"नारद पांचरात्र": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
('*वैष्णव सम्प्रदाय के आधारभूत ग्रंथ भागवत पांचरा...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
No edit summary |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
*[[वैष्णव सम्प्रदाय]] के आधारभूत ग्रंथ [[भागवत]] पांचरात्र सम्प्रदाय की 16 संहिताएँ, नारद पांचरात्र '16वीं संहिता' का एक ग्रंथ है। | *[[वैष्णव सम्प्रदाय]] के आधारभूत ग्रंथ [[भागवत]] पांचरात्र सम्प्रदाय की 16 संहिताएँ, नारद पांचरात्र '16वीं संहिता' का एक ग्रंथ है। | ||
*रात्र का अर्थ है ज्ञान। | *रात्र का अर्थ है ज्ञान। | ||
*[[वासुदेव]], [[संकर्षण]], [[प्रद्युम्न]], [[अनिरुद्ध]] और [[ब्रह्मा]] इन पाँचों का व्यूह, विभरअंतर्यामी और अर्चा इन पाँच रूपों का ज्ञान जिस शास्त्र में है, उसे पांचरात्र कहते हैं। | *[[वासुदेव]], [[संकर्षण]], [[प्रद्युम्न]], [[अनिरुद्ध]] और [[ब्रह्मा]] इन पाँचों का व्यूह, विभरअंतर्यामी और अर्चा, इन पाँच रूपों का ज्ञान जिस शास्त्र में है, उसे पांचरात्र कहते हैं। | ||
*यह शास्त्र [[श्रीकृष्ण]] द्वारा प्रदत्त था। | *यह शास्त्र [[श्रीकृष्ण]] द्वारा प्रदत्त था। | ||
*[[नारद]] ने उसका प्रचार किया। | *[[नारद]] ने उसका प्रचार किया। |
08:15, 13 फ़रवरी 2011 का अवतरण
- वैष्णव सम्प्रदाय के आधारभूत ग्रंथ भागवत पांचरात्र सम्प्रदाय की 16 संहिताएँ, नारद पांचरात्र '16वीं संहिता' का एक ग्रंथ है।
- रात्र का अर्थ है ज्ञान।
- वासुदेव, संकर्षण, प्रद्युम्न, अनिरुद्ध और ब्रह्मा इन पाँचों का व्यूह, विभरअंतर्यामी और अर्चा, इन पाँच रूपों का ज्ञान जिस शास्त्र में है, उसे पांचरात्र कहते हैं।
- यह शास्त्र श्रीकृष्ण द्वारा प्रदत्त था।
- नारद ने उसका प्रचार किया।
- तत्व, मुक्ति, भक्ति, योग विषय इसके अंग हैं।
- इसमें कृष्ण और राधा की भक्ति का उपदेश दिया गया है।
- श्रीकृष्ण का भजन, ध्यान, नामकीर्तन, चरणामृतपान और तदर्पित भोजन का प्रसाद ग्रहण करने से सभी वांछित सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं, वैकुंठ प्राप्ति होती है।
- अहिंसा, इन्द्रिय संयम, जीवदया, क्षमा, शम, दम, ध्यान, सत्य, इन आठ पुष्पों से कृष्ण संतुष्ट होते हैं।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ