"पहेली 16 अक्टूबर 2022": अवतरणों में अंतर

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-[[लल्लू लालजी]]
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+[[जयशंकर प्रसाद]]
+[[जयशंकर प्रसाद]]
||[[चित्र:Jaishankar-Prasad.jpg|right|border|80px|जयशंकर प्रसाद]]'जयशंकर प्रसाद' [[हिन्दी]] नाट्य जगत् और [[कथा साहित्य]] में विशिष्ट स्थान रखते हैं। कथा साहित्य के क्षेत्र में उनकी देन महत्त्वपूर्ण है। [[जयशंकर प्रसाद]] ने राष्ट्रीय गौरव और स्वाभिमान को अपने [[साहित्य]] में सर्वत्र स्थान दिया है। आपकी अनेक रचनाएँ राष्ट्र प्रेम की उत्कृष्ट भावना जगाने वाली हैं। प्रसाद जी ने प्रकृति के विविध पक्षों को बड़ी सजीवता से चित्रित किया है। प्रकृति के सौम्य-सुन्दर और विकृत-भयानक, दोनों स्वरूप उनकी रचनाओं में प्राप्त होते हैं। इसके अतिरिक्त प्रकृति का आलंकारिक, मानवीकृत, उद्दीपक और उपदेशिका स्वरूप भी प्रसाद जी के काव्य में प्राप्त होता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जयशंकर प्रसाद]]
||[[चित्र:Jaishankar-Prasad.jpg|right|border|80px|जयशंकर प्रसाद]]'जयशंकर प्रसाद' [[हिन्दी]] नाट्य जगत् और [[कथा साहित्य]] में विशिष्ट स्थान रखते हैं। कथा साहित्य के क्षेत्र में उनकी देन महत्त्वपूर्ण है। [[जयशंकर प्रसाद]] ने राष्ट्रीय गौरव और स्वाभिमान को अपने [[साहित्य]] में सर्वत्र स्थान दिया है। आपकी अनेक रचनाएँ राष्ट्र प्रेम की उत्कृष्ट भावना जगाने वाली हैं। प्रसाद जी ने प्रकृति के विविध पक्षों को बड़ी सजीवता से चित्रित किया है। प्रकृति के सौम्य-सुन्दर और विकृत-भयानक, दोनों स्वरूप उनकी रचनाओं में प्राप्त होते हैं। इसके अतिरिक्त प्रकृति का आलंकारिक, मानवीकृत, उद्दीपक और उपदेशिका स्वरूप भी प्रसाद जी के काव्य में प्राप्त होता है।→अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जयशंकर प्रसाद]]
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