"प्रयोग:गोविन्द": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
(पन्ने को खाली किया) |
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[वेद]]'''</div> | |||
<div id="rollnone"> [[चित्र:Ved-merge.jpg|right|150px|वेद|link=वेद]] </div> | |||
*'वेद' [[हिन्दू धर्म]] के प्राचीन पवित्र ग्रंथों का नाम है, जिससे वैदिक [[संस्कृति]] प्रचलित हुई। | |||
*वेद प्राचीन [[भारत]] के '''वैदिक काल की वाचिक परम्परा की अनुपम कृति''' है जो पीढी दर पीढी पिछले चार-पाँच हज़ार वर्षों से चली आ रही है। | |||
*वेद ही हिन्दू धर्म के सर्वोच्च और सर्वोपरि धर्मग्रन्थ हैं। '''वेद के असल मन्त्र भाग को संहिता कहते हैं।''' | |||
*वेदों में सर्वप्रथम [[ऋग्वेद]] का निर्माण हुआ। यह पद्यात्मक है। दूसर [[यजुर्वेद]] गद्यमय है तीसरा [[सामवेद]] गीतात्मक है और चौथा [[अथर्ववेद]] जिसमें जादू, चमत्कार, आरोग्य, यज्ञ के लिये मन्त्र हैं। | |||
*भारतीय [[दर्शन]] शास्त्र के मतानुसार [[शब्द]] को नित्य कहा गया है। वेद ने शब्द को नित्य माना है, अत: वेद अपौरूषेय है यह निश्चित होता है। | |||
*सुप्रसिद्ध वेदभाष्यकार महान पण्डित [[सायणाचार्य]] अपने वेदभाष्य में लिखते हैं कि '''इष्टप्राप्त्यनिष्टपरिहारयोरलौकिकमुपायं यो ग्रन्थो वेदयति स वेद:''' '''[[वेद|.... और पढ़ें]]''' |
11:41, 20 फ़रवरी 2011 का अवतरण
- 'वेद' हिन्दू धर्म के प्राचीन पवित्र ग्रंथों का नाम है, जिससे वैदिक संस्कृति प्रचलित हुई।
- वेद प्राचीन भारत के वैदिक काल की वाचिक परम्परा की अनुपम कृति है जो पीढी दर पीढी पिछले चार-पाँच हज़ार वर्षों से चली आ रही है।
- वेद ही हिन्दू धर्म के सर्वोच्च और सर्वोपरि धर्मग्रन्थ हैं। वेद के असल मन्त्र भाग को संहिता कहते हैं।
- वेदों में सर्वप्रथम ऋग्वेद का निर्माण हुआ। यह पद्यात्मक है। दूसर यजुर्वेद गद्यमय है तीसरा सामवेद गीतात्मक है और चौथा अथर्ववेद जिसमें जादू, चमत्कार, आरोग्य, यज्ञ के लिये मन्त्र हैं।
- भारतीय दर्शन शास्त्र के मतानुसार शब्द को नित्य कहा गया है। वेद ने शब्द को नित्य माना है, अत: वेद अपौरूषेय है यह निश्चित होता है।
- सुप्रसिद्ध वेदभाष्यकार महान पण्डित सायणाचार्य अपने वेदभाष्य में लिखते हैं कि इष्टप्राप्त्यनिष्टपरिहारयोरलौकिकमुपायं यो ग्रन्थो वेदयति स वेद: .... और पढ़ें