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'''उदय शंकर भट्ट''' (जन्म- [[1898]], [[इटावा]], [[उत्तर प्रदेश]]; मृत्यु- [[1969]]) प्रसिद्ध नाटककार और [[उपन्यासकार]] थे। इनके पितामह तथा [[पिता]] [[संस्कृत]] के विद्वान थे। घर में बातचीत तक संस्कृत में होती थी। इसका प्रभाव उदय शंकर भट्ट पर भी पड़ा। उन्होंने [[लाहौर]] में अध्यापन कार्य भी कराया। स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया तथा [[आकाशवाणी]] में परामर्शदाता रहे। उदय शंकर भट्ट ने विपुल [[साहित्य]] की रचना की है।<ref name="a">{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=100-101|url=}}</ref> | '''उदय शंकर भट्ट''' (जन्म- [[1898]], [[इटावा]], [[उत्तर प्रदेश]]; मृत्यु- [[1969]]) प्रसिद्ध नाटककार और [[उपन्यासकार]] थे। इनके पितामह तथा [[पिता]] [[संस्कृत]] के विद्वान थे। घर में बातचीत तक संस्कृत में होती थी। इसका प्रभाव उदय शंकर भट्ट पर भी पड़ा। उन्होंने [[लाहौर]] में अध्यापन कार्य भी कराया। स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया तथा [[आकाशवाणी]] में परामर्शदाता रहे। उदय शंकर भट्ट ने विपुल [[साहित्य]] की रचना की है।<ref name="a">{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=100-101|url=}}</ref> | ||
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11:11, 8 जनवरी 2020 के समय का अवतरण
उदय शंकर भट्ट
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पूरा नाम | उदय शंकर भट्ट |
जन्म | 1898 |
जन्म भूमि | इटावा, उत्तर प्रदेश |
मृत्यु | 1969 |
कर्म भूमि | भारत |
मुख्य रचनाएँ | ‘राका’, ‘मानसी’, ‘विसर्जन’, ‘युग दीप’, ‘दाहर', ‘मुक्तिपथ’, ‘शक विजय’, ’कमला’, ‘अंतहीन’, ‘क्रांतिकारी’, ‘नया समाज’ और 'पार्वती' आदि। |
प्रसिद्धि | नाटककार और उपन्यासकार |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | उदय शंकर भट्ट कुछ समय तक लाला लाजपत राय के नेशनल कॉलेज में अध्यापक भी रहे, जहां क्रांतिकारी भगत सिंह उनके छात्र थे। |
इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
उदय शंकर भट्ट (जन्म- 1898, इटावा, उत्तर प्रदेश; मृत्यु- 1969) प्रसिद्ध नाटककार और उपन्यासकार थे। इनके पितामह तथा पिता संस्कृत के विद्वान थे। घर में बातचीत तक संस्कृत में होती थी। इसका प्रभाव उदय शंकर भट्ट पर भी पड़ा। उन्होंने लाहौर में अध्यापन कार्य भी कराया। स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया तथा आकाशवाणी में परामर्शदाता रहे। उदय शंकर भट्ट ने विपुल साहित्य की रचना की है।[1]
परिचय
नाटककार, कवि और उपन्यासकार उदय शंकर भट्ट का जन्म अपने ननिहाल इटावा, उत्तर प्रदेश में सन 1898 ईसवी में हुआ था। उनके पूर्वज गुजराती थे, जो उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में आकर बस गए थे।
शिक्षा
भट्ट जी ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय, पंजाब और कोलकाता में शिक्षा पाई। वे कुछ समय तक लाला लाजपत राय के नेशनल कॉलेज में अध्यापक भी रहे, जहां क्रांतिकारी भगत सिंह उनके छात्र थे।
लेखन कार्य
उदय शंकर भट्ट अध्यापन काल से ही लिखने लगे थे। 1931 में उनका पहला काव्य संग्रह ’तक्षशिला’ प्रकाशित हुआ। उसके बाद ‘राका’, ‘मानसी’, ‘विसर्जन’, ‘युग दीप’ और ‘यथार्थ और कल्पना’ जैसी काव्य रचनाएं सामने आईं। लेकिन उनकी विशेष ख्याति नाटककार के रूप में है। उन्होंने ऐतिहासिक, पौराणिक और सामाजिक सभी विषयों पर नाटकों, गीति नाटकों की रचना की। ऐतिहासिक नाटकों में ‘दाहर' अथवा 'सिंध पतन’, ‘मुक्तिपथ’, ‘शक विजय’ आदि की गणना होती है।[1]
नाटक
’कमला’, ‘अंतहीन’, ‘क्रांतिकारी’, ‘नया समाज’ और 'पार्वती' उनके प्रमुख सामाजिक नाटक हैं। ‘विश्वामित्र’, ‘राधा’, ‘स्त्री का हृदय’, ‘आदिम युग’, ‘पर्दे के पीछे’, ‘अंधकार और प्रकाश’, ‘समस्या का अंत’, ‘आज का आदमी’ जैसे गीति और एकांकी नाटकों में उन्होंने वैदिक युग की सामाजिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के साथ-साथ वर्तमान की ज्वलंत समस्याओं का चित्रण किया है।
उपन्यास
उदय शंकर भट्ट के कुछ प्रमुख उपन्यास हैं- 'वह जो मैंने देखा', 'एक नीड़ दो पक्षी', 'नए मोड़', 'सागर लहरें और मनुष्य'।
मृत्यु
सन 1969 में उदय शंकर भट्ट का देहांत हो गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
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