"त्रिपुरा": अवतरणों में अंतर
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - " भारत " to " भारत ") |
No edit summary |
||
(9 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 50 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{सूचना बक्सा राज्य | {{सूचना बक्सा राज्य | ||
|Image=Tripura-Map.jpg | |Image=Tripura-Map.jpg | ||
|राजधानी=[[ | |राजधानी=[[अगरतला]] | ||
|जनसंख्या= | |जनसंख्या=27,57,205<ref name="त्रिपुरा">{{cite web |url=http://tripura.nic.in/kt3.htm |title=Tripura at a Glance - Statistics |accessmonthday=13 मई |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=त्रिपुरा की आधिकारिक वेबसाइट |language=अंग्रेज़ी}}</ref> | ||
|जनसंख्या घनत्व= | |जनसंख्या घनत्व=263<ref name="त्रिपुरा"/> | ||
|क्षेत्रफल= | |क्षेत्रफल=10,492 वर्ग किमी<ref name="त्रिपुरा"/> | ||
|भौगोलिक निर्देशांक=23.84°N 91.28°E | |भौगोलिक निर्देशांक=23.84°N 91.28°E | ||
|ज़िले=4 | |ज़िले=4<ref name="त्रिपुरा"/> | ||
|राजभाषा(एँ)=[[बांग्ला भाषा]], | |राजभाषा(एँ)=[[बांग्ला भाषा]], कक बराक भाषा | ||
|स्थापना=1972 | |स्थापना=21 जनवरी, 1972 | ||
|लिंग अनुपात=1000:945 | |लिंग अनुपात=1000:945<ref name="त्रिपुरा"/> | ||
|साक्षरता=73.2 | |साक्षरता=73.2 | ||
|ग्रीष्म=36.2 °C | |ग्रीष्म=36.2 °C | ||
|शरद=7 °C | |शरद=7 °C | ||
|राज्यपाल=[[ | |राज्यपाल=[[सत्यदेव नारायण आर्य]]<ref>{{cite web |url=http://india.gov.in/hi/my-government/whos-who/governors |title=राज्यपाल |accessmonthday=30 जनवरी |accessyear=2016 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=भारत की आधिकारिक वेबसाइट |language=हिंदी }}</ref> | ||
|मुख्यमंत्री=[[माणिक | |मुख्यमंत्री=[[माणिक साहा]]<ref name="त्रिपुरा"/> | ||
|शीर्षक 1=राजकीय वृक्ष | |||
|पाठ 1=[[अगर (वृक्ष)|अगर]] | |||
|शीर्षक 2= | |||
|पाठ 2= | |||
|शीर्षक 3= | |||
|पाठ 3= | |||
|बाहरी कड़ियाँ=[http://tripura.nic.in/ अधिकारिक वेबसाइट] | |बाहरी कड़ियाँ=[http://tripura.nic.in/ अधिकारिक वेबसाइट] | ||
|अद्यतन= | |अद्यतन={{अद्यतन|15:54, 11 जून 2022 (IST)}} | ||
|emblem=Tripura-Seal. | |emblem=Tripura-Seal-new.png | ||
}} | }} | ||
==इतिहास | '''त्रिपुरा''' [[भारत]] का एक [[राज्य]] है। त्रिपुरा दक्षिण एशिया के पूर्वोत्तर भाग में स्थित है। त्रिपुरा उत्तर, पश्चिम व दक्षिण में [[बांग्लादेश]], पूर्व में [[मिज़ोरम]] और पूर्वोत्तर में [[असम]] राज्य से घिरा है। त्रिपुरा का क्षेत्रफल सिर्फ़ 10,486 वर्ग किमी है और यह [[गोवा]] तथा [[सिक्किम]] के बाद भारत का तीसरा सबसे छोटा राज्य है। देश के बाक़ी हिस्से से अलग-थलग रहने, पहाड़ी भूभाग व जनजातीय आबादी के आरण त्रिपुरा में भी भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्रों की समस्याएँ मौजूद हैं। त्रिपुरा की राजधानी [[अगरतला]] है। | ||
त्रिपुरा का इतिहास बहुत पुराना और लंबा है। इसकी अपनी अनोखी जनजातीय संस्कृति और दिलचस्प लोकगाथाएं है। ऐसा माना जाता है कि राजा त्रिपुर, जो ययाति वंश का 39 वाँ राजा था, उनके नाम पर ही इस राज्य का नाम त्रिपुरा पड़ा । एक मत के अनुसार स्थानीय देवी त्रिपुर सुन्दरी के नाम पर इसका नाम त्रिपुरा | ==इतिहास== | ||
त्रिपुरा का इतिहास बहुत पुराना और लंबा है। इसकी अपनी अनोखी जनजातीय संस्कृति और दिलचस्प लोकगाथाएं है। [[बांग्ला भाषा|बंगाली]] और त्रिपुरी भाषा (कोक बोरोक) यहाँ मुख्य रूप से बोली जाती हैं। ऐसा माना जाता है कि राजा त्रिपुर, जो ययाति वंश का 39 वाँ राजा था, उनके नाम पर ही इस राज्य का नाम त्रिपुरा पड़ा । एक मत के अनुसार स्थानीय देवी त्रिपुर सुन्दरी के नाम पर इसका नाम त्रिपुरा पड़ा। यह [[हिन्दू धर्म]] की 51 शक्ति पीठों में से एक है। इस राज्य के इतिहास को ‘राजमाला’ गाथाओं और मुसलमान इतिहासकारों के वर्णनों से जाना जा सकता है। [[महाभारत]] और [[पुराण|पुराणों]] में भी त्रिपुरा का उल्लेख मिलता है। [[चित्र:Agartala-Palace-Tripura.jpg|thumb|left|250px|अगरतला पैलेस, त्रिपुरा]] 'राजमाला' के अनुसार त्रिपुरा के शासकों को ‘फा’ उपनाम से पुकारा जाता था जिसका अर्थ ‘पिता’ होता है। 14वीं शताब्दी में [[बंगाल]] के शासकों द्वारा त्रिपुरा नरेश की मदद किए जाने का भी उल्लेख मिलता है। त्रिपुरा की स्थापना 14वीं शताब्दी में 'माणिक्य' नामक इंडो-मंगोलियन आदिवासी मुखिया ने की थी, जिसने हिन्दू धर्म अपनाया था। त्रिपुरा के शासकों को [[मुग़ल|मुग़लों]] के बार-बार आक्रमण का भी सामना करना पडा जिसमें आक्रमणकारियों को कम ही सफलता मिलती थी। कई लड़ाइयों में त्रिपुरा के शासकों ने बंगाल के सुल्तानों को हराया। 19वीं शताब्दी में 'महाराजा वीरचंद्र किशोर माणिक्य बहादुर' के शासनकाल में त्रिपुरा में नए युग का सूत्रपात हुआ। उन्होंने अपने प्रशासनिक ढांचे को ब्रिटिश [[भारत]] के नमूने पर बनाया और कई सुधार लागू किए। उनके उत्तराधिकारों ने 15 अक्तूबर, 1949 तक त्रिपुरा पर शासन किया। इसके बाद त्रिपुरा [[भारत]] संघ में शामिल हो गया। प्रारम्भ में यह भाग - सी के अंतर्गत आने वाला राज्य था और 1956 में राज्यों के पुनर्गठन के बाद यह केंद्रशासित प्रदेश बना। 1972 में इसने पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त किया। त्रिपुरा [[बांग्लादेश]] तथा [[म्यांमार]] की नदी घाटियों के बीच स्थित है। इसके तीन तरफ बांग्लादेश है और केवल उत्तर-पूर्व में यह [[असम]] और [[मिज़ोरम]] से जुड़ा हुआ है। [[अगरतला]] त्रिपुरा प्रान्त की राजधानी है। | |||
==भूगोल== | |||
मध्य एवं उत्तरी त्रिपुरा एक पहाड़ी क्षेत्र है, जिसे पूर्व से पश्चिम की ओर चार प्रमुख घाटियाँ, धर्मनगर, कैलाशहर, कमालपुर और खोवाई, काटती हैं। ये घाटियाँ उत्तर की ओर बहने वाली नदियों (जूरी, मनु व देव, ढलाई और खोवाई) द्वारा निर्मित हैं। पश्चिम व दक्षिण की निचली घाटियाँ खुली व दलदली हैं, हालांकि दक्षिण में भूभाग बहुत अधिक कटा हुआ और घने जंगलों से ढका है। उत्तर से दक्षिण की ओर उन्मुख श्रेणियाँ घाटियों को अलग करती हैं। धर्मनगर घाटी के पूर्व में जमराई त्लंग की ऊँचाई 600 और 900 मीटर के बीच है। पश्चिम की ओर क्रमश: सखान त्लंग, लंगतराई और आर्थरमुरा पर्वतश्रेणियों की ऊंचाई घटते क्रम में है। सुदूर पश्चिम में स्थित पहाड़ी देवतामुरा की ऊँचाई सिर्फ़ 244 मीटर है। | |||
देवतामुरा पर्वतश्रेणी के पश्चिम में अगरतला मैदान है, जो [[गंगा नदी|गंगा]]-[[ब्रह्मपुत्र नदी|ब्रह्मपुत्र]] निम्नभूमि का विस्तार है तथा इसकी ऊँचाई 61 मीटर से कम है। इस क्षेत्र को कई नदियाँ अपवाहित करती हैं, जिनमें सबसे बड़ी नदी गुमटी का उद्गम पूर्वी पहाड़ियों राधाकिशोरपुर के निकट एक खड़े किनारों वाली घाटी में स्थित है। | |||
लगभग आधा राज्य जंगलों से ढका है; हालांकि खेती के लिए इनकी व्यापक कटाई हुई है, इनमें अब भी महत्त्वपूर्ण वृक्ष पाए जाते हैं, जिनमें मज़बूत लकड़ी है। यहाँ (शोरिया रोबस्टा) शामिल है, जो सागौन के बाद सबसे अधिक क़ीमती लकड़ी है। यहाँ के प्राणियों में [[बाघ]], [[तेंदुआ]], [[हाथी]], सियार, जगंली कुत्ते, जगंली सुअर, गयाल सांड़ जगंली भैंस तथा गौर शामिल हैं। | |||
====जलवायु==== | |||
== | त्रिपुरा की जलवायु कम गर्म तथा आर्द्र होती है। त्रिपुरा राज्य की जलवायु आदर्श बारिश के लिए अनुकूल हैं। [[जून]] से [[सितंबर]] तक रहने वाले मॉनसून के मौसम में 2,000 मिमी से अधिक [[वर्षा]] होती है। निचले इलाक़ों में ग्रीष्म ऋतु में अधिकतम औसत [[तापमान]] 35° से. होता है, हालांकि पहाड़ों में मौसम ठंडा होता है। | ||
==अर्थव्यवस्था== | |||
{{राज्य मानचित्र|float=right}} | {{राज्य मानचित्र|float=right}} | ||
====कृषि==== | |||
*त्रिपुरा की अर्थव्यवस्था प्राथमिक रूप से [[कृषि]] पर आधारित है। | |||
*मुख्य फ़सल [[चावल]] है<ref>कृषि उत्पादन का 46.16 प्रतिशत</ref> और पूरे राज्य में इसकी खेती होती है। | |||
*नक़दी फ़सलों मे [[जूट]]<ref>जिसका इस्तेमाल बोरी, टाट और सुतली बनाने में होता है</ref>, [[कपास]] [[चाय]], [[गन्ना]], मेस्ता और फल शामिल हैं। | |||
*त्रिपुरा राज्य की कृषि में पशुपालन की सहायक भूमिका है। | |||
*वनोपज आधारित उद्योग इमारती लकड़ी ईंधन और लकड़ी के कोयले का उत्पादन करते है। | |||
*[[1994]] में [[चाय]] का उत्पादन 35,55,593 किलोग्राम था। | |||
====उद्योग==== | |||
यहाँ मुख्यतः छोटे पैमाने पर निर्माण कार्य होता है, जिसमें बुनाई, बढ़ईगिरि, टोकरी व [[मिट्टी]] के बर्तन बनाने जैसे कई कुटीर उद्योग शामिल हैं। छोटे पैमाने के उद्योगों के विकास को बढ़ाने में राज्य सरकार सक्रिय है। [[बांस]] व बेंत हस्तशिल्प में कक्ष विभाजक, फ़र्नीचर भित्तिपट्टिका, टेबल मैट और फ़र्श पर बिछाने वाली चटाइयाँ शामिल हैं, जिन्हें स्थानीय स्तर पर बनाया जाता है। औद्योगिक इकाइयाँ, चाय, चीनी डिब्बाबंद फल कृषि औज़ार ईंट और जूते-चप्पल बनाती हैं। अपेक्षाकृत बड़े उपक्रमों में कताई मिल, जूट मिल, इस्पात मिल, प्लाईवुड फ़ैक्टी और औषधि संयंत्र शामिल हैं। [[अगरतला]] अंबासा खोवाई, धर्मनगर, कैलाशहर, [[उदयपुर]] और बगाफा में स्थित [[डीज़ल]] चालित ताप संयंत्रों से बिजली मिलती है। इसके अलावा गुमटी पनबिजली परियोजना ([[1976]] में पूरी हुई) से भी बिजली मिलती है। इसकी कुल स्थापित क्षमता 6,935 मेगावाट है। राज्य में हाल ही में [[प्राकृतिक गैस]] के व्यापक संसाधनों की खोज हुई है। | |||
== | ====सिंचाई==== | ||
त्रिपुरा राज्य मुख्यत: पहाड़ी इलाका है। त्रिपुरा राज्य में [[त्रिपुरा पहाड़ियाँ]] भी स्थित है। इसका भौगोलिक क्षेत्र 10,49,169 हेक्टेयर है। अनुमान है कि 2,80,000 हेक्टेयर भूमि कृषि योग्य है। [[31 मार्च]], [[2008]] तक 93,359 हेक्टेयर भूमि क्षेत्र में लिफ्ट सिंचाई, गहरे नलकूप, दिशा परिवर्तन, मध्यम सिंचाई व्यवस्था, शैलो ट्यूबवैल आदि के जरिए सुनिश्चित सिंचाई के प्रबंधन किए गए हैं। यह राज्य की सिंचाई योग्य भूमि का 79.97 प्रतिशत और कृषि योग्य भूमि का लगभग 33.34 प्रतिशत है। लोक निर्माण विभाग (जल संसाधन) द्वारा 1411 डाइवर्ज़न स्कीम, 166 गहरे नलकूप स्कीमें पूरी की जा चुकी हैं। 3 मध्यम सिंचाई योजनाओं (गुमती, खोवई और मनु) के जरिए कमान एरिया के कुछ भाग को सिंचाई का पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। नहर प्रणाली का कार्य [[2009]]-[[2010|10]] तक पूरा हो जाने की उम्मीद है। | |||
====बिजली==== | |||
इस समय राज्य की बिजली की मांग लगभग 162 मेगावॉट है। राज्य में अपनी परियोजनाओं से लगभग 80 मेगावॉट बिजली पैदा की जा रही है। लगभग 40 मेगावॉट बिजली पूर्वोत्तर क्षेत्र में स्थित केंद्रीय क्षेत्र के विद्युत उत्पादन केंद्रों से राज्य के लिए आबंटित हिस्से से प्राप्त की जाती है। यह आकलन किया गया है कि वर्ष 2012 के दौरान सर्वोच्च मांग लगभग 396 मेगावॉट को भी पूरा कर दिया जाएगा जो 'राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना' तथा 'राज्य के औद्योगिकीकरण' के परिणामस्वरूप उत्पन्न होगी।<br /> | |||
''' | '''त्रिपुरा की नई विद्युत परियोजनाएं''' | ||
# बारामुरा 1 x 21 मेगावॉट जीटी परियोजना, एन.ई.सी. के अंतर्गत पश्चिम त्रिपुरा एन.ई.सी., कार्यकारी एजेंसी: टी.एस.ई.सी.एल.। | |||
# पालटाना, उदयपुर, ओ.टी.पी.सी. विद्युत परियोजना (740 मेगावॉट), दक्षिण त्रिपुरा। त्रिपुरा का हिस्सा 200 मेगावॉट है। 2011-12 में शुरू होने की संभावना है। | |||
# मोनारचक जी.टी. परियोजना (104 मेगावॉट) : कार्यकारी एजेंसी : नीपको, 2010- में शुरू हो जाने की संभावना है। | |||
==परिवहन== | |||
पहाड़ी स्थलाकृति के कारण यहाँ संचार में कठिनाई आती है। तीन ओर से (839 किलोमीटर) [[बांग्लादेश]] से घिरे होने के कारण त्रिपुरा शेष [[भारत]] से लगभग कटा हुआ है। अगरतला-करीमगंज ([[असम]]) सड़क (3,666 किलोमीटर) एकमात्र भू-मार्ग है और धर्मनगर से [[असम]] के कलकली घाट तक मीटर गेज़ रेलवे लाइन (45 किलोमीटर) है। यहाँ की अधिकांश नदियों में नावें चलती हैं, लेकिन इनका उपयोग स्थानीय परिवहन के लिए ही होता है। | |||
[[चित्र:Lake-Agartala-Tripura.jpg|thumb|250px|[[अगरतला]] में एक झील, त्रिपुरा]] | |||
;सड़क मार्ग | |||
त्रिपुरा में विभिन्न प्रकार की सड़कों की कुल लंबाई 1,997 कि.मी. है, जिसमें से मुख्य ज़िला सड़कें 90 कि.मी., अन्य ज़िला सड़कें 1,218 कि.मी. और प्रांतीय राजमार्ग 689 कि.मी हैं। | |||
;रेल मार्ग | |||
*अगरतला-सबरूम संपर्क रेल लाइन विस्तार के कार्य को केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है। | |||
*अगरतला और सबरूम के बीच एक नई बड़ी लाइन के लिए इंजीनियरिंग और यातायात के सर्वेक्षण को मंजूरी दे दी गई है। | |||
;हवाई मार्ग | |||
*त्रिपुरा राज्य का मुख्य हवाई अड्डा अगरतला में है। | |||
*अगरतला [[कोलकाता]] ([[पश्चिम बंगाल]]) और असम के विभिन्न नगरों से वायु मार्ग द्वारा जुड़ा है। राज्य के भीतर भी [[वायुसेना]] उपलब्ध है। | |||
*नागरिक उड्डयन मंत्रालय से अनुरोध किया गया है कि वह इंडियन एयरलाइंस और इस क्षेत्र में काम कर रही अन्य निजी उड्डयन कंपनियों से कहें कि वे अगरतला और सिलचर के बीच बारास्ता कैलाशहर व कमालपुर उडान सेवा शुरू करें। मंत्रालय ने राज्य सरकार से कहा है कि वह पूर्वोत्तर परिषद के साथ एक आशय-पत्र हस्ताक्षर कर ले और कैलाशहर व कमालपुर हवाई अड्डों के विकास पर आने वाले व्यय को वहन करें। राज्य सरकार ने इस प्रस्ताव पर सहमत होने में अपनी असमर्थता जताई हैं। | *नागरिक उड्डयन मंत्रालय से अनुरोध किया गया है कि वह इंडियन एयरलाइंस और इस क्षेत्र में काम कर रही अन्य निजी उड्डयन कंपनियों से कहें कि वे अगरतला और सिलचर के बीच बारास्ता कैलाशहर व कमालपुर उडान सेवा शुरू करें। मंत्रालय ने राज्य सरकार से कहा है कि वह पूर्वोत्तर परिषद के साथ एक आशय-पत्र हस्ताक्षर कर ले और कैलाशहर व कमालपुर हवाई अड्डों के विकास पर आने वाले व्यय को वहन करें। राज्य सरकार ने इस प्रस्ताव पर सहमत होने में अपनी असमर्थता जताई हैं। | ||
==शिक्षा== | |||
[[21 जनवरी]] [[1972]] में त्रिपुरा के संपूर्ण राज्य बनने के बाद से शिक्षा के क्षेत्र में राज्य ने तेज गति से विकास किया है। आकार में छोटा लेकिन बेहद ख़ूबसूरत राज्य त्रिपुरा, क्षेत्र और क्षेत्र के बाहर के विद्यार्थिंयों के लिए शिक्षा की बहुत अच्छी सुविधा उपलब्ध करा रहा है। प्रदेश में शासकीय विद्यालयों के साथ-साथ निजी विद्यालय भी संचालित किए जा रहे हैं। धार्मिक शिक्षा प्रदान करने वाले बहुत से धार्मिक संस्थान भी इस छोटे से भारतीय राज्य में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। | |||
;विद्यालय | |||
त्रिपुरा के विद्यालय या तो त्रिपुरा माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (टीबीएसई) या केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से संबद्ध हैं। कुछ विद्यालय कौंसिल फ़ॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एक्जामिनेशन्स (सीआईएससीई) से भी संबद्ध हैं। प्रदेश में लगभग 4,287 विद्यालय हैं, जिनमें से 2,378 जूनियर बेसिक, 1,139 के लगभग सीनियर बेसिक, 459 उच्च और 311 उच्चतर माध्यमिक विद्यालय राज्य सरकार और एडीसी प्राधिकरण द्वारा चलाए जा रहे हैं। सभी श्रेणियों के 34,985 से अधिक शिक्षक राज्य सरकार द्वारा संचालित इस शिक्षा संजाल को चलायमान रखने में लगे हैं। | |||
;शिक्षा विभाग | |||
त्रिपुरा का शिक्षा विभाग अपने पूरे दम-खम के साथ राज्य की शिक्षा व्यवस्था को उच्च गुणवत्तायुक्त तथा प्रगतिशील बनाने में लगा है। राज्य की न केवल साक्षरता बल्कि शिक्षा गुणवत्ता भी बढ़ाने की दिशा में एक मेहनती प्रयास किया जा रहा है। दो प्रमुख कार्यक्रम (1) सर्वशिक्षा अभियान और (2) मध्याह्न भोजन, राज्य में सफलतापूर्वक शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के माध्यम से चल रहे हैं। माध्यमिक शिक्षा तक पहुंच के सार्वभौमीकरण के लिए एक और नया कार्यक्रम राष्ट्रीय 'माध्यमिक शिक्षा अभियान' अपने प्रारंभ किए जाने की अवस्था में पहुंच चुका है। यह 2010-11 से प्रारंभ किया जाना है और शिक्षा विभाग इस दिशा में सभी प्रारंभिक क़दम उठा रहा है। विद्यालय शिक्षा विभाग शिक्षा बीच में छोड़ने वालों की संख्या शून्य तक लाने और सर्वशिक्षा अभियान के द्वारा प्रदेश की प्रारंभिक शिक्षा में भागीदारी शत प्रतिशत तक लाने पर ज़ोर दे रही है। | |||
;विश्वविद्यालय | |||
प्रदेश में [[त्रिपुरा विश्वविद्यालय]] नामक एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है, इससे जुड़े 15 शासकीय डिग्री महाविद्यालय, एक राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी), दो पॉलीटेक्निक संस्थानों जिनमें से एक ख़ासतौर पर महिलाओं के लिए है, के अलावा त्रिपुरा प्रौद्योगिकी संस्थान (टीआईटी) नामक राज्य का प्रौद्योगिकी संस्थान भी है। दक्षिणी त्रिपुरा ज़िले हेतु एक पॉलीटेक्निक की स्थापना को स्वीकृति मिल चुकी है, जबकि उत्तरी त्रिपुरा और ढ़लाई ज़िले में दो पॉलीटेक्निक संस्थानों की स्थापना निकट भविष्य में होने की उम्मीद है। | |||
;महाविद्यालय | |||
राज्य में दो चिकित्सा महाविद्यालय और एक वेटेरनरी, फिशरी और कृषि महाविद्यालय है। भारतीय विद्या भवन द्वारा संचालित एक निजी विज्ञान महाविद्यालय भी है। इक्फाई नामक एक निजी विश्वविद्यालय भी अपनी सेवाएं प्रदान कर रहा है। विभिन्न अनुभागों में उच्च शिक्षा की आकांक्षा रखने वाले विद्यार्थियों की बढ़ रही संख्या की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए छह नए शासकीय डिग्री महाविद्यालयों की स्थापना की जाएगी। | |||
==त्योहार== | ==सांस्कृतिक जीवन== | ||
[[चित्र:Woman-Tripura.jpg|thumb|250px|महिला, त्रिपुरा]] | |||
जनजातीय रीति-रिवाज, लोककथाएं व लोकगीत त्रिपुरा की संस्कृति के महत्त्वपूर्ण तत्त्व हैं। दो प्रमुख वार्षिक उत्सव गडिया ([[अप्रॅल]]) और कास ([[जून]] या [[जुलाई]]) हैं, जिनमें पशुओं की बलि चढ़ाई जाती है। हर समुदाय का अपना नृत्य है, जैसे रियांग का होजागिरि, त्रिपुरी का गडिया, झूम, मालमिता, मसक सुमनी और लेबांग बूमनी, चकमा का बीजू, लुसाई का केर और वेल्कम, मलसुम का हाई-हाक, गारो का वंगाला, मोग का संगरैका चिमिथांग, पडिशा और अभंगमा, कटई और जमतिया का गडिया, बंगाली समुदाय का गंजन, धमैल, सरी और रबींद्र संगीत, मणिपुरी समुदाय का बसंत राश और पुंगचलाम, प्रमुख संगीत वाद्य खंब, [[बाँसुरी]], लेबांग, सरिंदा, दोतारा और खेंगरोंग हैं। [[सचिन देव बर्मन]] और [[राहुल देव बर्मन]] जैसे प्रसिद्ध संगीतकार इसी राज्य की देन हैं। राज्य से 15 बांग्ला व दो अंग्रेज़ी दैनिक समाचार पत्र प्रकाशित होते हैं। | |||
====त्योहार==== | |||
निम्नलिखित त्योहार मनाये जाते है- | निम्नलिखित त्योहार मनाये जाते है- | ||
*तीर्थमुख और उनाकोटी में मकर संक्रांति | *तीर्थमुख और उनाकोटी में [[मकर संक्रांति]] | ||
*होली | *[[होली]] | ||
*उनोकोटी, ब्रहाकुंड (मोहनपुर) में अशोकाष्टमी | *उनोकोटी, ब्रहाकुंड (मोहनपुर) में अशोकाष्टमी | ||
*राश | *राश | ||
पंक्ति 54: | पंक्ति 98: | ||
*केर और खाची उत्सव | *केर और खाची उत्सव | ||
*दुर्गापूजा | *दुर्गापूजा | ||
* | *[[दिवाली]] | ||
*जंपुई पहाडियों में क्रिसमस | *जंपुई पहाडियों में क्रिसमस | ||
*बुद्ध पूर्णिमा | *बुद्ध पूर्णिमा | ||
*रॉबिंदर-नजरूल-सुकांता उत्सव | *रॉबिंदर-नजरूल-सुकांता उत्सव | ||
*गली नाट्य उत्सव | *गली नाट्य उत्सव | ||
पंक्ति 66: | पंक्ति 109: | ||
*मुरासिंग उत्सव | *मुरासिंग उत्सव | ||
*संघाटी उत्सव | *संघाटी उत्सव | ||
*बैसाखी उत्सव (सबरूम) आदि हर वर्ष मनाए जाते हैं। | *[[बैसाखी]] उत्सव (सबरूम) आदि हर वर्ष मनाए जाते हैं। | ||
==पर्यटन समारोह== | ====पर्यटन समारोह==== | ||
#आरेंज एंड टूरिज्म फेस्टिवल वांगमुन | #आरेंज एंड टूरिज्म फेस्टिवल वांगमुन | ||
#उनोकेटि टूरिज्म फेस्टिवल | #उनोकेटि टूरिज्म फेस्टिवल | ||
#नीरमहल टूरिज्म फेस्टिवल | #नीरमहल टूरिज्म फेस्टिवल | ||
#पिलक टुरिज्म | #पिलक टुरिज्म फेस्टिवल | ||
#सांस्कृतिक/धार्मिक उत्सव | #सांस्कृतिक/धार्मिक उत्सव | ||
==पर्यटन स्थल== | ==पर्यटन== | ||
*अगरतला | त्रिपुरा हर दृष्टि से पर्यटन के लिए उपयुक्त राज्य है। त्रिपुरा में अनेक स्थल हैं। यहाँ देखने तथा घूमने-फिरने के लिए कई स्थान एवं स्थल हैं। राज्य संस्कृति की दृष्टि से भी संपन्न है। यह राज्य पूर्वोत्तर राज्यों के मुकाबले पर्यटन की अधिक संभावनाओं से पूर्ण है। यहां पूर्वोत्तर के राज्यों के अलावा बांग्लादेश जाने वाले पर्यटक भी आकर्षित होते हैं। होटल उद्योग के विकास के साथ ही यहां पर्यटन की संभावनाएं भी बढ़ी हैं। [[मई]] [[1995]] में देशी व विदेशी पर्यटकों के लिए प्रतिबंधित क्षेत्र अनुमति-पत्र की समाप्ति के बाद [[1996]] में यहाँ लगभग दो लाख पर्यटक आए। राज्य में और अधिक पर्यटकों को आकर्षित करने की क्षमता है। [[कोलकाता]] व [[गुवाहाटी]] से राजधानी [[अगरतला]] तक वायुमार्ग द्वारा पहुँचा जा सकता है। खोवाल, कमालपुर और कैलाशहर तीन छोटे हवाई अड्डे हैं। | ||
;विकास की संभावनाएं | |||
[[चित्र:View-Of-Agartala.jpg|thumb|250px|[[अगरतला]] का एक दृश्य, त्रिपुरा]] | |||
पर्यटकों के आकर्षण के साथ ही राज्य में इसके विकास की भारी संभावनाएं हैं। 10,491.69 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र के साथ यह देश के सबसे छोटे राज्यो मे से एक है। लेकिन अपने प्राचीन इतिहास, सौंदर्य, पर्वतीय इलाकों की सुंदरता, हरियाली, संस्कृति, रहन सहन एवं परिवेश तथा अच्छे मौसम की वजह से इसे पर्यटन में ख़ासा लाभ हो सकता है। पर्यटकों की सुविधा के लिए राज्य को दो पर्यटक इकाईयों में बांटा गया है। पहला है पश्चिम-दक्षिण त्रिपुरा तथा दूसरा है पश्चिमोत्तर क्षेत्र, जो धलाई ज़िले तक है। पूरे राज्य में पर्यटन की अपार संभावना है, ख़ासकर ईको-पर्यटन, धार्मिक पर्यटन, हेरिटेज पर्यटन, पर्वतीय पर्यटन तथा ग्रामीण पर्यटन। | |||
;परिवहन | |||
यह राज्य [[गुवाहाटी]] से रेलमार्ग द्वारा भी जुड़ा है। नज़दीकी रेलशीर्ष कुमारघाट में है। यह अगरतला से जुड़ा है, जो यहाँ से लगभग 140 किलोमीटर दूर है। [[शिलांग]] होकर गुज़रते राष्ट्रीय राजमार्ग-44 से गुवाहाटी से अगरतला तक 24 घंटे में बस द्वारा पहुँचा जा सकता है। इस मार्ग पर निजी एवं सार्वजनिक आरामदायक बसें उपलब्ध हैं। इसके अलावा, [[असम]] में सिल्चर तक वायु या सड़क मार्ग द्वारा पहुँचने के बाद सड़क मार्ग द्वारा अगरतला पहुँचा जा सकता है। विदेशी पर्यटक अखौरा सीमा नियंत्रण चौकी से होते हुए [[बांग्लादेश]] से भी अगरतला पहुँच सकते हैं। ढाका से अगरतला तक की सड़क यात्रा लगभग तीन घंटे की है। | |||
;महल | |||
यहाँ के पर्यटन स्थलों में [[अगरतला]] स्थित [[उज्जयंत महल]], [[कुंजबन महल]]/ रबींद्र कानन और मालंचा निवास शामिल हैं। अगरतला से 55 किलोमीटर दूर [[नीरमहल]]/रुद्रसागर झील व 178 किलोमीटर की दूरी पर उनाकोटी शैल शिल्प है, जो कैलाशहर से आठ किलोमीटर दूर है। अगरतला में अशोकाष्टमी मेला हर साल अप्रॅल महीने में लगता है। | |||
;अभयारण्य | |||
अगरतला से 75 किलोमीटर दूर गुमटी ([[गोमती नदी]]) के किनारे [[उदयपुर]] और अमरपुर के बीच स्थित देवतामुरा शैल प्रतिमाएँ/ चाब्लमुरा एक अन्य पर्यटक स्थल है। गुमटी नदी के दाएँ किनारे पर उदयपुर में भुवनेश्वरी मंदिर है, जहाँ [[रबींद्रनाथ टैगोर]] ने बिसर्जन और राजर्षि की रचना की थी। अगरतला से 25 किलोमीटर की दूरी पर सेपाहीजाला वन्यजीव अभयारण्य है, इसमें लगभग 150 प्रजातियों के पक्षी और चश्मे के जैसे निशान वाले विख्यात [[बंदर]] पाए जाते हैं। | |||
तृष्णा वन्यजीव अभयारण्य अगरतला से लगभग 100 किलोमीटर दूर दक्षिण त्रिपुरा ज़िले में स्थित है। अगरतला से 27 किलोमीटर की दूरी पर [[कमलासागर झील]] और लगभग 200 किलोमीटर दूर [[मिज़ोरम]] की सीमा के पास जमपुई पर्वत है, जिसकी ऊँचाई समुद्र तल से लगभग 914 मीटर है। त्रिपुरा की सबसे ऊँची चोटी बेतलोंगछिप यहीं स्थित है। | |||
;सरकारी आवास | |||
पर्यटन की दृष्टि से सभी महत्त्वपूर्ण स्थानों पर सरकारी आवास उपलब्ध है। साथ ही निजी होटल और अतिथिगृह भी हैं, लेकिन ये अधिकांशतः अगरतला में स्थित हैं। राज्य के पर्यटन विभाग ने कई पर्यटन परिपथों की पहचान की है, जिनमें से अधिकांश कोलकाता (भूतपूर्व कलकत्ता) और राज्य की राजधानी से शुरू होते हैं। [[1987]] में पर्यटन को यहाँ उद्योग घोषित किया गया और राज्य सरकार पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई प्रकार के प्रोत्साहन देती है। | |||
====पर्यटन स्थल==== | |||
[[चित्र:Panorama-Of-Ujjayanta-Palace-Agartala.jpg|thumb|450px|[[उज्जयंत महल]] का विहंगम दृश्य]] | |||
*[[अगरतला]] | |||
*कमल सागर | *कमल सागर | ||
*सेफाजाला | *सेफाजाला | ||
पंक्ति 86: | पंक्ति 145: | ||
*जामपुई हिल | *जामपुई हिल | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
<references/> | |||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{त्रिपुरा के पर्यटन स्थल}} | |||
{{राज्य और के. शा. प्र.}} | |||
{{त्रिपुरा प्रदेश के ज़िले}} | {{त्रिपुरा प्रदेश के ज़िले}} | ||
{{राज्य और के. शा. प्र.}} | {{राज्य और के. शा. प्र.2}} | ||
[[Category:भारत के राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश]][[Category:राज्य संरचना]] | [[Category:भारत के राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश]][[Category:राज्य संरचना]] | ||
[[Category:त्रिपुरा]] | [[Category:त्रिपुरा]][[Category:अद्यतन]] | ||
[[Category:चुनाव अद्यतन]] | |||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
__NOTOC__ |
10:24, 11 जून 2022 के समय का अवतरण
त्रिपुरा
| |
राजधानी | अगरतला |
राजभाषा(एँ) | बांग्ला भाषा, कक बराक भाषा |
स्थापना | 21 जनवरी, 1972 |
जनसंख्या | 27,57,205[1] |
· घनत्व | 263[1] /वर्ग किमी |
क्षेत्रफल | 10,492 वर्ग किमी[1] |
भौगोलिक निर्देशांक | 23.84°N 91.28°E |
· ग्रीष्म | 36.2 °C |
· शरद | 7 °C |
ज़िले | 4[1] |
लिंग अनुपात | 1000:945[1] ♂/♀ |
साक्षरता | 73.2% |
राज्यपाल | सत्यदेव नारायण आर्य[2] |
मुख्यमंत्री | माणिक साहा[1] |
राजकीय वृक्ष | अगर |
बाहरी कड़ियाँ | अधिकारिक वेबसाइट |
अद्यतन | 15:54, 11 जून 2022 (IST)
|
त्रिपुरा भारत का एक राज्य है। त्रिपुरा दक्षिण एशिया के पूर्वोत्तर भाग में स्थित है। त्रिपुरा उत्तर, पश्चिम व दक्षिण में बांग्लादेश, पूर्व में मिज़ोरम और पूर्वोत्तर में असम राज्य से घिरा है। त्रिपुरा का क्षेत्रफल सिर्फ़ 10,486 वर्ग किमी है और यह गोवा तथा सिक्किम के बाद भारत का तीसरा सबसे छोटा राज्य है। देश के बाक़ी हिस्से से अलग-थलग रहने, पहाड़ी भूभाग व जनजातीय आबादी के आरण त्रिपुरा में भी भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्रों की समस्याएँ मौजूद हैं। त्रिपुरा की राजधानी अगरतला है।
इतिहास
त्रिपुरा का इतिहास बहुत पुराना और लंबा है। इसकी अपनी अनोखी जनजातीय संस्कृति और दिलचस्प लोकगाथाएं है। बंगाली और त्रिपुरी भाषा (कोक बोरोक) यहाँ मुख्य रूप से बोली जाती हैं। ऐसा माना जाता है कि राजा त्रिपुर, जो ययाति वंश का 39 वाँ राजा था, उनके नाम पर ही इस राज्य का नाम त्रिपुरा पड़ा । एक मत के अनुसार स्थानीय देवी त्रिपुर सुन्दरी के नाम पर इसका नाम त्रिपुरा पड़ा। यह हिन्दू धर्म की 51 शक्ति पीठों में से एक है। इस राज्य के इतिहास को ‘राजमाला’ गाथाओं और मुसलमान इतिहासकारों के वर्णनों से जाना जा सकता है। महाभारत और पुराणों में भी त्रिपुरा का उल्लेख मिलता है।
'राजमाला' के अनुसार त्रिपुरा के शासकों को ‘फा’ उपनाम से पुकारा जाता था जिसका अर्थ ‘पिता’ होता है। 14वीं शताब्दी में बंगाल के शासकों द्वारा त्रिपुरा नरेश की मदद किए जाने का भी उल्लेख मिलता है। त्रिपुरा की स्थापना 14वीं शताब्दी में 'माणिक्य' नामक इंडो-मंगोलियन आदिवासी मुखिया ने की थी, जिसने हिन्दू धर्म अपनाया था। त्रिपुरा के शासकों को मुग़लों के बार-बार आक्रमण का भी सामना करना पडा जिसमें आक्रमणकारियों को कम ही सफलता मिलती थी। कई लड़ाइयों में त्रिपुरा के शासकों ने बंगाल के सुल्तानों को हराया। 19वीं शताब्दी में 'महाराजा वीरचंद्र किशोर माणिक्य बहादुर' के शासनकाल में त्रिपुरा में नए युग का सूत्रपात हुआ। उन्होंने अपने प्रशासनिक ढांचे को ब्रिटिश भारत के नमूने पर बनाया और कई सुधार लागू किए। उनके उत्तराधिकारों ने 15 अक्तूबर, 1949 तक त्रिपुरा पर शासन किया। इसके बाद त्रिपुरा भारत संघ में शामिल हो गया। प्रारम्भ में यह भाग - सी के अंतर्गत आने वाला राज्य था और 1956 में राज्यों के पुनर्गठन के बाद यह केंद्रशासित प्रदेश बना। 1972 में इसने पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त किया। त्रिपुरा बांग्लादेश तथा म्यांमार की नदी घाटियों के बीच स्थित है। इसके तीन तरफ बांग्लादेश है और केवल उत्तर-पूर्व में यह असम और मिज़ोरम से जुड़ा हुआ है। अगरतला त्रिपुरा प्रान्त की राजधानी है।
भूगोल
मध्य एवं उत्तरी त्रिपुरा एक पहाड़ी क्षेत्र है, जिसे पूर्व से पश्चिम की ओर चार प्रमुख घाटियाँ, धर्मनगर, कैलाशहर, कमालपुर और खोवाई, काटती हैं। ये घाटियाँ उत्तर की ओर बहने वाली नदियों (जूरी, मनु व देव, ढलाई और खोवाई) द्वारा निर्मित हैं। पश्चिम व दक्षिण की निचली घाटियाँ खुली व दलदली हैं, हालांकि दक्षिण में भूभाग बहुत अधिक कटा हुआ और घने जंगलों से ढका है। उत्तर से दक्षिण की ओर उन्मुख श्रेणियाँ घाटियों को अलग करती हैं। धर्मनगर घाटी के पूर्व में जमराई त्लंग की ऊँचाई 600 और 900 मीटर के बीच है। पश्चिम की ओर क्रमश: सखान त्लंग, लंगतराई और आर्थरमुरा पर्वतश्रेणियों की ऊंचाई घटते क्रम में है। सुदूर पश्चिम में स्थित पहाड़ी देवतामुरा की ऊँचाई सिर्फ़ 244 मीटर है।
देवतामुरा पर्वतश्रेणी के पश्चिम में अगरतला मैदान है, जो गंगा-ब्रह्मपुत्र निम्नभूमि का विस्तार है तथा इसकी ऊँचाई 61 मीटर से कम है। इस क्षेत्र को कई नदियाँ अपवाहित करती हैं, जिनमें सबसे बड़ी नदी गुमटी का उद्गम पूर्वी पहाड़ियों राधाकिशोरपुर के निकट एक खड़े किनारों वाली घाटी में स्थित है।
लगभग आधा राज्य जंगलों से ढका है; हालांकि खेती के लिए इनकी व्यापक कटाई हुई है, इनमें अब भी महत्त्वपूर्ण वृक्ष पाए जाते हैं, जिनमें मज़बूत लकड़ी है। यहाँ (शोरिया रोबस्टा) शामिल है, जो सागौन के बाद सबसे अधिक क़ीमती लकड़ी है। यहाँ के प्राणियों में बाघ, तेंदुआ, हाथी, सियार, जगंली कुत्ते, जगंली सुअर, गयाल सांड़ जगंली भैंस तथा गौर शामिल हैं।
जलवायु
त्रिपुरा की जलवायु कम गर्म तथा आर्द्र होती है। त्रिपुरा राज्य की जलवायु आदर्श बारिश के लिए अनुकूल हैं। जून से सितंबर तक रहने वाले मॉनसून के मौसम में 2,000 मिमी से अधिक वर्षा होती है। निचले इलाक़ों में ग्रीष्म ऋतु में अधिकतम औसत तापमान 35° से. होता है, हालांकि पहाड़ों में मौसम ठंडा होता है।
अर्थव्यवस्था
|
कृषि
- त्रिपुरा की अर्थव्यवस्था प्राथमिक रूप से कृषि पर आधारित है।
- मुख्य फ़सल चावल है[3] और पूरे राज्य में इसकी खेती होती है।
- नक़दी फ़सलों मे जूट[4], कपास चाय, गन्ना, मेस्ता और फल शामिल हैं।
- त्रिपुरा राज्य की कृषि में पशुपालन की सहायक भूमिका है।
- वनोपज आधारित उद्योग इमारती लकड़ी ईंधन और लकड़ी के कोयले का उत्पादन करते है।
- 1994 में चाय का उत्पादन 35,55,593 किलोग्राम था।
उद्योग
यहाँ मुख्यतः छोटे पैमाने पर निर्माण कार्य होता है, जिसमें बुनाई, बढ़ईगिरि, टोकरी व मिट्टी के बर्तन बनाने जैसे कई कुटीर उद्योग शामिल हैं। छोटे पैमाने के उद्योगों के विकास को बढ़ाने में राज्य सरकार सक्रिय है। बांस व बेंत हस्तशिल्प में कक्ष विभाजक, फ़र्नीचर भित्तिपट्टिका, टेबल मैट और फ़र्श पर बिछाने वाली चटाइयाँ शामिल हैं, जिन्हें स्थानीय स्तर पर बनाया जाता है। औद्योगिक इकाइयाँ, चाय, चीनी डिब्बाबंद फल कृषि औज़ार ईंट और जूते-चप्पल बनाती हैं। अपेक्षाकृत बड़े उपक्रमों में कताई मिल, जूट मिल, इस्पात मिल, प्लाईवुड फ़ैक्टी और औषधि संयंत्र शामिल हैं। अगरतला अंबासा खोवाई, धर्मनगर, कैलाशहर, उदयपुर और बगाफा में स्थित डीज़ल चालित ताप संयंत्रों से बिजली मिलती है। इसके अलावा गुमटी पनबिजली परियोजना (1976 में पूरी हुई) से भी बिजली मिलती है। इसकी कुल स्थापित क्षमता 6,935 मेगावाट है। राज्य में हाल ही में प्राकृतिक गैस के व्यापक संसाधनों की खोज हुई है।
सिंचाई
त्रिपुरा राज्य मुख्यत: पहाड़ी इलाका है। त्रिपुरा राज्य में त्रिपुरा पहाड़ियाँ भी स्थित है। इसका भौगोलिक क्षेत्र 10,49,169 हेक्टेयर है। अनुमान है कि 2,80,000 हेक्टेयर भूमि कृषि योग्य है। 31 मार्च, 2008 तक 93,359 हेक्टेयर भूमि क्षेत्र में लिफ्ट सिंचाई, गहरे नलकूप, दिशा परिवर्तन, मध्यम सिंचाई व्यवस्था, शैलो ट्यूबवैल आदि के जरिए सुनिश्चित सिंचाई के प्रबंधन किए गए हैं। यह राज्य की सिंचाई योग्य भूमि का 79.97 प्रतिशत और कृषि योग्य भूमि का लगभग 33.34 प्रतिशत है। लोक निर्माण विभाग (जल संसाधन) द्वारा 1411 डाइवर्ज़न स्कीम, 166 गहरे नलकूप स्कीमें पूरी की जा चुकी हैं। 3 मध्यम सिंचाई योजनाओं (गुमती, खोवई और मनु) के जरिए कमान एरिया के कुछ भाग को सिंचाई का पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। नहर प्रणाली का कार्य 2009-10 तक पूरा हो जाने की उम्मीद है।
बिजली
इस समय राज्य की बिजली की मांग लगभग 162 मेगावॉट है। राज्य में अपनी परियोजनाओं से लगभग 80 मेगावॉट बिजली पैदा की जा रही है। लगभग 40 मेगावॉट बिजली पूर्वोत्तर क्षेत्र में स्थित केंद्रीय क्षेत्र के विद्युत उत्पादन केंद्रों से राज्य के लिए आबंटित हिस्से से प्राप्त की जाती है। यह आकलन किया गया है कि वर्ष 2012 के दौरान सर्वोच्च मांग लगभग 396 मेगावॉट को भी पूरा कर दिया जाएगा जो 'राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना' तथा 'राज्य के औद्योगिकीकरण' के परिणामस्वरूप उत्पन्न होगी।
त्रिपुरा की नई विद्युत परियोजनाएं
- बारामुरा 1 x 21 मेगावॉट जीटी परियोजना, एन.ई.सी. के अंतर्गत पश्चिम त्रिपुरा एन.ई.सी., कार्यकारी एजेंसी: टी.एस.ई.सी.एल.।
- पालटाना, उदयपुर, ओ.टी.पी.सी. विद्युत परियोजना (740 मेगावॉट), दक्षिण त्रिपुरा। त्रिपुरा का हिस्सा 200 मेगावॉट है। 2011-12 में शुरू होने की संभावना है।
- मोनारचक जी.टी. परियोजना (104 मेगावॉट) : कार्यकारी एजेंसी : नीपको, 2010- में शुरू हो जाने की संभावना है।
परिवहन
पहाड़ी स्थलाकृति के कारण यहाँ संचार में कठिनाई आती है। तीन ओर से (839 किलोमीटर) बांग्लादेश से घिरे होने के कारण त्रिपुरा शेष भारत से लगभग कटा हुआ है। अगरतला-करीमगंज (असम) सड़क (3,666 किलोमीटर) एकमात्र भू-मार्ग है और धर्मनगर से असम के कलकली घाट तक मीटर गेज़ रेलवे लाइन (45 किलोमीटर) है। यहाँ की अधिकांश नदियों में नावें चलती हैं, लेकिन इनका उपयोग स्थानीय परिवहन के लिए ही होता है।
- सड़क मार्ग
त्रिपुरा में विभिन्न प्रकार की सड़कों की कुल लंबाई 1,997 कि.मी. है, जिसमें से मुख्य ज़िला सड़कें 90 कि.मी., अन्य ज़िला सड़कें 1,218 कि.मी. और प्रांतीय राजमार्ग 689 कि.मी हैं।
- रेल मार्ग
- अगरतला-सबरूम संपर्क रेल लाइन विस्तार के कार्य को केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है।
- अगरतला और सबरूम के बीच एक नई बड़ी लाइन के लिए इंजीनियरिंग और यातायात के सर्वेक्षण को मंजूरी दे दी गई है।
- हवाई मार्ग
- त्रिपुरा राज्य का मुख्य हवाई अड्डा अगरतला में है।
- अगरतला कोलकाता (पश्चिम बंगाल) और असम के विभिन्न नगरों से वायु मार्ग द्वारा जुड़ा है। राज्य के भीतर भी वायुसेना उपलब्ध है।
- नागरिक उड्डयन मंत्रालय से अनुरोध किया गया है कि वह इंडियन एयरलाइंस और इस क्षेत्र में काम कर रही अन्य निजी उड्डयन कंपनियों से कहें कि वे अगरतला और सिलचर के बीच बारास्ता कैलाशहर व कमालपुर उडान सेवा शुरू करें। मंत्रालय ने राज्य सरकार से कहा है कि वह पूर्वोत्तर परिषद के साथ एक आशय-पत्र हस्ताक्षर कर ले और कैलाशहर व कमालपुर हवाई अड्डों के विकास पर आने वाले व्यय को वहन करें। राज्य सरकार ने इस प्रस्ताव पर सहमत होने में अपनी असमर्थता जताई हैं।
शिक्षा
21 जनवरी 1972 में त्रिपुरा के संपूर्ण राज्य बनने के बाद से शिक्षा के क्षेत्र में राज्य ने तेज गति से विकास किया है। आकार में छोटा लेकिन बेहद ख़ूबसूरत राज्य त्रिपुरा, क्षेत्र और क्षेत्र के बाहर के विद्यार्थिंयों के लिए शिक्षा की बहुत अच्छी सुविधा उपलब्ध करा रहा है। प्रदेश में शासकीय विद्यालयों के साथ-साथ निजी विद्यालय भी संचालित किए जा रहे हैं। धार्मिक शिक्षा प्रदान करने वाले बहुत से धार्मिक संस्थान भी इस छोटे से भारतीय राज्य में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
- विद्यालय
त्रिपुरा के विद्यालय या तो त्रिपुरा माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (टीबीएसई) या केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से संबद्ध हैं। कुछ विद्यालय कौंसिल फ़ॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एक्जामिनेशन्स (सीआईएससीई) से भी संबद्ध हैं। प्रदेश में लगभग 4,287 विद्यालय हैं, जिनमें से 2,378 जूनियर बेसिक, 1,139 के लगभग सीनियर बेसिक, 459 उच्च और 311 उच्चतर माध्यमिक विद्यालय राज्य सरकार और एडीसी प्राधिकरण द्वारा चलाए जा रहे हैं। सभी श्रेणियों के 34,985 से अधिक शिक्षक राज्य सरकार द्वारा संचालित इस शिक्षा संजाल को चलायमान रखने में लगे हैं।
- शिक्षा विभाग
त्रिपुरा का शिक्षा विभाग अपने पूरे दम-खम के साथ राज्य की शिक्षा व्यवस्था को उच्च गुणवत्तायुक्त तथा प्रगतिशील बनाने में लगा है। राज्य की न केवल साक्षरता बल्कि शिक्षा गुणवत्ता भी बढ़ाने की दिशा में एक मेहनती प्रयास किया जा रहा है। दो प्रमुख कार्यक्रम (1) सर्वशिक्षा अभियान और (2) मध्याह्न भोजन, राज्य में सफलतापूर्वक शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के माध्यम से चल रहे हैं। माध्यमिक शिक्षा तक पहुंच के सार्वभौमीकरण के लिए एक और नया कार्यक्रम राष्ट्रीय 'माध्यमिक शिक्षा अभियान' अपने प्रारंभ किए जाने की अवस्था में पहुंच चुका है। यह 2010-11 से प्रारंभ किया जाना है और शिक्षा विभाग इस दिशा में सभी प्रारंभिक क़दम उठा रहा है। विद्यालय शिक्षा विभाग शिक्षा बीच में छोड़ने वालों की संख्या शून्य तक लाने और सर्वशिक्षा अभियान के द्वारा प्रदेश की प्रारंभिक शिक्षा में भागीदारी शत प्रतिशत तक लाने पर ज़ोर दे रही है।
- विश्वविद्यालय
प्रदेश में त्रिपुरा विश्वविद्यालय नामक एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है, इससे जुड़े 15 शासकीय डिग्री महाविद्यालय, एक राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी), दो पॉलीटेक्निक संस्थानों जिनमें से एक ख़ासतौर पर महिलाओं के लिए है, के अलावा त्रिपुरा प्रौद्योगिकी संस्थान (टीआईटी) नामक राज्य का प्रौद्योगिकी संस्थान भी है। दक्षिणी त्रिपुरा ज़िले हेतु एक पॉलीटेक्निक की स्थापना को स्वीकृति मिल चुकी है, जबकि उत्तरी त्रिपुरा और ढ़लाई ज़िले में दो पॉलीटेक्निक संस्थानों की स्थापना निकट भविष्य में होने की उम्मीद है।
- महाविद्यालय
राज्य में दो चिकित्सा महाविद्यालय और एक वेटेरनरी, फिशरी और कृषि महाविद्यालय है। भारतीय विद्या भवन द्वारा संचालित एक निजी विज्ञान महाविद्यालय भी है। इक्फाई नामक एक निजी विश्वविद्यालय भी अपनी सेवाएं प्रदान कर रहा है। विभिन्न अनुभागों में उच्च शिक्षा की आकांक्षा रखने वाले विद्यार्थियों की बढ़ रही संख्या की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए छह नए शासकीय डिग्री महाविद्यालयों की स्थापना की जाएगी।
सांस्कृतिक जीवन
जनजातीय रीति-रिवाज, लोककथाएं व लोकगीत त्रिपुरा की संस्कृति के महत्त्वपूर्ण तत्त्व हैं। दो प्रमुख वार्षिक उत्सव गडिया (अप्रॅल) और कास (जून या जुलाई) हैं, जिनमें पशुओं की बलि चढ़ाई जाती है। हर समुदाय का अपना नृत्य है, जैसे रियांग का होजागिरि, त्रिपुरी का गडिया, झूम, मालमिता, मसक सुमनी और लेबांग बूमनी, चकमा का बीजू, लुसाई का केर और वेल्कम, मलसुम का हाई-हाक, गारो का वंगाला, मोग का संगरैका चिमिथांग, पडिशा और अभंगमा, कटई और जमतिया का गडिया, बंगाली समुदाय का गंजन, धमैल, सरी और रबींद्र संगीत, मणिपुरी समुदाय का बसंत राश और पुंगचलाम, प्रमुख संगीत वाद्य खंब, बाँसुरी, लेबांग, सरिंदा, दोतारा और खेंगरोंग हैं। सचिन देव बर्मन और राहुल देव बर्मन जैसे प्रसिद्ध संगीतकार इसी राज्य की देन हैं। राज्य से 15 बांग्ला व दो अंग्रेज़ी दैनिक समाचार पत्र प्रकाशित होते हैं।
त्योहार
निम्नलिखित त्योहार मनाये जाते है-
- तीर्थमुख और उनाकोटी में मकर संक्रांति
- होली
- उनोकोटी, ब्रहाकुंड (मोहनपुर) में अशोकाष्टमी
- राश
- बंगाली नववर्ष
- गारिया, धामेल, बिजू और होजगिरि उत्सव
- नौका दौड़ और मनसा मंगल उत्सव
- केर और खाची उत्सव
- दुर्गापूजा
- दिवाली
- जंपुई पहाडियों में क्रिसमस
- बुद्ध पूर्णिमा
- रॉबिंदर-नजरूल-सुकांता उत्सव
- गली नाट्य उत्सव
- चोंगप्रेम उत्सव
- खंपुई उत्सव
- वाह उत्सव
- सांस्कृतिक उत्सव (लोक उत्सव)
- मुरासिंग उत्सव
- संघाटी उत्सव
- बैसाखी उत्सव (सबरूम) आदि हर वर्ष मनाए जाते हैं।
पर्यटन समारोह
- आरेंज एंड टूरिज्म फेस्टिवल वांगमुन
- उनोकेटि टूरिज्म फेस्टिवल
- नीरमहल टूरिज्म फेस्टिवल
- पिलक टुरिज्म फेस्टिवल
- सांस्कृतिक/धार्मिक उत्सव
पर्यटन
त्रिपुरा हर दृष्टि से पर्यटन के लिए उपयुक्त राज्य है। त्रिपुरा में अनेक स्थल हैं। यहाँ देखने तथा घूमने-फिरने के लिए कई स्थान एवं स्थल हैं। राज्य संस्कृति की दृष्टि से भी संपन्न है। यह राज्य पूर्वोत्तर राज्यों के मुकाबले पर्यटन की अधिक संभावनाओं से पूर्ण है। यहां पूर्वोत्तर के राज्यों के अलावा बांग्लादेश जाने वाले पर्यटक भी आकर्षित होते हैं। होटल उद्योग के विकास के साथ ही यहां पर्यटन की संभावनाएं भी बढ़ी हैं। मई 1995 में देशी व विदेशी पर्यटकों के लिए प्रतिबंधित क्षेत्र अनुमति-पत्र की समाप्ति के बाद 1996 में यहाँ लगभग दो लाख पर्यटक आए। राज्य में और अधिक पर्यटकों को आकर्षित करने की क्षमता है। कोलकाता व गुवाहाटी से राजधानी अगरतला तक वायुमार्ग द्वारा पहुँचा जा सकता है। खोवाल, कमालपुर और कैलाशहर तीन छोटे हवाई अड्डे हैं।
- विकास की संभावनाएं
पर्यटकों के आकर्षण के साथ ही राज्य में इसके विकास की भारी संभावनाएं हैं। 10,491.69 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र के साथ यह देश के सबसे छोटे राज्यो मे से एक है। लेकिन अपने प्राचीन इतिहास, सौंदर्य, पर्वतीय इलाकों की सुंदरता, हरियाली, संस्कृति, रहन सहन एवं परिवेश तथा अच्छे मौसम की वजह से इसे पर्यटन में ख़ासा लाभ हो सकता है। पर्यटकों की सुविधा के लिए राज्य को दो पर्यटक इकाईयों में बांटा गया है। पहला है पश्चिम-दक्षिण त्रिपुरा तथा दूसरा है पश्चिमोत्तर क्षेत्र, जो धलाई ज़िले तक है। पूरे राज्य में पर्यटन की अपार संभावना है, ख़ासकर ईको-पर्यटन, धार्मिक पर्यटन, हेरिटेज पर्यटन, पर्वतीय पर्यटन तथा ग्रामीण पर्यटन।
- परिवहन
यह राज्य गुवाहाटी से रेलमार्ग द्वारा भी जुड़ा है। नज़दीकी रेलशीर्ष कुमारघाट में है। यह अगरतला से जुड़ा है, जो यहाँ से लगभग 140 किलोमीटर दूर है। शिलांग होकर गुज़रते राष्ट्रीय राजमार्ग-44 से गुवाहाटी से अगरतला तक 24 घंटे में बस द्वारा पहुँचा जा सकता है। इस मार्ग पर निजी एवं सार्वजनिक आरामदायक बसें उपलब्ध हैं। इसके अलावा, असम में सिल्चर तक वायु या सड़क मार्ग द्वारा पहुँचने के बाद सड़क मार्ग द्वारा अगरतला पहुँचा जा सकता है। विदेशी पर्यटक अखौरा सीमा नियंत्रण चौकी से होते हुए बांग्लादेश से भी अगरतला पहुँच सकते हैं। ढाका से अगरतला तक की सड़क यात्रा लगभग तीन घंटे की है।
- महल
यहाँ के पर्यटन स्थलों में अगरतला स्थित उज्जयंत महल, कुंजबन महल/ रबींद्र कानन और मालंचा निवास शामिल हैं। अगरतला से 55 किलोमीटर दूर नीरमहल/रुद्रसागर झील व 178 किलोमीटर की दूरी पर उनाकोटी शैल शिल्प है, जो कैलाशहर से आठ किलोमीटर दूर है। अगरतला में अशोकाष्टमी मेला हर साल अप्रॅल महीने में लगता है।
- अभयारण्य
अगरतला से 75 किलोमीटर दूर गुमटी (गोमती नदी) के किनारे उदयपुर और अमरपुर के बीच स्थित देवतामुरा शैल प्रतिमाएँ/ चाब्लमुरा एक अन्य पर्यटक स्थल है। गुमटी नदी के दाएँ किनारे पर उदयपुर में भुवनेश्वरी मंदिर है, जहाँ रबींद्रनाथ टैगोर ने बिसर्जन और राजर्षि की रचना की थी। अगरतला से 25 किलोमीटर की दूरी पर सेपाहीजाला वन्यजीव अभयारण्य है, इसमें लगभग 150 प्रजातियों के पक्षी और चश्मे के जैसे निशान वाले विख्यात बंदर पाए जाते हैं।
तृष्णा वन्यजीव अभयारण्य अगरतला से लगभग 100 किलोमीटर दूर दक्षिण त्रिपुरा ज़िले में स्थित है। अगरतला से 27 किलोमीटर की दूरी पर कमलासागर झील और लगभग 200 किलोमीटर दूर मिज़ोरम की सीमा के पास जमपुई पर्वत है, जिसकी ऊँचाई समुद्र तल से लगभग 914 मीटर है। त्रिपुरा की सबसे ऊँची चोटी बेतलोंगछिप यहीं स्थित है।
- सरकारी आवास
पर्यटन की दृष्टि से सभी महत्त्वपूर्ण स्थानों पर सरकारी आवास उपलब्ध है। साथ ही निजी होटल और अतिथिगृह भी हैं, लेकिन ये अधिकांशतः अगरतला में स्थित हैं। राज्य के पर्यटन विभाग ने कई पर्यटन परिपथों की पहचान की है, जिनमें से अधिकांश कोलकाता (भूतपूर्व कलकत्ता) और राज्य की राजधानी से शुरू होते हैं। 1987 में पर्यटन को यहाँ उद्योग घोषित किया गया और राज्य सरकार पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई प्रकार के प्रोत्साहन देती है।
पर्यटन स्थल
- अगरतला
- कमल सागर
- सेफाजाला
- नीरमहल
- उदयपुर
- पिलक
- महामुनि
- वेस्ट - नॉर्थ त्रिपुरा
- दुम्बूर झील
- उनोकोटि
- जामपुई हिल
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 1.3 1.4 1.5 Tripura at a Glance - Statistics (अंग्रेज़ी) (एच.टी.एम.एल) त्रिपुरा की आधिकारिक वेबसाइट। अभिगमन तिथि: 13 मई, 2012।
- ↑ राज्यपाल (हिंदी) भारत की आधिकारिक वेबसाइट। अभिगमन तिथि: 30 जनवरी, 2016।
- ↑ कृषि उत्पादन का 46.16 प्रतिशत
- ↑ जिसका इस्तेमाल बोरी, टाट और सुतली बनाने में होता है
संबंधित लेख