"औरंगाबाद महाराष्ट्र": अवतरणों में अंतर

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====<u>ऐतिहासिक स्मारक</u>====
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इन प्राचीन गुफाओं के अतिरिक्त औरंगाबाद में मध्यकालीन स्मारक भी हैं। [[मलिक अम्बर]] ने जल वितरण की व्यवस्था नगर से पाँच मील दूर से की थी, उसके अवशेष आज भी दृष्टव्य हैं। मलिक अम्बर के समय का नौखण्डा महल और काली मस्जिद अन्य ऐतिहासिक स्मारक हैं। [[औरंगजेब]] की बेगम रबिया- उददौरानी का मकबरा या बीवी का मकबरा, [[ताजमहल]] की असफल अनुकृति है। इसका निर्माण कार्य अताउल्ला खाँ के नेतृत्व में 1679 ई. सम्पन्न हुआ। इसमें लौह निर्मित प्रवेश द्वारों पर फूल-पत्तियों की बेलें उकेरी गयी हैं। जो धातु कला के सुन्दर उदाहरण हैं। मकबरे की कब्र के चारों ओर सफ़ेद संगमरमर के अठपहले पर्दों और उसकी उभरी डिजाइनों में सुन्दर कारीगरी दिखायी गयी है। कला मर्मज्ञ पर्सी ब्राउन ने इस इमारत को वास्तुकला की उन्नति का एक ज्वलंत उदाहरण माना है।  
इन प्राचीन गुफाओं के अतिरिक्त औरंगाबाद में मध्यकालीन स्मारक भी हैं। [[मलिक अम्बर]] ने जल वितरण की व्यवस्था नगर से पाँच मील दूर से की थी, उसके अवशेष आज भी दृष्टव्य हैं। मलिक अम्बर के समय का नौखण्डा महल और काली मस्जिद अन्य ऐतिहासिक स्मारक हैं। [[औरंगजेब]] की बेगम रबिया- उददौरानी का मकबरा या बीवी का मकबरा, [[ताजमहल]] की असफल अनुकृति है। इसका निर्माण कार्य अताउल्ला खाँ के नेतृत्व में 1679 ई. सम्पन्न हुआ। इसमें लौह निर्मित प्रवेश द्वारों पर फूल-पत्तियों की बेलें उकेरी गयी हैं। जो धातु कला के सुन्दर उदाहरण हैं। मकबरे की क़ब्र के चारों ओर सफ़ेद संगमरमर के अठपहले पर्दों और उसकी उभरी डिजाइनों में सुन्दर कारीगरी दिखायी गयी है। कला मर्मज्ञ पर्सी ब्राउन ने इस इमारत को वास्तुकला की उन्नति का एक ज्वलंत उदाहरण माना है।  
====<u>जनसंख्या</u>====
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[[2001]] की जनगणना के अनुसार औरंगाबाद नगर निगम क्षेत्र की जनसंख्या 8,72,667 है, और औरंगाबाद ज़िले की जनसंख्या 29,20, 548 है।  
[[2001]] की जनगणना के अनुसार औरंगाबाद नगर निगम क्षेत्र की जनसंख्या 8,72,667 है, और औरंगाबाद ज़िले की जनसंख्या 29,20, 548 है।  

13:26, 31 जनवरी 2011 का अवतरण

बीबी का मक़बरा, औरंगाबाद
Bibi Ka Maqbara, Aurangabad

औरंगाबाद नगर मध्य-पश्चिम महाराष्ट्र राज्य के पश्चिमी भारत में कौम नदी के तट पर स्थित। यह खाड़की नाम से प्रसिद्ध है। औरंगाबाद नगर ने भारतीय इतिहास को कई करवटें लेते देखा है। इतिहास की परस्पर विरोधी धाराओं से टकराता हुआ औरंगाबाद अपने ख़ास व्यक्तित्व को लिए आज भी खड़ा है।

अतीत

महाराष्ट्र के दक्खन के पठार के मध्य में स्थित भारतीय इतिहास में ईसा पूर्व चौथी सदी से लेकर अठारहवीं सदी के बीच आये मोड़ों का प्रत्यक्ष साझीदार यह शहर आज तक अपने को सुरक्षित रख सका है। इसी कारण यहाँ अतीत और वर्तमान के बीच सम्बन्ध सूत्र स्थापित हो गया है। पहले सातवाहनों और फिर वाकाटकों के हाथों में यहाँ की राजसत्ता आयी। इसके बाद यहाँ बादामी के चालुक्य वंश और राष्ट्रकूटों का शासन रहा। ऐश्वर्यशाली यादव वंश के उदय से पूर्व यहाँ कल्याणी के चालुक्य वंश का राज्य था।

स्थापना

इस नगर की स्थापना 1610 ई. में मलिक अम्बर ने की थी। 1626 ई. में मलिक अम्बर के पुत्र फतेह ने इस नगर का नाम अपने नाम पर फतेहनगर रख दिया। कालांतर में मुग़ल शहंशाह औरंगज़ेब ने इसके समीप ही ताजमहल जैसा बीबी का मक़बरा बनवाया और नगर का नाम खाड़की से बदलकर औरंगाबाद कर दिया। हैदराबाद के राजधानी बन जाने की वजय से, पहले स्वतन्त्र निज़ाम का मुख्यालय रह चुके इस शाहीनगर का विकास नहीं हो सका। 1947 में हैदराबाद के अधिमिलन के बाद यह भारतीय गणराज्य का अंग बन गया।

अजंता की गुफाएं, औरंगाबाद
Ajanta Caves, Aurangabad

प्रसिद्धि

औरंगाबाद कलात्मक रेशमी वस्त्रों विशेषकर शॉल के लिए प्रसिद्ध है। मराठवाड़ा विश्वविद्यालय (1958) यहाँ का विख्यात शिक्षा केन्द्र है। जिससे अनेक महाविद्यालय संबद्ध हैं। सुप्रसिद्ध व ऐतिहासिक अजंता की गुफ़ाएँ और एलोरा की गुफ़ाएँ समीप होने के कारण यह एक प्रख्यात पर्यटन स्थल भी बन गया है।

औरंगाबाद की गुफाएँ

एलोरा की गुफ़ाएं, औरंगाबाद
Ellora Caves, Aurangabad

औरंगाबाद शहर से एक मील की दूरी पर सह्माद्रि की पहाड़ियों पर औरंगाबाद की गुफाएँ है। ये गुफाएँ चालुक्य वंश के काल में छठी और सातवीं सदी ईस्वी के बीच बनायी गयीं। सभी गुफाएँ बौद्ध धर्म से प्रेरित चैत्य एवं विहार हैं। परम्परा के अनुसार चैत्य गुफाएँ धार्मिक पूजा-अर्चना और चिंतन-तपश्चर्या के लिए होती थी, तो विहार धर्मोपदेश के लिए सभागृह का काम करते थे। गुफा संख्या 3 को छोड़कर शेष गुफाओं की स्थापत्य एवं शिल्पकला स्थूल एवं निम्नकोटि की है। फिर भी यहाँ कुछ नारी-शिल्प आकारों का गठन तथा भाव की सूक्ष्मता के कारण सुन्दर बन पड़े हैं। गुफा संख्या 3 की उल्लेखनीय बात यह है कि अब तक जातक कथाओं के सन्दर्भ, भित्ति चित्रों की भाषा में अजंता की गुफ़ाओं में उजागर हुए हैं, पर यहाँ वे शिल्प कला के रूप में मूर्त्त हुए हैं। इसमें महात्मा बुद्ध की एक विशाल प्रतिमा है। गुफा संख्या 7 में मन्दिर गर्भ में बुद्ध की भव्यमूर्ति प्रलम्बपाद मुद्रा में स्थित है। सीधी तरफ बोधिसत्वों तथा तारा के शिल्प हैं। और बायीं तरफ नृत्य समारोह का आकर्षक पैनल है। यह पैनल जिसमें मुख्य नर्तकी के दोनों तरफ स्त्री वादक हैं, भारतीय नृत्य परम्परा का आदर्श प्रस्तुत करता है। पूरा पैनल इस खूबी से तराशा गया है कि त्रिमित आयाम का प्रभाव बड़ी खूबी से जान पड़ता है। इन मूर्तियों के अलंकृत मुकुट और भाव-भंगिमाएँ आदि सभी में एक ऐसी संगति है कि समूचा पैनल लय और कम्पन के कला आयामों के साथ जीवंत बन जाता है।

घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग

ऐतिहासिक स्मारक

इन प्राचीन गुफाओं के अतिरिक्त औरंगाबाद में मध्यकालीन स्मारक भी हैं। मलिक अम्बर ने जल वितरण की व्यवस्था नगर से पाँच मील दूर से की थी, उसके अवशेष आज भी दृष्टव्य हैं। मलिक अम्बर के समय का नौखण्डा महल और काली मस्जिद अन्य ऐतिहासिक स्मारक हैं। औरंगजेब की बेगम रबिया- उददौरानी का मकबरा या बीवी का मकबरा, ताजमहल की असफल अनुकृति है। इसका निर्माण कार्य अताउल्ला खाँ के नेतृत्व में 1679 ई. सम्पन्न हुआ। इसमें लौह निर्मित प्रवेश द्वारों पर फूल-पत्तियों की बेलें उकेरी गयी हैं। जो धातु कला के सुन्दर उदाहरण हैं। मकबरे की क़ब्र के चारों ओर सफ़ेद संगमरमर के अठपहले पर्दों और उसकी उभरी डिजाइनों में सुन्दर कारीगरी दिखायी गयी है। कला मर्मज्ञ पर्सी ब्राउन ने इस इमारत को वास्तुकला की उन्नति का एक ज्वलंत उदाहरण माना है।

जनसंख्या

2001 की जनगणना के अनुसार औरंगाबाद नगर निगम क्षेत्र की जनसंख्या 8,72,667 है, और औरंगाबाद ज़िले की जनसंख्या 29,20, 548 है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

ऐतिहासिक स्थल कोश (पेज न.-47)

वीथिका

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