदार हैं।
 
डॉ. सत्यपाल तथा अन्य पर लगाए गए अपराध की विवेचना की गई। ऊपर लगए चार्ज 1, 2, 48, 9, 11, 12 जिसमें डॉ. सत्यपाल  को भड़कीले भाषण देने का आरोप लगाया गया। अगर उन सब पर ध्यान दिया जाए तो वे भाषण सरकार द्वारा जनता पर किए गए अन्याय के विरुद्ध थे। वे सब संवैधानिक थे। मि. हसन इमाम जो डॉ. सत्यपाल के भाषण को गैरसरकारी सदस्य होने के कारण इम्पिरीयल लेजिसलेटिव कैंसिल में तरफदारी कर रहे थे तथा रोलेट बिल पर प्रभावशाली तरीके से विरोध कर रहे थे तथा प्रत्यक्ष रूप से सरकार द्वारा प्रतिपादित रौलेट एक्ट की भर्त्सना थी। लेकिन वाइसराय महोदय ने उनके भाषण पर कोई आपत्ति नहीं की, न ही उनके भाषण क सैंसर किया और न ही मैम्बर द्वारा कथित बयान को को सदन की कार्रवाई से निकालने के आद्श दिए जिसका अर्थ था कि शासन को डॉ. सत्यपाल के भाषण से कोई आपत्ति नहीं थी। चार्ज 2, 3, 4, 5 में कहा गया कि डॉ. सत्यपाल  ने जनता को 5 फरवरी 1919 को सरका के विरुद्ध भड़काने तथा जनता को गुमराह करने का कार्य किया। उन्होंने मि. बेनेट सुपरिंटेंडेंट रेलवे को धमकी भरा पत्र लिखा। जिसको 10 अप्रैल 1919 को जनता द्वारा व्यावहारिक रूप देकर मि. बेनेट की हात्या कर दी गई।
 
आंदोलनकारी डिप्टी कमिश्नर मिलिस इसविंग के बंगले की तरफ बढ़ रहे थे और वे रेलवे स्टेशन पार कर गए थे। पहले जुलूस शांत चल रहा था लेकिन बाद में उग्र रूप धारण कर गया। जैसे ही पुलिस ने गोली चलाना शुरु किया वैसे ही जुलूस के रास्ते में जो भी आता उसे ही जनता तोड़ती-फोड़ती हुई चली गईए। इन सबका डॉ. सत्यपाल के धमकी वाले पत्र में प्लेटफार्म टिकट की घटना से कोई औचित्य नहीं था अत: मि. बेनेट की हत्या जो 10 अप्रैल 1919 को जनता द्वारा आक्रोश में की गई उससे डॉ. सत्यपाल का कोई सम्बंध नहीं था।
 
चार्ज न. 6 जो कि 22 फरवरी 1919 को डॉ. सत्यपाल पर लगाया गया कि उन्होंने मौहम्म्डॅन एजूकेशनल कॉन्फ्रेंस में जो भाषण दिया वह आपत्तिजनक था यह मीटिंग कटरा गरभा सिंह में हुई जिसकी अध्यक्षता सैयद बुधशाह ने की। उस दिन डॉ. सत्यपाल ने हिंदू-मुस्लिम एकता पर अच्छा निबंध लिखेगा। अगर सी आई डी की डायरी तलव की जाए तो उससे पता चलेगा कि डॉ. सत्यपाल, डॉ. किचलू को रजनीति पर बोलने के लिए बार-बार मना कर रहे थे। इसका अर्थ यह हुआ कि डॉ. सत्यपाल ने शिक्षण संस्थान के महत्त्व को ध्यान में रखते हुए ऐसा कुछ नहीं कहा जो शिक्षण संस्थान के सम्मान को या उसकी गरिमा को चोट पहुँचाता हो। 24 फरवरी 1919 को म्युनिसिपल कमिश्नर मियाँ मौहम्मद शरीफ के सम्मान में एक पार्टी का आयोजन किया गया जिसमें डॉ. सत्यपाल ने जो म्युनिसिपल कमैटी के सदस्य थे, हिंदू-मुस्लिम एकता पर प्रभावशाली भाषण दिया था।
 
चार्ज न. 7 अपराधी डॉ. सत्यपाल ने ग्रेन सोप पर 26 फरवरी 1919 को शासन के विरुद्ध भाषण किया, सरासर झूठ था। आश्चर्य इस बार का है कि उस भाषण को अपराध की संज्ञा में कैसे रखा गया? सी आई डी की डायरी तलब की जाए जिसमें साफ लिखा है कि डॉ. सत्यपाल ने इस मीटिंग की अध्यक्षता के लिए डिप्टी कमिश्नर से आग्रह किया कि भारतीय सुरक्षा अधिनियम के तहत जनता को सस्ता गल्ला खाने के लिए दिया जाए। इस मीटिंग में कुसी भी अवांछित व्यक्ति को नहीं बुलाया गया था।
 
चार्ज न. 8, 9, 11 में दर्शाय गया कि डॉ. सत्यपाल द्वारा 28 फरवरी 1919 तथा 28, 29 मार्च 1919 को रौलेट एक्ट के विरुद्ध जनता को भड़काऊ भाषण किया गया लेकिन अगर उनके भाषण का पूर्ण अर्थ ध्यान से पढ़ा जाए तो उन्होंने उसमें कहीं भी असंवैधानिक बार नहीं कही थी। डॉ. सत्यपाल ने उस दिन यह कहा कि रौलेट बिल पर विधान परिषद में केवल सरकारी सदस्यों ने भाग लिया जबकि गैर सरकारी सदस्यों की सहमति की आवश्यकता सरकार ने उचित नहीं समझी और यहाँ तक कि वायसराय ने भी गैस सरकारी सदस्यों के जवावदेही पर कुछ नहीं सोचा। यह एक दु:ख का विषय है इतना भर कहा था डॉ. सत्यपाल ने।-------------83

12:40, 7 जनवरी 2018 के समय का अवतरण

2 महाभारत युद्ध में कौन-से दिन श्रीकृष्ण ने शस्त्र न उठाने की अपनी प्रतिज्ञा को तोड़ा?

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ग्यारहवें दिन
नौवें दिन