"हिन्दी सामान्य ज्ञान 3": अवतरणों में अंतर
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<quiz display=simple> | <quiz display=simple> | ||
{ | {आँख की किरकिरी होने का अर्थ है- | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | +अप्रिय लगना | ||
- | -धोखा देना | ||
-कष्टदायक होना | |||
- | -बहुत प्रिय होना | ||
{ | {लाल पीला होने का अर्थ है- | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- मुद्राएँ बनाना | |||
- | - तेवर बदलना | ||
+ क्रोध करना | |||
- | - रंग बदना | ||
{ | {'नमक का दरोगा' कहानी के लेखक हैं- | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -[[जयशंकर प्रसाद]] | ||
+ | +[[मुंशी प्रेमचंद|प्रेमचंद]] | ||
- | -गुलाब राय | ||
- | -[[रामचन्द्र शुक्ल]] | ||
|| [[चित्र:Premchand.jpg|right|150px|मुंशी प्रेमचंद]] [[भारत]] के उपन्यास सम्राट '''मुंशी प्रेमचंद''' (जन्म- [[31 जुलाई]], [[1880]] - मृत्यु- [[8 अक्टूबर]], [[1936]]) के युग का विस्तार सन 1880 से 1936 तक है। यह कालखण्ड भारत के इतिहास में बहुत महत्त्व का है। इस युग में भारत का स्वतंत्रता-संग्राम नई मंज़िलों से गुज़रा।<br />प्रेमचंद का वास्तविक नाम '''धनपत राय श्रीवास्तव''' था। वे एक सफल लेखक, देशभक्त नागरिक, कुशल वक्ता, ज़िम्मेदार संपादक और संवेदनशील रचनाकार थे। बीसवीं शती के पूर्वार्द्ध में जब [[हिन्दी]] में काम करने की तकनीकी सुविधाएँ नहीं थीं फिर भी इतना काम करने वाला लेखक उनके सिवा कोई दूसरा नहीं हुआ। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[मुंशी प्रेमचंद|प्रेमचंद]] | |||
{इनमें किस नाटककार ने अपने नाटकों के लिए रंगमंच को अनिवार्य नहीं माना है? | {इनमें किस नाटककार ने अपने नाटकों के लिए रंगमंच को अनिवार्य नहीं माना है? | ||
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-चित्रकूट नरेश रुद्रदेव के | -चित्रकूट नरेश रुद्रदेव के | ||
||आमेर नरेश मिर्ज़ा [[जयसिंह]] [[मुग़ल काल|मुग़ल]] दरबार का सर्वाधिक प्रभावशाली सामंत था, वह [[औरंगज़ेब]] की आँख का काँटा बना हुआ था। जिस समय दक्षिण में शिवाजी के विजय−अभियानों की घूम थी, और उनसे युद्ध करने में [[अफ़ज़ल ख़ाँ]] एवं [[शाइस्ता ख़ाँ]] की हार हुई थी, तथा राजा [[यशवंतसिंह]] को भी सफलता मिली थी; तब [[औरंगज़ेब]] ने मिर्ज़ा राजा जयसिंह को शिवाजी को दबाने के लिए भेजा था। इस प्रकार वह एक तीर से दो शिकार करना चाहता था। जयसिंह ने बड़ी बुद्धिमत्ता, वीरता और कूटनीति से [[शिवाजी]] को औरंगज़ेब से संधि करने के लिए राजी किया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[जयसिंह]] | ||आमेर नरेश मिर्ज़ा [[जयसिंह]] [[मुग़ल काल|मुग़ल]] दरबार का सर्वाधिक प्रभावशाली सामंत था, वह [[औरंगज़ेब]] की आँख का काँटा बना हुआ था। जिस समय दक्षिण में शिवाजी के विजय−अभियानों की घूम थी, और उनसे युद्ध करने में [[अफ़ज़ल ख़ाँ]] एवं [[शाइस्ता ख़ाँ]] की हार हुई थी, तथा राजा [[यशवंतसिंह]] को भी सफलता मिली थी; तब [[औरंगज़ेब]] ने मिर्ज़ा राजा जयसिंह को शिवाजी को दबाने के लिए भेजा था। इस प्रकार वह एक तीर से दो शिकार करना चाहता था। जयसिंह ने बड़ी बुद्धिमत्ता, वीरता और कूटनीति से [[शिवाजी]] को औरंगज़ेब से संधि करने के लिए राजी किया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[जयसिंह]] | ||
{'अतीत के चलचित्र' के रचयिता हैं- | |||
|type="()"} | |||
-[[जयशंकर प्रसाद]] | |||
+[[महादेवी वर्मा]] | |||
-[[सुमित्रानंदन पंत]] | |||
-[[सूर्यकांत त्रिपाठी निराला]] | |||
|| [[चित्र:Mahadevi-verma.png|महादेवी वर्मा|100px|right]] महादेवी वर्मा , [[हिन्दी भाषा]] की प्रख्यात कवयित्री हैं। महादेवी वर्मा की गिनती हिन्दी कविता के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभ [[सुमित्रानन्दन पन्त]], [[जयशंकर प्रसाद]] और [[सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला]] के साथ की जाती है। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[महादेवी वर्मा]] | |||
{[[तुलसीदास]] का वह ग्रंथ कौनसा है, जिसमें ज्योतिष का वर्णन किया गया है? | {[[तुलसीदास]] का वह ग्रंथ कौनसा है, जिसमें ज्योतिष का वर्णन किया गया है? | ||
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-वात्सल्य रस | -वात्सल्य रस | ||
-अद्भुत रस | -अद्भुत रस | ||
{सर्वप्रथम किस आलोचक ने अपने किस ग्रंथ में 'देव बड़े हैं कि बिहारी' विवाद को जन्म दिया? | {सर्वप्रथम किस आलोचक ने अपने किस ग्रंथ में 'देव बड़े हैं कि बिहारी' विवाद को जन्म दिया? | ||
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||'''तुलसीदास''' - गोस्वामी तुलसीदास [1497(1532) - 1623] एक महान कवि थे। उनका जन्म राजापुर, (वर्तमान बाँदा ज़िला) [[उत्तर प्रदेश]] में हुआ था। तुलसीदास द्वारा रचित ग्रंथों की संख्या 39 बताई जाती है। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[तुलसीदास]] | ||'''तुलसीदास''' - गोस्वामी तुलसीदास [1497(1532) - 1623] एक महान कवि थे। उनका जन्म राजापुर, (वर्तमान बाँदा ज़िला) [[उत्तर प्रदेश]] में हुआ था। तुलसीदास द्वारा रचित ग्रंथों की संख्या 39 बताई जाती है। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[तुलसीदास]] | ||
||'''मलिक मुहम्मद जायसी''' - मलिक मुहम्मद जायसी (जन्म- 1397 ई. और 1494 ई. के बीच, मृत्यु- 1542 ई.) भक्ति काल की निर्गुण प्रेमाश्रयी धारा व मलिक वंश के कवि हैं। जायसी अत्यंत उच्चकोटि के सरल और उदार सूफ़ी महात्मा थे। हिन्दी के प्रसिद्ध सूफ़ी कवि, जिनके लिए केवल 'जायसी' शब्द का प्रयोग भी, उनके उपनाम की भाँति, किया जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[मलिक मुहम्मद जायसी]] | ||'''मलिक मुहम्मद जायसी''' - मलिक मुहम्मद जायसी (जन्म- 1397 ई. और 1494 ई. के बीच, मृत्यु- 1542 ई.) भक्ति काल की निर्गुण प्रेमाश्रयी धारा व मलिक वंश के कवि हैं। जायसी अत्यंत उच्चकोटि के सरल और उदार सूफ़ी महात्मा थे। हिन्दी के प्रसिद्ध सूफ़ी कवि, जिनके लिए केवल 'जायसी' शब्द का प्रयोग भी, उनके उपनाम की भाँति, किया जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[मलिक मुहम्मद जायसी]] | ||
{[[आचार्य रामचन्द्र शुक्ल]] के अनुसार इनमें एक ऐसा कवि है, जिसका 'वियोग वर्णन, वियोग वर्णन के लिए ही है, परिस्थिति के अनुरोध से नहीं'? | {[[आचार्य रामचन्द्र शुक्ल]] के अनुसार इनमें एक ऐसा कवि है, जिसका 'वियोग वर्णन, वियोग वर्णन के लिए ही है, परिस्थिति के अनुरोध से नहीं'? | ||
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-[[तुलसीदास]] | -[[तुलसीदास]] | ||
-[[कुम्भनदास]] | -[[कुम्भनदास]] | ||
{प्रथम सूफ़ी प्रेमाख्यानक काव्य के रचयिता हैं- | |||
|type="()"} | |||
-नूर मुहम्मद | |||
-[[मलिक मुहम्मद जायसी]] | |||
+मुल्ला दाऊद | |||
-कुतबन | |||
{भक्तिकालीन कवियों में एक ऐसा ख्यातिलब्ध रचनाकार है जो अपने काव्य में लोकव्यापी प्रभाव वाले कर्म और लोकव्यापिनी दशाओं के वर्णन में माहिर है। ऐसे रचनाकार का नाम है? | {भक्तिकालीन कवियों में एक ऐसा ख्यातिलब्ध रचनाकार है जो अपने काव्य में लोकव्यापी प्रभाव वाले कर्म और लोकव्यापिनी दशाओं के वर्णन में माहिर है। ऐसे रचनाकार का नाम है? |
06:17, 28 फ़रवरी 2011 का अवतरण
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