"भारतकोश:Quotations/बुधवार": अवतरणों में अंतर
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*महानता अहंकार रहित होती है, तुच्छता अहंकार की सीमा पर पहुँच जाती है। -'''तिरुवल्लुवर''' (तिरुक्कुरल, 969) | *महानता अहंकार रहित होती है, तुच्छता अहंकार की सीमा पर पहुँच जाती है। -'''तिरुवल्लुवर''' (तिरुक्कुरल, 969) | ||
*कबीर सो धन संचिये, जो आगै कूँ होइ।<br>सीस चढ़ाये पोटली, ले जात न देख्या कोइ॥ -'''[[कबीर]]''' (कबीर ग्रन्थावली, पृ॰ 33) '''[[सूक्ति और कहावत|.... और पढ़ें]]''' | *कबीर सो धन संचिये, जो आगै कूँ होइ।<br>सीस चढ़ाये पोटली, ले जात न देख्या कोइ॥ -'''[[कबीर]]''' (कबीर ग्रन्थावली, पृ॰ 33) '''[[सूक्ति और कहावत|.... और पढ़ें]]''' |
06:14, 11 मई 2011 का अवतरण
- महानता अहंकार रहित होती है, तुच्छता अहंकार की सीमा पर पहुँच जाती है। -तिरुवल्लुवर (तिरुक्कुरल, 969)
- कबीर सो धन संचिये, जो आगै कूँ होइ।
सीस चढ़ाये पोटली, ले जात न देख्या कोइ॥ -कबीर (कबीर ग्रन्थावली, पृ॰ 33) .... और पढ़ें