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'''के. सी. शिवशंकर''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''K. C. Shivshankar'', जन्म- [[1927]]; मृत्यु- [[29 सितम्बर]], [[2020]]) [[भारत]] के प्रसिद्ध चित्रकार तथा कार्टूनिस्ट थे। उन्हें 'चंदा मामा' के नाम से भी लोग जानते हैं। 'विक्रम बेताल' की कहानियों को चंदामामा मैगजीन में चित्रित करने के बाद उन्हें देशभर में विशेष पहचान मिली थी। इसके अलावा के. सी. शिवशंकर ने और भी कई कार्टून्स चित्रित किए। उन्होंने 60 से ज्यादा सालों तक [[कला]] के क्षेत्र में अपना योगदान दिया।<br /> | '''के. सी. शिवशंकर''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''K. C. Shivshankar'', जन्म- [[1927]]; मृत्यु- [[29 सितम्बर]], [[2020]]) [[भारत]] के प्रसिद्ध चित्रकार तथा कार्टूनिस्ट थे। उन्हें 'चंदा मामा' के नाम से भी लोग जानते हैं। 'विक्रम बेताल' की कहानियों को चंदामामा मैगजीन में चित्रित करने के बाद उन्हें देशभर में विशेष पहचान मिली थी। इसके अलावा के. सी. शिवशंकर ने और भी कई कार्टून्स चित्रित किए। उन्होंने 60 से ज्यादा सालों तक [[कला]] के क्षेत्र में अपना योगदान दिया। वर्ष [[2021]] में के. सी. शिवशंकर को मरणोपरान्त '[[पद्मश्री]]' से सम्मानित किया गया।<br /> | ||
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*चन्दामामा बच्चों और युवाओं पर केंद्रित एक लोकप्रिय मासिक [[पत्रिका]] थी, जिसमें भारतीय लोक कथाओं, पौराणिक और ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित कहानियां प्रकाशित होती थीं। | *चन्दामामा बच्चों और युवाओं पर केंद्रित एक लोकप्रिय मासिक [[पत्रिका]] थी, जिसमें भारतीय लोक कथाओं, पौराणिक और ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित कहानियां प्रकाशित होती थीं। |
11:00, 28 मार्च 2021 के समय का अवतरण
के. सी. शिवशंकर (अंग्रेज़ी: K. C. Shivshankar, जन्म- 1927; मृत्यु- 29 सितम्बर, 2020) भारत के प्रसिद्ध चित्रकार तथा कार्टूनिस्ट थे। उन्हें 'चंदा मामा' के नाम से भी लोग जानते हैं। 'विक्रम बेताल' की कहानियों को चंदामामा मैगजीन में चित्रित करने के बाद उन्हें देशभर में विशेष पहचान मिली थी। इसके अलावा के. सी. शिवशंकर ने और भी कई कार्टून्स चित्रित किए। उन्होंने 60 से ज्यादा सालों तक कला के क्षेत्र में अपना योगदान दिया। वर्ष 2021 में के. सी. शिवशंकर को मरणोपरान्त 'पद्मश्री' से सम्मानित किया गया।
- चन्दामामा बच्चों और युवाओं पर केंद्रित एक लोकप्रिय मासिक पत्रिका थी, जिसमें भारतीय लोक कथाओं, पौराणिक और ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित कहानियां प्रकाशित होती थीं।
- के. सी. शिवशंकर का जन्म 1927 में हुआ था। साल 1934 में वह अपनी माता और भाई-बहनों के साथ चेन्नई चले गए, जहां उन्होंने स्कूली शिक्षा ग्रहण की।
- बहुत छोटी सी उम्र में ही उन्होंने अपनी कलाकारी से स्कूल के शिक्षकों का दिल जीत लिया।
- बहुत छोटी सी उम्र में के. सी. शिवशंकर ने अपने प्राचार्य डी.पी. रॉय चौधरी को एक ब्रश तकनीक के साथ चकित कर दिया जब उन्होंने एक गजब की कलाकारी कर दिखाई थी।
- सन 1952 में के. सी. शिवशंकर को नागी रेड्डी ने काम पर रखा था और उन्होंने राजा विक्रम को साठ के दशक के आस-पास अपने कंधे पर बेताल की लाश को ले जाते हुए चित्र बनाया था।
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