"कुमारपाल चरित": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
('*लगभग 1089-1173 ई. के बीच इस ग्रंथ की रचना हेमचन्द्र ने की ...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "{{लेख प्रगति |आधार=आधार1 |प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}" to "{{लेख प्रगति |आधार= |प्रारम्भि�) |
||
(2 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 4 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
*इस ग्रंथ को द्वयाश्रय भी कहा जाता है। | *इस ग्रंथ को द्वयाश्रय भी कहा जाता है। | ||
{{प्रचार}} | |||
{{लेख प्रगति | {{लेख प्रगति |आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
|आधार= | {{संदर्भ ग्रंथ}} | ||
|प्रारम्भिक= | |||
|माध्यमिक= | |||
|पूर्णता= | |||
|शोध= | |||
}} | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
==संबंधित लेख== | |||
{{संस्कृत साहित्य2}} | |||
[[Category:संस्कृत साहित्य]] | [[Category:संस्कृत साहित्य]] | ||
[[Category:साहित्य कोश]] | [[Category:साहित्य कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
07:26, 27 जुलाई 2012 के समय का अवतरण
- लगभग 1089-1173 ई. के बीच इस ग्रंथ की रचना हेमचन्द्र ने की थी।
- 20 सर्गो में विभाजित इस ग्रंथ से गुजरात के चालुक्यवंशीय शासकों के विस्तृत इतिहास की जानकारी मिलती है।
- बीस सर्गो में प्रथम बारह सर्ग संस्कृत भाषा में एवं अन्तिम आठ सर्ग प्राकृत भाषा में लिखे गये हैं।
- इस ग्रंथ को द्वयाश्रय भी कहा जाता है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ