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*जो कमज़ोर होता है वही सदा रोष करता है और द्वेष करता है। हाथी चींटी से द्वेष नहीं करता। चींटी, चींटी से द्वेष करती है। -'''[[महात्मा गाँधी]]''' (नवजीवन, 16-1-1912) | *जो कमज़ोर होता है वही सदा रोष करता है और द्वेष करता है। हाथी चींटी से द्वेष नहीं करता। चींटी, चींटी से द्वेष करती है। -'''[[महात्मा गाँधी]]''' (नवजीवन, 16-1-1912) | ||
*धन खोकर अगर हम अपनी आत्मा को पा सकें, तो यह कोई महँगा सौदा नहीं है। -'''[[प्रेमचंद|प्रेमचन्द]]''' (गोदान, पृ॰297 | *धन खोकर अगर हम अपनी आत्मा को पा सकें, तो यह कोई महँगा सौदा नहीं है। -'''[[प्रेमचंद|प्रेमचन्द]]''' (गोदान, पृ॰297) '''[[सूक्ति और कहावत|.... और पढ़ें]]''' | ||
06:15, 11 मई 2011 का अवतरण
- जो कमज़ोर होता है वही सदा रोष करता है और द्वेष करता है। हाथी चींटी से द्वेष नहीं करता। चींटी, चींटी से द्वेष करती है। -महात्मा गाँधी (नवजीवन, 16-1-1912)
- धन खोकर अगर हम अपनी आत्मा को पा सकें, तो यह कोई महँगा सौदा नहीं है। -प्रेमचन्द (गोदान, पृ॰297) .... और पढ़ें