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-[[सूर्यकांत त्रिपाठी निराला | -[[सूर्यकांत त्रिपाठी निराला]] | ||
+नरेन्द्र शर्मा | +नरेन्द्र शर्मा | ||
-[[रामधारी सिंह दिनकर | -[[रामधारी सिंह दिनकर]] | ||
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-[[नागपुर]] के [[सूर्यवंश|सूर्यवंशी]] भोंसला मकरन्द शाह के | -[[नागपुर]] के [[सूर्यवंश|सूर्यवंशी]] भोंसला मकरन्द शाह के | ||
-चित्रकूट नरेश रुद्रदेव के | -चित्रकूट नरेश रुद्रदेव के | ||
||आमेर नरेश मिर्ज़ा [[जयसिंह]] [[मुग़ल काल|मुग़ल]] दरबार का सर्वाधिक प्रभावशाली सामंत था, वह [[औरंगज़ेब]] की आँख का काँटा बना हुआ था। जिस समय दक्षिण में शिवाजी के विजय−अभियानों की घूम थी, और उनसे युद्ध करने में | ||आमेर नरेश मिर्ज़ा [[जयसिंह]] [[मुग़ल काल|मुग़ल]] दरबार का सर्वाधिक प्रभावशाली सामंत था, वह [[औरंगज़ेब]] की आँख का काँटा बना हुआ था। जिस समय दक्षिण में शिवाजी के विजय−अभियानों की घूम थी, और उनसे युद्ध करने में [[अफ़ज़ल ख़ाँ]] एवं [[शाइस्ता ख़ाँ]] की हार हुई थी, तथा राजा [[यशवंतसिंह]] को भी सफलता मिली थी; तब [[औरंगज़ेब]] ने मिर्ज़ा राजा जयसिंह को शिवाजी को दबाने के लिए भेजा था। इस प्रकार वह एक तीर से दो शिकार करना चाहता था। जयसिंह ने बड़ी बुद्धिमत्ता, वीरता और कूटनीति से [[शिवाजी]] को औरंगज़ेब से संधि करने के लिए राजी किया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[जयसिंह]] | ||
{[[तुलसीदास]] का वह ग्रंथ कौनसा है, जिसमें ज्योतिष का वर्णन किया गया है? | {[[तुलसीदास]] का वह ग्रंथ कौनसा है, जिसमें ज्योतिष का वर्णन किया गया है? | ||
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-वात्सल्य रस | -वात्सल्य रस | ||
-अद्भुत रस | -अद्भुत रस | ||
{'समांतर कहानी' के प्रवर्तक कौन थे? | {'समांतर कहानी' के प्रवर्तक कौन थे? | ||
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-मोहन राकेश | -मोहन राकेश | ||
-मन्मथनाथ गुप्त | -मन्मथनाथ गुप्त | ||
{सर्वप्रथम किस आलोचक ने अपने किस ग्रंथ में 'देव बड़े हैं कि बिहारी' विवाद को जन्म दिया? | {सर्वप्रथम किस आलोचक ने अपने किस ग्रंथ में 'देव बड़े हैं कि बिहारी' विवाद को जन्म दिया? | ||
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+[[सूरदास|सूर]], [[तुलसीदास|तुलसी]], [[जायसी]] | +[[सूरदास|सूर]], [[तुलसीदास|तुलसी]], [[जायसी]] | ||
-[[कबीर]], [[सूरदास|सूर]], [[तुलसीदास|तुलसी]] | -[[कबीर]], [[सूरदास|सूर]], [[तुलसीदास|तुलसी]] | ||
||'''सूरदास''' - | ||'''सूरदास''' - हिन्दी साहित्य में [[भक्तिकाल]] में [[कृष्ण]] भक्ति के भक्त कवियों में महाकवि सूरदास का नाम अग्रणी है। सूरदास जी वात्सल्य रस के सम्राट माने जाते हैं। उन्होंने श्रृंगार और शान्त रसों का भी बड़ा मर्मस्पर्शी वर्णन किया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सूरदास]] | ||
||'''तुलसीदास''' - गोस्वामी तुलसीदास [1497(1532 | ||'''तुलसीदास''' - गोस्वामी तुलसीदास [1497(1532) - 1623] एक महान कवि थे। उनका जन्म राजापुर, (वर्तमान बाँदा ज़िला) [[उत्तर प्रदेश]] में हुआ था। तुलसीदास द्वारा रचित ग्रंथों की संख्या 39 बताई जाती है। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[तुलसीदास]] | ||
||'''मलिक मुहम्मद जायसी''' - मलिक मुहम्मद जायसी (जन्म- 1397 | ||'''मलिक मुहम्मद जायसी''' - मलिक मुहम्मद जायसी (जन्म- 1397 ई. और 1494 ई. के बीच, मृत्यु- 1542 ई.) भक्ति काल की निर्गुण प्रेमाश्रयी धारा व मलिक वंश के कवि हैं। जायसी अत्यंत उच्चकोटि के सरल और उदार सूफ़ी महात्मा थे। हिन्दी के प्रसिद्ध सूफ़ी कवि, जिनके लिए केवल 'जायसी' शब्द का प्रयोग भी, उनके उपनाम की भाँति, किया जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[मलिक मुहम्मद जायसी]] | ||
{भक्तिकाल में एक ऐसा कवि हुआ, जिसने अपने भाव व्यक्त करने के लिए [[उर्दू भाषा|उर्दू]], [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]], खड़ीबोली आदि के शब्दों का मुक्त उपयोग किया है? | {भक्तिकाल में एक ऐसा कवि हुआ, जिसने अपने भाव व्यक्त करने के लिए [[उर्दू भाषा|उर्दू]], [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]], खड़ीबोली आदि के शब्दों का मुक्त उपयोग किया है? |
06:59, 13 जनवरी 2011 का अवतरण
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