"उत्तराडो साधु": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
('*दादूपंथी साधुओं के पाँच प्रकार हैं #खालसा #नागा #उत्...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "==टीका टिप्पणी और संदर्भ==" to "{{संदर्भ ग्रंथ}} ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==") |
||
पंक्ति 20: | पंक्ति 20: | ||
|शोध= | |शोध= | ||
}} | }} | ||
{{संदर्भ ग्रंथ}} | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
[[Category:नया पन्ना]] | [[Category:नया पन्ना]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
08:29, 21 मार्च 2011 का अवतरण
- दादूपंथी साधुओं के पाँच प्रकार हैं
- खालसा
- नागा
- उत्तराडी
- विरक्त
- ख़ाकी
- उत्तराडी साधुओं की मंडली पंजाब में बनवारीदास ने बनाई थी।
- इनमें बहुत से विद्वान साधु होते थे, जो कि अन्य साधुओं को पढ़ाते थे।
- कुछ वैद्य होते थे।
- दादूपंथी साधुओं की प्रथम तीन श्रेणियों के सदस्य जो चाहे व्यवसाय कर सकते थे। किन्तु चौथी श्रेणी, अर्थात् विरक्त न कोई पेशा कर सकते हैं, न द्रव्य छू सकते थे।
- ख़ाकी साधु भभूत (भस्म) लपेटे रहते हैं और भाँति-भाँति की तपस्या करते हैं।
- तीनों श्रेणियों के साधु ब्रह्मचारी होते हैं और गृहस्थ लोग सेवक कहलाते हैं।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ