"अविनाश चन्द्र चक्रवर्ती": अवतरणों में अंतर
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'''अविनाश चन्द्र चक्रवर्ती''' (जन्म- [[जून]], [[1874]]; मृत्यु- [[1938]]) भारतीय क्रांतिकारियों में से एक थे। विदेशी सरकार की सेवा में रहते हुए भी क्रांतिकारियों से उनका निकट संपर्क बना रहता था। अविनाश चन्द्र चक्रवर्ती जाति और धर्म के आधार पर भेदभाव में विश्वास नहीं करते थे। अहिंसा में भी उनका भरोसा नहीं था। वे महिलाओं के अधिकारों के प्रबल पक्षधर थे। | '''अविनाश चन्द्र चक्रवर्ती''' (जन्म- [[जून]], [[1874]]; मृत्यु- [[1938]]) भारतीय क्रांतिकारियों में से एक थे। विदेशी सरकार की सेवा में रहते हुए भी क्रांतिकारियों से उनका निकट संपर्क बना रहता था। अविनाश चन्द्र चक्रवर्ती जाति और धर्म के आधार पर भेदभाव में विश्वास नहीं करते थे। अहिंसा में भी उनका भरोसा नहीं था। वे महिलाओं के अधिकारों के प्रबल पक्षधर थे। | ||
==परिचय== | ==परिचय== | ||
अविनाश चन्द्र चक्रवर्ती का जन्म जून, 1874 ईस्वी में [[कोलकाता]] (भूतपूर्व कलकत्ता) में हुआ था। एम.ए. और | अविनाश चन्द्र चक्रवर्ती का जन्म जून, 1874 ईस्वी में [[कोलकाता]] (भूतपूर्व कलकत्ता) में हुआ था। एम.ए. और क़ानून की शिक्षा प्राप्त करने के बाद सन [[1900]] में उनकी नियुक्ति मुंसिफ के पद पर हुई थी। राष्ट्रीयता की भावना का उदय उनके अंदर बचपन से ही हो चला था।<ref name="a">{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=57-58|url=}}</ref> | ||
==क्रांतिकारियों से सम्बंध== | ==क्रांतिकारियों से सम्बंध== | ||
अनेक राष्ट्रवादी लेखक अविनाश चन्द्र चक्रवर्ती के [[पिता]] के पास आया-जाया करते थे। उनकी बातें सुनकर अविनाश भी राष्ट्रवादी बन गए। उनका कोलकाता की '[[अनुशीलन समिति]]' तथा कुछ अन्य क्रांतिकारी संस्थाओं से गुप्त संबंध बना रहा, परंतु यह बात अधिक दिनों तक छिपी न रह सकी। 'अलीपुर बम कांड' में [[अरविंदो घोष|अरविंद]], [[बारीन्द्र कुमार घोष]] आदि की गिरफ्तारी के बाद क्रांतिकारियों से संपर्क रखने के आरोप में अविनाश को नौकरी से हटा दिया गया। | अनेक राष्ट्रवादी लेखक अविनाश चन्द्र चक्रवर्ती के [[पिता]] के पास आया-जाया करते थे। उनकी बातें सुनकर अविनाश भी राष्ट्रवादी बन गए। उनका कोलकाता की '[[अनुशीलन समिति]]' तथा कुछ अन्य क्रांतिकारी संस्थाओं से गुप्त संबंध बना रहा, परंतु यह बात अधिक दिनों तक छिपी न रह सकी। 'अलीपुर बम कांड' में [[अरविंदो घोष|अरविंद]], [[बारीन्द्र कुमार घोष]] आदि की गिरफ्तारी के बाद क्रांतिकारियों से संपर्क रखने के आरोप में अविनाश को नौकरी से हटा दिया गया। |
06:35, 26 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण
अविनाश चन्द्र चक्रवर्ती
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पूरा नाम | अविनाश चन्द्र चक्रवर्ती |
जन्म | जून, 1874 |
जन्म भूमि | कोलकाता, पश्चिम बंगाल |
मृत्यु | 1938 |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | क्रान्तिकारी |
धर्म | हिन्दू |
शिक्षा | एम.ए. और क़ानून की शिक्षा |
अन्य जानकारी | अविनाश चन्द्र चक्रवर्ती भी जाति और धर्म के आधार पर भेदभाव में विश्वास नहीं करते थे। महिलाओं के अधिकारों के भी पक्षधर थे। अहिंसा में उनका विश्वास नहीं था। |
अविनाश चन्द्र चक्रवर्ती (जन्म- जून, 1874; मृत्यु- 1938) भारतीय क्रांतिकारियों में से एक थे। विदेशी सरकार की सेवा में रहते हुए भी क्रांतिकारियों से उनका निकट संपर्क बना रहता था। अविनाश चन्द्र चक्रवर्ती जाति और धर्म के आधार पर भेदभाव में विश्वास नहीं करते थे। अहिंसा में भी उनका भरोसा नहीं था। वे महिलाओं के अधिकारों के प्रबल पक्षधर थे।
परिचय
अविनाश चन्द्र चक्रवर्ती का जन्म जून, 1874 ईस्वी में कोलकाता (भूतपूर्व कलकत्ता) में हुआ था। एम.ए. और क़ानून की शिक्षा प्राप्त करने के बाद सन 1900 में उनकी नियुक्ति मुंसिफ के पद पर हुई थी। राष्ट्रीयता की भावना का उदय उनके अंदर बचपन से ही हो चला था।[1]
क्रांतिकारियों से सम्बंध
अनेक राष्ट्रवादी लेखक अविनाश चन्द्र चक्रवर्ती के पिता के पास आया-जाया करते थे। उनकी बातें सुनकर अविनाश भी राष्ट्रवादी बन गए। उनका कोलकाता की 'अनुशीलन समिति' तथा कुछ अन्य क्रांतिकारी संस्थाओं से गुप्त संबंध बना रहा, परंतु यह बात अधिक दिनों तक छिपी न रह सकी। 'अलीपुर बम कांड' में अरविंद, बारीन्द्र कुमार घोष आदि की गिरफ्तारी के बाद क्रांतिकारियों से संपर्क रखने के आरोप में अविनाश को नौकरी से हटा दिया गया।
जेलयात्रा
बाद के समय में अविनाश चन्द्र चक्रवर्ती ने नाम के लिए तो वकालत की, पर उनका समय और पिता का छोड़ा धन क्रांतिकारी कार्यों में ही लगा। अरविंद की गिरफ्तारी से विघटित संगठन को अविनाश ने फिर से खड़ा किया। इस बीच प्रथम विश्व युद्ध आरंभ हो गया और सरकार ने अविनाश चंद्र को भी गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया।
अन्य क्रांतिकारियों की भांति अविनाश चन्द्र चक्रवर्ती भी जाति और धर्म के आधार पर भेदभाव में विश्वास नहीं करते थे। महिलाओं के अधिकारों के भी पक्षधर थे। अहिंसा में उनका विश्वास नहीं था। इसलिए जेल से छूटने पर 1921 के बाद वह राजनीति से अलग ही रहे।[1]
मृत्यु
सन 1938 में अविनाश चन्द्र चक्रवर्ती का निधन हो गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
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