"कला-संस्कृति और धर्म सामान्य ज्ञान 418": अवतरणों में अंतर
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-[[स्वामी हरिदास]] | -[[स्वामी हरिदास]] | ||
||[[चित्र:Chetanya-Mahaprabhu.jpg|right|border|80px|चैतन्य महाप्रभु]]'चैतन्य महाप्रभु' [[भक्तिकाल]] के प्रमुख संतों में से एक हैं। इन्होंने [[वैष्णव|वैष्णवों]] के [[चैतन्य सम्प्रदाय|गौड़ीय संप्रदाय]] की आधारशिला रखी। भजन गायकी की एक नयी शैली को जन्म दिया तथा राजनीतिक अस्थिरता के दिनों में [[हिन्दू]]-[[मुस्लिम]] एकता की सद्भावना को बल दिया, जाति-पांत, ऊँच-नीच की भावना को दूर करने की शिक्षा दी तथा विलुप्त [[वृन्दावन]] को फिर से बसाया और अपने जीवन का अंतिम भाग वहीं व्यतीत किया। उनके द्वारा प्रारंभ किए गए महामन्त्र 'नाम संकीर्तन' का अत्यंत व्यापक व सकारात्मक प्रभाव आज पश्चिमी जगत् तक में है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चैतन्य महाप्रभु]] | |||
{[[गंगा]] को 'त्रिपथगा' क्यों कहा जाता है? | {[[गंगा]] को 'त्रिपथगा' क्यों कहा जाता है? | ||
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-[[ब्रह्मा]] के शाप के कारण | -[[ब्रह्मा]] के शाप के कारण | ||
-[[भगीरथ]] द्वारा [[पृथ्वी]] पर लाए जाने के कारण | -[[भगीरथ]] द्वारा [[पृथ्वी]] पर लाए जाने के कारण | ||
||[[चित्र:Ganga-River-Varanasi.jpg|right|border|80px|गंगा]]'गंगा' [[भारत]] की सबसे महत्त्वपूर्ण नदियों में से एक है। यह [[उत्तर भारत]] के मैदानों की विशाल नदी है। गंगा, भारत और [[बांग्लादेश]] में मिलकर 2,510 किलोमीटर की दूरी तय करती हुई [[उत्तरांचल]] में [[हिमालय]] से निकलकर [[बंगाल की खाड़ी]] में भारत के लगभग एक-चौथाई भू-क्षेत्र को प्रवाहित होती है। गंगा नदी को उत्तर भारत की अर्थव्यवस्था का मेरुदण्ड भी कहा गया है। भारतीय भाषाओं में तथा अधिकृत रूप से गंगा नदी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसके अंग्रेज़ीकृत नाम ‘द गैंगीज़’ से ही जाना जाता है। गंगा सहस्राब्दियों से हिन्दुओं की पवित्र तथा पूजनीय नदी रही है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गंगा]] | |||
{'अष्टांगसंग्रह', 'अष्टांगहृदय', 'मध्यमसंहिता' और 'रसरत्नसमुच्चय' नामक आयुर्वैदिक चिकित्सा [[ग्रन्थ]] किसके द्वारा रचित हैं? | {'अष्टांगसंग्रह', 'अष्टांगहृदय', 'मध्यमसंहिता' और 'रसरत्नसमुच्चय' नामक आयुर्वैदिक चिकित्सा [[ग्रन्थ]] किसके द्वारा रचित हैं? | ||
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-[[चरक]] | -[[चरक]] | ||
-[[सुश्रुत]] | -[[सुश्रुत]] | ||
+वाग्भट्ट | +[[वाग्भट्ट]] | ||
||'वाग्भट्ट' [[आयुर्वेद]] के प्रसिद्ध [[ग्रंथ]] 'अष्टांगसंग्रह' तथा '[[अष्टांगहृदयम्]]' के रचयिता थे। प्राचीन संहित्यकारों में यही ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने अपना परिचय स्पष्ट रूप में दिया है। 'अष्टांगसंग्रह' के अनुसार वाग्भट का जन्म [[सिंध प्रदेश|सिंधु देश]] में हुआ था। इनके पितामह का नाम भी वाग्भट था। ये [[अवलोकितेश्वर]] के शिष्य थे। इनके [[पिता]] का नाम सिद्धगुप्त था। यह [[बौद्ध धर्म]] को मानने वाले थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[वाग्भट्ट]] | |||
{[[वराह अवतार|वराहवतार]] किस [[तिथि]] को हुआ था? | {[[वराह अवतार|वराहवतार]] किस [[तिथि]] को हुआ था? | ||
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+[[भाद्रपद]] [[शुक्ल पक्ष|शुक्ल]] [[तृतीया]] | +[[भाद्रपद]] [[शुक्ल पक्ष|शुक्ल]] [[तृतीया]] | ||
-[[कार्तिक मास|कार्तिक]] [[अमावस्या]] | -[[कार्तिक मास|कार्तिक]] [[अमावस्या]] | ||
||[[चित्र:Varaha-Avatar-1.jpg|right|border|80px|वराह अवतार]]'वराह अवतार' [[हिंदू धर्म]] ग्रंथों के अनुसार [[विष्णु|भगवान विष्णु]] के [[अवतार|दस अवतारों]] में से तृतीय अवतार हैं जो [[भाद्रपद]] में [[शुक्ल पक्ष]] की [[तृतीया]] को अवतरित हुए। [[हिरण्याक्ष]] और [[हिरण्यकशिपु]] ने जब [[दिति]] के गर्भ से जुड़वां रूप में जन्म लिया, तो [[पृथ्वी]] कांप उठी। आकाश में [[नक्षत्र]] और दूसरे लोक इधर से उधर दौड़ने लगे, [[समुद्र]] में बड़ी-बड़ी लहरें पैदा हो उठीं और प्रलयंकारी हवा चलने लगी। ऐसा ज्ञात हुआ, मानो प्रलय आ गई हो। हिरण्याक्ष और हिरण्यकशिपु दोनों पैदा होते ही बड़े हो गए।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[वराह अवतार]] | |||
{'[[स्वप्नवासवदत्ता]]' एवं 'प्रतिज्ञा यौगंधरायण' नाट्य ग्रन्थों के रचयिता कौन हैं? | {'[[स्वप्नवासवदत्ता]]' एवं 'प्रतिज्ञा यौगंधरायण' नाट्य ग्रन्थों के रचयिता कौन हैं? | ||
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-[[भवभूति]] | -[[भवभूति]] | ||
-[[जयदेव]] | -[[जयदेव]] | ||
||'भास' [[संस्कृत साहित्य]] के प्रसिद्ध नाटककार थे, जिनके जीवनकाल के विषय में अधिक जानकारी नहीं है। '[[स्वप्नवासवदत्ता]]' उनके द्वारा लिखित सबसे चर्चित [[नाटक]] है, जिसमें एक राजा के अपने रानी के प्रति अविरहनीय प्रेम और पुनर्मिलन की [[कहानी]] है। [[कालिदास]] जो गुप्तकालीन समझे जाते हैं, ने [[भास]] का नाम अपने नाटक में लिया है, जिससे लगता है कि वह [[गुप्त काल]] से पहले रहे होंगे; पर इससे भी उनके जीवनकाल का अधिक ठोस प्रमाण नहीं मिलता।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भास]] | |||
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05:59, 8 फ़रवरी 2020 के समय का अवतरण
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- इस विषय से संबंधित लेख पढ़ें:- कला प्रांगण, कला कोश, संस्कृति प्रांगण, संस्कृति कोश, धर्म प्रांगण, धर्म कोश
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