"अहमदुल्लाह": अवतरणों में अंतर
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'''अहमदुल्लाह''' (जन्म- 1808, [[पटना]]; मृत्यु- [[22 नवम्बर]], [[1881]], [[अंडमान द्वीपसमूह|अंडमान]]) [[भारत]] के स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे। उनका वास्तविक नाम अहमद बख़्श था। '[[वहाबी आंदोलन]]' के उत्साही कार्यकर्ताओं में उन्हें गिना जाता था। पश्चिमी सीमा प्रांत में जो उपद्रव हुए, उन्हीं के अंतर्गत अहमदुल्लाह को आजीवन काला पानी की सज़ा सुनाई गई थी। | {{सूचना बक्सा स्वतन्त्रता सेनानी | ||
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'''अहमदुल्लाह''' (जन्म- 1808 ई., [[पटना]]; मृत्यु- [[22 नवम्बर]], [[1881]] ई., [[अंडमान द्वीपसमूह|अंडमान]]) [[भारत]] के स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे। उनका वास्तविक नाम 'अहमद बख़्श' था। '[[वहाबी आंदोलन]]' के उत्साही कार्यकर्ताओं में उन्हें गिना जाता था। पश्चिमी सीमा प्रांत में जो उपद्रव हुए, उन्हीं के अंतर्गत अहमदुल्लाह को आजीवन काला पानी की सज़ा सुनाई गई थी। | |||
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अहमदुल्लाह
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पूरा नाम | अहमद बख़्श (मूल नाम) |
जन्म | 1808 ई. |
जन्म भूमि | पटना |
मृत्यु | 22 नवम्बर, 1881 |
मृत्यु स्थान | अंडमान |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | अहमदुल्लाह पर राजद्रोह का मुकदमा चला था, जिसके बाद उन्हें आजीवन काला पानी में रहने और सारी संपत्ति जब्त कर देने की सज़ा मिली। |
अहमदुल्लाह (जन्म- 1808 ई., पटना; मृत्यु- 22 नवम्बर, 1881 ई., अंडमान) भारत के स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे। उनका वास्तविक नाम 'अहमद बख़्श' था। 'वहाबी आंदोलन' के उत्साही कार्यकर्ताओं में उन्हें गिना जाता था। पश्चिमी सीमा प्रांत में जो उपद्रव हुए, उन्हीं के अंतर्गत अहमदुल्लाह को आजीवन काला पानी की सज़ा सुनाई गई थी।
परिचय
स्वतंत्रता सेनानी अहमदुल्लाह का जन्म पटना, बिहार में सन 1808 ई. को हुआ था। पहले उनका नाम अहमद बख़्श था, पर बाद में 'वहाबी संप्रदाय' में सम्मिलित होने पर उन्हें अहमदुल्ला नाम मिला। वे वहाबी आंदोलन के उत्साही कार्यकर्ता थे।
काला पानी की सज़ा
सन 1857 की घटनाओं के बाद पश्चिमी सीमा प्रांत में कुछ उपद्रव हुए। ब्रिटिश सरकार को सूचना मिली कि आंदोलनकारियों को अन्य प्रदेशों के वहावी मदद पहुंचाते हैं। इसी पर 1864 ई. में अहमदुल्लाह को भी गिरफ्तार कर लिया गया। उन पर राजद्रोह का मुकदमा चला और जज ने फांसी की सज़ा दे दी। पर हाईकोर्ट ने इसे घटाकर आजीवन काला पानी में रहने और सारी संपत्ति जब्त कर देने की सज़ा में बदल दिया।[1]
अहमदुल्ला को सन 1865 में अंडमान भेज दिया गया। उनके कुछ अन्य साथियों को भी विभिन्न सज़ाएं हुईं। उन सब की संपत्तियाँ जब्त कर ली गईं। मकान धराशायी करके उस जगह नगरपालिका का बाज़ार बना दिया गया।
मृत्यु
अहमदुल्लाह की अंडमान में 22 नवंबर, 1881 ई. को मृत्यु हो गई।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 64 |
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