"त्रयोदशी": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
आदित्य चौधरी (वार्ता | योगदान) छो (Text replacement - "मृतप्राय:" to "मृतप्राय") |
|||
(2 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 6 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
*त्रयोदशी बुधवार को मृत्युदा तथा मंगलवार को सिद्धिदा होती है। | *त्रयोदशी बुधवार को मृत्युदा तथा मंगलवार को सिद्धिदा होती है। | ||
*त्रयोदशी तिथि की दिशा दक्षिण है। | *त्रयोदशी तिथि की दिशा दक्षिण है। | ||
*शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी में समस्त शुभ कार्य किये जाते हैं, किंतु [[कृष्ण पक्ष]] की त्रयोदशी को चन्द्रमा के क्षीण हो मृतप्राय | *शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी में समस्त शुभ कार्य किये जाते हैं, किंतु [[कृष्ण पक्ष]] की त्रयोदशी को चन्द्रमा के क्षीण हो मृतप्राय होने से समस्त शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं। | ||
*गर्गसंहिता के अनुसार त्रयोदशी को निम्न कार्य करना चाहिये- | *गर्गसंहिता के अनुसार त्रयोदशी को निम्न कार्य करना चाहिये- | ||
<poem> | <poem> | ||
पंक्ति 23: | पंक्ति 23: | ||
{{प्रचार}} | |||
{{लेख प्रगति | {{लेख प्रगति | ||
|आधार=आधार1 | |आधार=आधार1 | ||
पंक्ति 31: | पंक्ति 32: | ||
}} | }} | ||
{{संदर्भ ग्रंथ}} | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
पंक्ति 38: | पंक्ति 40: | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{तिथि}} | {{तिथि}} | ||
[[Category:कैलंडर]] | [[Category:कैलंडर]] | ||
[[Category:संस्कृति कोश]] | |||
[[Category:हिन्दू धर्म]] [[Category:हिन्दू धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]] | |||
__INDEX__ | __INDEX__ |
13:45, 9 मई 2021 के समय का अवतरण
- सूर्य से चन्द्र का अन्तर जब 145° से 156° तक होता है, तब शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी और 313° से 336° तक कृष्ण त्रयोदशी रहती है।
- इसके स्वामी कामदेव हैं।
- त्रयोदशी तिथि का विशेषण ‘जयकरा’ है।
- त्रयोदशी बुधवार को मृत्युदा तथा मंगलवार को सिद्धिदा होती है।
- त्रयोदशी तिथि की दिशा दक्षिण है।
- शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी में समस्त शुभ कार्य किये जाते हैं, किंतु कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को चन्द्रमा के क्षीण हो मृतप्राय होने से समस्त शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं।
- गर्गसंहिता के अनुसार त्रयोदशी को निम्न कार्य करना चाहिये-
जया त्रयोदशीमाह कर्तव्यं कर्म शोभनम्।
वस्त्रमाल्यमलंकारविप्राण्याभरणानि च।।
सौभाग्यकरणं स्त्रीणां कन्यावरणमेव च।
मुण्डनं युग्मवसनं कामं विन्द्याच्च देवताम्।।
- शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी शिवार्चन हेतु शुभ तथा कृष्ण पक्ष की अशुभ होती है।
- त्रयोदशी की अमृत कला का पान कुबेर करते हैं।
- विशेष – दोनों पक्षों की त्रयोदशी को निरन्तरता के साथ कामदेव की पूजा करते रहने से अविवाहितों का विवाह हो जाता है तथा स्वयं रूपवान एवं तेजस्वी होता है।
- भविष्य पुराण के अनुसार -
कामदेवं त्रयोदश्यां सुरूपो जायते ध्रुवम्।
इष्टां रूपवतीं भार्यां लभेत्कामांश्च पुष्कलान्।।
|
|
|
|
|