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*अकक्षेंद्र [[सिकन्दर]] के आक्रमण के कारण के वृत्तांत में ग्रीक लेखकों ने इस पटल नामक नगर के बारे में उल्लेख किया है। वह भी बहमनाबाद के निकट ही स्थित होगा।  
*अकक्षेंद्र [[सिकन्दर]] के आक्रमण के कारण के वृत्तांत में ग्रीक लेखकों ने इस पटल नामक नगर के बारे में उल्लेख किया है। वह भी बहमनाबाद के निकट ही स्थित होगा।  
*एरियन ने इसे ब्रेह्म्नोई (Brahmanoi) ने लिखा है और प्लूटार्क ने भी इसका उल्लेख किया है। राजशेखर ने काव्य मीमांसा में इसे ब्राह्मणावह लिखा है।  
*एरियन ने इसे ब्रेह्म्नोई (Brahmanoi) ने लिखा है और प्लूटार्क ने भी इसका उल्लेख किया है। राजशेखर ने काव्य मीमांसा में इसे ब्राह्मणावह लिखा है।  
*अलक्षेंद्र (सिकन्दर) के इतिहास-लेखकों के अनुसार इसी स्थान से यवन आक्रांता ने अपनी सेना के एक भाग को समुद्र द्वारा अपने देश को वापस भेजना निश्चित किया था।  
*अलक्षेंद्र (सिकन्दर) के [[इतिहास]]-लेखकों के अनुसार इसी स्थान से [[यवन]] आक्रांता ने अपनी सेना के एक भाग को समुद्र द्वारा अपने देश को वापस भेजना निश्चित किया था।  
*सन [[1957]] में पाकिस्तान शासन की ओर से इस स्थान पर खुदाई करवाई गई थी, जिससे बहमनाबाद की अति प्राचीन बस्ती के अवशेष प्राप्त हुए हैं।  
*सन [[1957]] में पाकिस्तान शासन की ओर से इस स्थान पर खुदाई करवाई गई थी, जिससे बहमनाबाद की अति प्राचीन बस्ती के अवशेष प्राप्त हुए हैं।  



10:37, 13 फ़रवरी 2011 का अवतरण

  • बहमनाबाद वर्तमान समय में पाकिस्तान में सिन्धु नदी के मुहाने के निकट स्थित अति प्राचीन नगर है।
  • विसेंट स्मिथ के अनुसार इस नगर का नाम ईरान के शाह बहमन अथवा अहसुर (465-425 ई.पू.) के नाम पर हुआ था। गुशतासिब का पौत्र था, किंतु यहाँ प्रागैतिहासिक अवशेष मिलने के कारण यह स्थान इससे कहीं भी अधिक प्राचीन जान पड़ता है।
  • अकक्षेंद्र सिकन्दर के आक्रमण के कारण के वृत्तांत में ग्रीक लेखकों ने इस पटल नामक नगर के बारे में उल्लेख किया है। वह भी बहमनाबाद के निकट ही स्थित होगा।
  • एरियन ने इसे ब्रेह्म्नोई (Brahmanoi) ने लिखा है और प्लूटार्क ने भी इसका उल्लेख किया है। राजशेखर ने काव्य मीमांसा में इसे ब्राह्मणावह लिखा है।
  • अलक्षेंद्र (सिकन्दर) के इतिहास-लेखकों के अनुसार इसी स्थान से यवन आक्रांता ने अपनी सेना के एक भाग को समुद्र द्वारा अपने देश को वापस भेजना निश्चित किया था।
  • सन 1957 में पाकिस्तान शासन की ओर से इस स्थान पर खुदाई करवाई गई थी, जिससे बहमनाबाद की अति प्राचीन बस्ती के अवशेष प्राप्त हुए हैं।



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