"ब्लू मून": अवतरणों में अंतर
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'''ब्लू मून''' | {{सूचना बक्सा संक्षिप्त परिचय | ||
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'''ब्लू मून''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Blue Moon'') एक खगोलीय परिघटना है जो एक [[सौर वर्ष]] में 12 चंद्र माहों से कुछ अधिक दिन होने के कारण घटित होती है। [[चंद्रग्रहण]] पर पूर्ण चंद्रमा दिखेगा और जब ऐसा होता है तो चांद की निचली सतह से [[नीला रंग|नीले रंग]] की रोशनी बिखरती है। इस कारण से इसे 'ब्लू मून' भी कहा जाता है। फार्मर्स अल्मनक (''Farmer’s Almanac'') द्वारा प्रस्तुत ब्लू मून की परिभाषा को सर्वाधिक स्वीकृति प्राप्त है जिसके अनुसार, ब्लू मून एक खगोलीय मौसम में एक अतिरिक्त [[पूर्णिमा]] के अस्तित्व की घटना है। खगोलीय मौसम 1 वर्ष में चार हैं। 21 मार्च एवं 23 सितंबर (विषुवत या इक्विनॉक्स) तथा 21 जून एवं 22 दिसंबर (अयनांत या संक्रांति) इस मौसम की विभाजक तिथियां हैं। एक वर्ष में चार खगोलीय मौसम इस प्रकार होंगे- | |||
# 21 मार्च से 20 जून | |||
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# 23 सितंबर से 21 दिसंबर | |||
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प्रत्येक खंड लगभग 3 माह का है। प्रत्येक खंड में सामान्यतः 3 पूर्णिमाएं होती हैं, किंतु प्रत्येक 2.7154 वर्ष में किसी एक खंड में 3 के बजाय 4 पूर्णिमा होती हैं। 4 पूर्णिमा वाला खंड ब्लू मून परिघटना वाला खंड होगा। इस खंड की 4 पूर्णिमाओं में से तृतीय को ब्लू मून कहा जाएगा।<ref>{{cite web |url=http://www.ssgcp.com/2016/%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A4%AE%E0%A5%82%E0%A4%A8-%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%98%E0%A4%9F%E0%A4%A8%E0%A4%BE/|title=सुपरमून परिघटना |accessmonthday=30 जनवरी|accessyear=2018 |last=तिवारी |first=अम्बरीश कुमार |authorlink= |format= |publisher=सम-सामयिक घटना चक्र|language=हिंदी }}</ref> | |||
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अंग्रेज़ी भाषा के मुहावरे में ब्लू मून का प्रयोग 1946 से चलन में आया। लेकिन बरतानवी खेतिहर किसान डेढ़ सौ वर्षों से अपने पंचांग में इस घटना को महत्व देते आ रहे हैं। एक ही महीने में दूसरी बार जब पूरा चाँद उदय होता है तो उसे ब्लू मून कहते हैं। दो [[पूर्णिमा|पूर्णिमाओं]] के बीच का अंतर 29.5 दिन होता है और एक महीने की औसत लंबाई 30.5 दिन। इसलिए किसी महीने में भूले-बिसरे ही चाँद दूसरी बार आता है। फिर भी ढाई-पौने तीन वर्षों में एक बार आ ही जाता है। | [[अंग्रेज़ी भाषा]] के मुहावरे में ब्लू मून का प्रयोग 1946 से चलन में आया। लेकिन बरतानवी खेतिहर किसान डेढ़ सौ वर्षों से अपने पंचांग में इस घटना को महत्व देते आ रहे हैं। एक ही महीने में दूसरी बार जब पूरा चाँद उदय होता है तो उसे ब्लू मून कहते हैं। दो [[पूर्णिमा|पूर्णिमाओं]] के बीच का अंतर 29.5 दिन होता है और एक महीने की औसत लंबाई 30.5 दिन। इसलिए किसी महीने में भूले-बिसरे ही चाँद दूसरी बार आता है। फिर भी ढाई-पौने तीन वर्षों में एक बार आ ही जाता है। | ||
====उत्सव==== | ====उत्सव==== | ||
इस दिन माताएँ घर में ज्यादा दूध लेती हैं, दिनभर गरम करती हैं, केसर-मेवा डालती हैं और रात को छत पर ले जाकर चंद्रमा को उसका प्रसाद चढ़ाएँगी। फिर पतीला चंद्रप्रकाश में रखेंगी ताकि चंद्रकिरणों से बरसता अमृत उसमें समा जाए। घर के पालतू कुत्ते-बिल्लियाँ तो इसकी महक से दिन भर बेचैन रहते हैं और जिन बच्चों को दूध पसंद नहीं है वे इस वर्णन से भी नाक-भौं सिकोड़ेंगे लेकिन यह तो वे भी देखेंगे कि शाम का चंद्रमा ओटाए दूध की तरह हल्का पीलापन लिए था। [[शरद पूर्णिमा]] की रात छत पर केसरिया दूध की चुस्कियाँ लेते हुए घर के लोगों को ब्लू मून के बारे में बताना चाहिये।<ref>{{cite web |url=http://hindi.webdunia.com/article/general-knowledge/%E0%A4%B6%E0%A4%B0%E0%A4%A6-%E0%A4%AA%E0%A5%82%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A3%E0%A4%BF%E0%A4%AE%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A5%82-%E0%A4%AE%E0%A5%82%E0%A4%A8-107042000047_1.htm |title=शरद पूर्णिमा का 'ब्लू मून' |accessmonthday=30 जनवरी|accessyear=2018 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=वेब दुनिया|language=हिंदी }}</ref> | इस दिन माताएँ घर में ज्यादा दूध लेती हैं, दिनभर गरम करती हैं, केसर-मेवा डालती हैं और रात को छत पर ले जाकर चंद्रमा को उसका प्रसाद चढ़ाएँगी। फिर पतीला चंद्रप्रकाश में रखेंगी ताकि चंद्रकिरणों से बरसता अमृत उसमें समा जाए। घर के पालतू कुत्ते-बिल्लियाँ तो इसकी महक से दिन भर बेचैन रहते हैं और जिन बच्चों को दूध पसंद नहीं है वे इस वर्णन से भी नाक-भौं सिकोड़ेंगे लेकिन यह तो वे भी देखेंगे कि शाम का चंद्रमा ओटाए दूध की तरह हल्का पीलापन लिए था। [[शरद पूर्णिमा]] की रात छत पर केसरिया दूध की चुस्कियाँ लेते हुए घर के लोगों को ब्लू मून के बारे में बताना चाहिये। [[31 जनवरी]], [[2018]] को ब्लू मून है। अगला 'ब्लू मून' साल 2028 और 2037 में देखने को मिलेगा। एक शताब्दी में कोई 41 बार आता है। <ref>{{cite web |url=http://hindi.webdunia.com/article/general-knowledge/%E0%A4%B6%E0%A4%B0%E0%A4%A6-%E0%A4%AA%E0%A5%82%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A3%E0%A4%BF%E0%A4%AE%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A5%82-%E0%A4%AE%E0%A5%82%E0%A4%A8-107042000047_1.htm |title=शरद पूर्णिमा का 'ब्लू मून' |accessmonthday=30 जनवरी|accessyear=2018 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=वेब दुनिया|language=हिंदी }}</ref> | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
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==बाहरी कड़ियाँ== | |||
*[https://hindi.oneindia.com/news/features/total-lunar-eclipse-2018-rare-blue-moon-will-been-seen-on-january-31-440644.html 31 जनवरी को दिखेगा 'सुपर ब्लू मून', चांद का रंग होगा नारंगी, जानिए क्यों?] | |||
*[https://www.space.com/39208-super-blue-blood-moon-guide.html Super Blue Blood Moon 2018: When, Where and How to See It Wednesday] | |||
==संबंधित लेख== | |||
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11:54, 31 जनवरी 2018 के समय का अवतरण
ब्लू मून
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विवरण | ब्लू मून एक खगोलीय परिघटना है जो एक सौर वर्ष में 12 चंद्र माहों से कुछ अधिक दिन होने के कारण घटित होती है। ब्लू मून, एक खगोलीय मौसम में एक अतिरिक्त पूर्णिमा के अस्तित्व की घटना है। |
विशेष | अंग्रेज़ी भाषा के मुहावरे में ब्लू मून का प्रयोग 1946 से चलन में आया लेकिन बरतानवी खेतिहर किसान डेढ़ सौ वर्षों से अपने पंचांग में इस घटना को महत्व देते आ रहे हैं। |
ब्लू मून क्यों | चंद्रग्रहण पर पूर्ण चंद्रमा दिखेगा और जब ऐसा होता है तो चांद की निचली सतह से नीले रंग की रोशनी बिखरती है। इस कारण से इसे 'ब्लू मून' भी कहा जाता है। |
संबंधित लेख | चन्द्र ग्रहण, सुपरमून, ब्लड मून, सूर्य ग्रहण |
अन्य जानकारी | 31 जनवरी, 2018 को ब्लू मून है। अगला 'ब्लू मून' साल 2028 और 2037 में देखने को मिलेगा। एक शताब्दी में कोई 41 बार आता है। |
अद्यतन | 14:49, 31 जनवरी 2018 (IST)
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ब्लू मून (अंग्रेज़ी: Blue Moon) एक खगोलीय परिघटना है जो एक सौर वर्ष में 12 चंद्र माहों से कुछ अधिक दिन होने के कारण घटित होती है। चंद्रग्रहण पर पूर्ण चंद्रमा दिखेगा और जब ऐसा होता है तो चांद की निचली सतह से नीले रंग की रोशनी बिखरती है। इस कारण से इसे 'ब्लू मून' भी कहा जाता है। फार्मर्स अल्मनक (Farmer’s Almanac) द्वारा प्रस्तुत ब्लू मून की परिभाषा को सर्वाधिक स्वीकृति प्राप्त है जिसके अनुसार, ब्लू मून एक खगोलीय मौसम में एक अतिरिक्त पूर्णिमा के अस्तित्व की घटना है। खगोलीय मौसम 1 वर्ष में चार हैं। 21 मार्च एवं 23 सितंबर (विषुवत या इक्विनॉक्स) तथा 21 जून एवं 22 दिसंबर (अयनांत या संक्रांति) इस मौसम की विभाजक तिथियां हैं। एक वर्ष में चार खगोलीय मौसम इस प्रकार होंगे-
- 21 मार्च से 20 जून
- 21 जून से 22 सितंबर
- 23 सितंबर से 21 दिसंबर
- 22 दिसंबर से 22 मार्च।
प्रत्येक खंड लगभग 3 माह का है। प्रत्येक खंड में सामान्यतः 3 पूर्णिमाएं होती हैं, किंतु प्रत्येक 2.7154 वर्ष में किसी एक खंड में 3 के बजाय 4 पूर्णिमा होती हैं। 4 पूर्णिमा वाला खंड ब्लू मून परिघटना वाला खंड होगा। इस खंड की 4 पूर्णिमाओं में से तृतीय को ब्लू मून कहा जाएगा।[1]
शरद पूर्णिमा का 'ब्लू मून'
अंग्रेज़ी भाषा के मुहावरे में ब्लू मून का प्रयोग 1946 से चलन में आया। लेकिन बरतानवी खेतिहर किसान डेढ़ सौ वर्षों से अपने पंचांग में इस घटना को महत्व देते आ रहे हैं। एक ही महीने में दूसरी बार जब पूरा चाँद उदय होता है तो उसे ब्लू मून कहते हैं। दो पूर्णिमाओं के बीच का अंतर 29.5 दिन होता है और एक महीने की औसत लंबाई 30.5 दिन। इसलिए किसी महीने में भूले-बिसरे ही चाँद दूसरी बार आता है। फिर भी ढाई-पौने तीन वर्षों में एक बार आ ही जाता है।
उत्सव
इस दिन माताएँ घर में ज्यादा दूध लेती हैं, दिनभर गरम करती हैं, केसर-मेवा डालती हैं और रात को छत पर ले जाकर चंद्रमा को उसका प्रसाद चढ़ाएँगी। फिर पतीला चंद्रप्रकाश में रखेंगी ताकि चंद्रकिरणों से बरसता अमृत उसमें समा जाए। घर के पालतू कुत्ते-बिल्लियाँ तो इसकी महक से दिन भर बेचैन रहते हैं और जिन बच्चों को दूध पसंद नहीं है वे इस वर्णन से भी नाक-भौं सिकोड़ेंगे लेकिन यह तो वे भी देखेंगे कि शाम का चंद्रमा ओटाए दूध की तरह हल्का पीलापन लिए था। शरद पूर्णिमा की रात छत पर केसरिया दूध की चुस्कियाँ लेते हुए घर के लोगों को ब्लू मून के बारे में बताना चाहिये। 31 जनवरी, 2018 को ब्लू मून है। अगला 'ब्लू मून' साल 2028 और 2037 में देखने को मिलेगा। एक शताब्दी में कोई 41 बार आता है। [2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ तिवारी, अम्बरीश कुमार। सुपरमून परिघटना (हिंदी) सम-सामयिक घटना चक्र। अभिगमन तिथि: 30 जनवरी, 2018।
- ↑ शरद पूर्णिमा का 'ब्लू मून' (हिंदी) वेब दुनिया। अभिगमन तिथि: 30 जनवरी, 2018।
बाहरी कड़ियाँ
- 31 जनवरी को दिखेगा 'सुपर ब्लू मून', चांद का रंग होगा नारंगी, जानिए क्यों?
- Super Blue Blood Moon 2018: When, Where and How to See It Wednesday
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