"क्षुद्र ग्रह": अवतरणों में अंतर
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क्षुद्र ग्रह ये सौर मंडल बन जाने के बाद बचे हुये पदार्थ है। एक दूसरी कल्पना के अनुसार ये मंगल और गुरु के बीच मे किसी समय रहे प्राचीन ग्रह के अवशेष है जो किसी कारण से | '''क्षुद्र ग्रह (Asteroids) या अवांतर ग्रह''' पथरीले और धातुओं के ऐसे पिंड है जो [[सूर्य (तारा)|सूर्य]] की परिक्रमा करते हैं लेकिन इतने लघु हैं कि इन्हें [[ग्रह]] नहीं कहा जा सकता। इन्हें लघु ग्रह या क्षुद्र ग्रह कहते हैं। इनका आकार 1000 किमी व्यास के सेरस से 1 से 2 इंच के पत्थर के टुकड़ों तक है। क्षुद्र ग्रहों का व्यास 240 किमी या उससे ज्यादा है। ये क्षुद्र ग्रह [[पृथ्वी ग्रह|पृथ्वी]] की कक्षा के अंदर से [[शनि ग्रह|शनि]] की कक्षा से बाहर तक है। लेकिन अधिकतर क्षुद्रग्रह [[मंगल ग्रह|मंगल]] और [[बृहस्पति ग्रह|बृहस्पति]] के बीच में एक पट्टे में है। कुछ की कक्षा पृथ्वी की कक्षा को काटती है और कुछ ने भूतकाल में पृथ्वी को टक्कर भी मारी है। एक उदाहरण [[महाराष्ट्र]] में '''लोणार झील''' है।<ref name="srm">{{cite web |url=http://navgrah.wordpress.com/2011/02/14/asteroid/ |title=सूरज के बौने बेटे : क्षुद्रग्रह |accessmonthday=[[18 फ़रवरी]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format=पी.एच.पी |publisher=सौरमंडल |language=हिन्दी}}</ref> | ||
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क्षुद्र | क्षुद्र ग्रह ये [[सौर मंडल]] बन जाने के बाद बचे हुये पदार्थ है। एक दूसरी कल्पना के अनुसार ये मंगल और गुरु के बीच मे किसी समय रहे प्राचीन ग्रह के अवशेष है जो किसी कारण से टुकड़ों में बंट गया। इस कल्पना का एक कारण यह भी है कि मंगल और गुरू के बीच का अंतराल सामान्य से ज्यादा है। दूसरा कारण यह है कि सूर्य के ग्रह अपनी दूरी के अनुसार द्रव्यमान मे बढते हुये और गुरु के बाद घटते क्रम मे है। इस तरह से मंगल और गुरु के मध्य मे गुरु से छोटा लेकिन मंगल से बडा एक ग्रह होना चाहिये। लेकिन इस प्राचीन ग्रह की कल्पना सिर्फ एक कल्पना ही लगती है क्योंकि यदि सभी क्षुद्र ग्रहो को एक साथ मिला भी लिया जाये तब भी इनसे बना संयुक्त ग्रह 1500 किमी से कम व्यास का होगा जो कि हमारे [[चन्द्रमा उपग्रह|चन्द्रमा]] के आधे से भी कम है।<ref name="srm"></ref> | ||
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क्षुद्र ग्रह सौर मंडल के जन्म के समय से ही मौजुद है। इसलिये वैज्ञानिक इनके अध्यन के लिये उत्सुक रहते है। अंतरिक्षयान जो इनके पट्टे के बिच से गये है उन्होने पाया है कि ये पट्टा सघन नही है, इन क्षुद्र ग्रहो के बीच मे काफी सारी खाली जगह है। अक्टूबर 1991 मे गलेलियो यान क्षुद्र ग्रह क्रंमांक '''951 गैसपरा''' के पास से गुजरा था। अगस्त 193 मे गैलीलियो ने क्षुद्र ग्रह क्रमांक '''243 इडा''' की नजदिक से तस्वीरे ली थी। ये दोनो ‘S’ वर्ग के क्षुद्र ग्रह | क्षुद्र ग्रह, सौर मंडल के जन्म के समय से ही मौजुद है। इसलिये वैज्ञानिक इनके अध्यन के लिये उत्सुक रहते है। अंतरिक्षयान जो इनके पट्टे के बिच से गये है उन्होने पाया है कि ये पट्टा सघन नही है, इन क्षुद्र ग्रहो के बीच मे काफी सारी खाली जगह है। [[अक्टूबर]] [[1991]] मे गलेलियो यान क्षुद्र ग्रह क्रंमांक '''951 गैसपरा''' के पास से गुजरा था। अगस्त 193 मे गैलीलियो ने क्षुद्र ग्रह क्रमांक '''243 इडा''' की नजदिक से तस्वीरे ली थी। ये दोनो ‘S’ वर्ग के क्षुद्र ग्रह है। | ||
अब तक हजारों क्षुद्रग्रह देखे जा चुके है और उनका नामकरण और वर्गीकरण हो चुका है। इनमे प्रमुख है टाउटेटीस, कैस्टेलिया, जीओग्राफोस और वेस्ता। 2 पालास, 4 वेस्ता और 10 हाय्जीया ये 400 किमी और 525 किमी के व्यास के बीच है। बाकि सभी क्षुद्र ग्रह 340 किमी व्यास से कम के है। [[धूमकेतु]], चन्द्रमा और क्षुद्र ग्रहों के वर्गीकरण मे विवाद है। कुछ ग्रहों के चन्द्रमाओं को क्षुद्रग्रह कहना बेहतर होगा जैसे- मंगल के चन्द्रमा फोबोस और डीमोस, गुरू के बाहरी आठ चन्द्रमा, शनि का बाहरी चन्द्रमा फोएबे वगैरह। | |||
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1. '''C वर्ग''' :-- इस श्रेणी मे 75% ज्ञात क्षुद्र ग्रह आते है। ये काफी धुंधले होते है। (albedo 0.03)। ये सूर्य के जैसे | [[चित्र:asteroids_comets.png|300px|thumb|क्षुद्र ग्रह<br />Asteroids]] | ||
2. '''S वर्ग''' :-- 17%, कुछ चमकदार (albedo 0.10 से 0.22), ये | 1. '''C वर्ग''' :-- इस श्रेणी मे 75% ज्ञात क्षुद्र ग्रह आते है। ये काफी धुंधले होते है। (albedo 0.03)। ये सूर्य के जैसे संरचना रखते हैं लेकिन [[हाइड्रोजन]] और [[हिलीयम]] नहीं होता है।<br> | ||
3. '''M वर्ग''' :-- अधिकतर बचे हुये :- चमकदार (albedo 0.10 से 0.18), निकेल और लोहे से बने। | 2. '''S वर्ग''' :-- 17%, कुछ चमकदार (albedo 0.10 से 0.22), ये धातुओं [[लोहा]] और निकेल तथा मैगनेशियम सीलीकेट से बने होते है।<br> | ||
3. '''M वर्ग''' :-- अधिकतर बचे हुये :- चमकदार (albedo 0.10 से 0.18), निकेल और लोहे से बने।<ref name="srm"></ref> | |||
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1. मुख्य पट्टा : मंगल और गुरु के मध्य। सूर्य से 2 - 4 AU दूरी पर। इनमे कुछ उपवर्ग भी है :- हंगेरीयास, फ़्लोरास, फोकीआ, कोरोनीस, एओस, थेमीस, सायबेलेस और हिल्डास। हिल्डास इनमे मुख्य है। <br> | 1. मुख्य पट्टा : मंगल और गुरु के मध्य। सूर्य से 2 - 4 AU दूरी पर। इनमे कुछ उपवर्ग भी है :- हंगेरीयास, फ़्लोरास, फोकीआ, कोरोनीस, एओस, थेमीस, सायबेलेस और हिल्डास। हिल्डास इनमे मुख्य है। <br> | ||
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06:17, 18 फ़रवरी 2011 का अवतरण
क्षुद्र ग्रह (Asteroids) या अवांतर ग्रह पथरीले और धातुओं के ऐसे पिंड है जो सूर्य की परिक्रमा करते हैं लेकिन इतने लघु हैं कि इन्हें ग्रह नहीं कहा जा सकता। इन्हें लघु ग्रह या क्षुद्र ग्रह कहते हैं। इनका आकार 1000 किमी व्यास के सेरस से 1 से 2 इंच के पत्थर के टुकड़ों तक है। क्षुद्र ग्रहों का व्यास 240 किमी या उससे ज्यादा है। ये क्षुद्र ग्रह पृथ्वी की कक्षा के अंदर से शनि की कक्षा से बाहर तक है। लेकिन अधिकतर क्षुद्रग्रह मंगल और बृहस्पति के बीच में एक पट्टे में है। कुछ की कक्षा पृथ्वी की कक्षा को काटती है और कुछ ने भूतकाल में पृथ्वी को टक्कर भी मारी है। एक उदाहरण महाराष्ट्र में लोणार झील है।[1]
क्षुद्र ग्रह का पट्टा
क्षुद्र ग्रह ये सौर मंडल बन जाने के बाद बचे हुये पदार्थ है। एक दूसरी कल्पना के अनुसार ये मंगल और गुरु के बीच मे किसी समय रहे प्राचीन ग्रह के अवशेष है जो किसी कारण से टुकड़ों में बंट गया। इस कल्पना का एक कारण यह भी है कि मंगल और गुरू के बीच का अंतराल सामान्य से ज्यादा है। दूसरा कारण यह है कि सूर्य के ग्रह अपनी दूरी के अनुसार द्रव्यमान मे बढते हुये और गुरु के बाद घटते क्रम मे है। इस तरह से मंगल और गुरु के मध्य मे गुरु से छोटा लेकिन मंगल से बडा एक ग्रह होना चाहिये। लेकिन इस प्राचीन ग्रह की कल्पना सिर्फ एक कल्पना ही लगती है क्योंकि यदि सभी क्षुद्र ग्रहो को एक साथ मिला भी लिया जाये तब भी इनसे बना संयुक्त ग्रह 1500 किमी से कम व्यास का होगा जो कि हमारे चन्द्रमा के आधे से भी कम है।[1] क्षुद्र ग्रहों के बारे मे हमारी जानकारी उल्कापात मे बचे हुये अबशेषो से है। जो क्षुद्र ग्रह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से पृथ्वी के वातावरण मे आकर पृथ्वी से टकरा जाते है उन्हें उल्का (Meteoroids) कहा जाता है। अधिकतर उल्काये वातावरण मे ही जल जाती है लेकिन कुछ उल्काये पृथ्वी से टकरा भी जाती है। इन उल्काओं का 22% भाग सीलीकेट का और 5% भाग लोहे और निकेल का बना हुआ होता है। उल्का अवशेषो को पहचाना मुश्किल होता है क्योंकि ये सामान्य पत्थरों जैसे ही होते है। क्षुद्र ग्रह, सौर मंडल के जन्म के समय से ही मौजुद है। इसलिये वैज्ञानिक इनके अध्यन के लिये उत्सुक रहते है। अंतरिक्षयान जो इनके पट्टे के बिच से गये है उन्होने पाया है कि ये पट्टा सघन नही है, इन क्षुद्र ग्रहो के बीच मे काफी सारी खाली जगह है। अक्टूबर 1991 मे गलेलियो यान क्षुद्र ग्रह क्रंमांक 951 गैसपरा के पास से गुजरा था। अगस्त 193 मे गैलीलियो ने क्षुद्र ग्रह क्रमांक 243 इडा की नजदिक से तस्वीरे ली थी। ये दोनो ‘S’ वर्ग के क्षुद्र ग्रह है।
अब तक हजारों क्षुद्रग्रह देखे जा चुके है और उनका नामकरण और वर्गीकरण हो चुका है। इनमे प्रमुख है टाउटेटीस, कैस्टेलिया, जीओग्राफोस और वेस्ता। 2 पालास, 4 वेस्ता और 10 हाय्जीया ये 400 किमी और 525 किमी के व्यास के बीच है। बाकि सभी क्षुद्र ग्रह 340 किमी व्यास से कम के है। धूमकेतु, चन्द्रमा और क्षुद्र ग्रहों के वर्गीकरण मे विवाद है। कुछ ग्रहों के चन्द्रमाओं को क्षुद्रग्रह कहना बेहतर होगा जैसे- मंगल के चन्द्रमा फोबोस और डीमोस, गुरू के बाहरी आठ चन्द्रमा, शनि का बाहरी चन्द्रमा फोएबे वगैरह।
वर्गीकरण
1. C वर्ग :-- इस श्रेणी मे 75% ज्ञात क्षुद्र ग्रह आते है। ये काफी धुंधले होते है। (albedo 0.03)। ये सूर्य के जैसे संरचना रखते हैं लेकिन हाइड्रोजन और हिलीयम नहीं होता है।
2. S वर्ग :-- 17%, कुछ चमकदार (albedo 0.10 से 0.22), ये धातुओं लोहा और निकेल तथा मैगनेशियम सीलीकेट से बने होते है।
3. M वर्ग :-- अधिकतर बचे हुये :- चमकदार (albedo 0.10 से 0.18), निकेल और लोहे से बने।[1]
इनका वर्गीकरण इनकी सौरमण्डल मे जगह के आधार पर भी किया गया है।
1. मुख्य पट्टा : मंगल और गुरु के मध्य। सूर्य से 2 - 4 AU दूरी पर। इनमे कुछ उपवर्ग भी है :- हंगेरीयास, फ़्लोरास, फोकीआ, कोरोनीस, एओस, थेमीस, सायबेलेस और हिल्डास। हिल्डास इनमे मुख्य है।
2. पृथ्वी के पास के क्षुद्र ग्रह (NEA)
3. ऎटेन्स :- सूर्य से 1.0 AU से कम दूरी पर और 0.983 AU से ज्यादा दूरी पर।
4. अपोलोस :- सूर्य से 1.0 AU से ज्यादा दूरी पर लेकिन 1.017 AU से कम दूरी पर।
5. अमार्स :- सूर्य से 1.017 AU से ज्यादा दूरी पर लेकिन 1.3 AU से कम दूरी पर।
6. ट्राजन :- गुरु के गुरुत्व के पास।
सौर मण्डल के बाहरी हिस्सों मे भी कुछ क्षुद्र ग्रह है जिन्हे सेन्टारस कहते है। इनमे से एक 2060 शीरॉन है जो शनि और यूरेनस के बीच सूर्य की परिक्रमा करता है। एक क्षुद्र ग्रह 5335 डेमोकलस है जिसकी कक्षा मंगल के पास से यूरेनस तक है। 5145 फोलुस की कक्षा शनि से नेपच्युन के मध्य है। इस तरह के क्षुद्र ग्रह अस्थायी होते है। ये या तो ग्रहों से टकरा जाते हैं या उनके गुरुत्व मे फंसकर उनके चन्द्रमा बन जाते हैं। क्षुद्र ग्रहों को आंखों से नहीं देखा जा सकता लेकिन इन्हें छोटी दूरबीन से देखा जा सकता है।
क्रमांक | नाम | सूर्य से दूरी (कि.मी.) | त्रिज्या | द्रव्यमान | आविष्कारक | दिनांक |
---|---|---|---|---|---|---|
2062 | एटेन Aten | 144514 | 0.5 | ? | हेलीन Helin | 1976 |
3554 | आमुन Amun | 145710 | ? | ? | शुमेकर Shoemaker | 1986 |
1566 | आईकेरस Icarus | 161269 | 0.7 | ? | बाडे Baade | 1949 |
433 | एरास Eros | 172800 | 33x13x13 | विट Witt | 1898 | |
1862 | अपोलो Apollo | 220061 | 0.7 | ? | रेनमुथ Reinmuth | 1932 |
2212 | हेफैस्टोस Hephaistos | 323884 | 4.4 | ? | शेर्न्यख Chernykh | 1978 |
951 | गैस्परा Gaspra | 330000 | 8 | ? | नेउजमीन Neujmin | 1916 |
4 | वेस्टा Vesta | 353400 | 265 | 3.0e20 | ओल्बरस Olbers | 1807 |
3 | जुनो Juno | 399400 | 123 | ? | हार्डींग Harding | 1804 |
15 | युनोमिया Eunomia | 395500 | 136 | 8.3e18 | डेगासपरीस De Gasparis | 1851 |
1 | सेरेस Ceres (अब बौना ग्रह) | 413900 | 487 | 8.7e20 | पीआज्जी Piazzi | 1801 |
2 | पलास Pallas | 414500 | 261 | 3.18e20 | ओल्बर्स Olbers | 1802 |
243 | इडा Ida | 428000 | 35 | ? | ? | 1880 |
52 | युरोपा Europa | 463300 | 156 | ? | गोल्डस्क्म्डित Goldschmidt | 1858 |
10 | हायगीआ Hygiea | 470300 | 215 | 9.3e19 | डेगासपरीस De Gasparis | 1849 |
511 | डेवीडा Davida | 475400 | 168 | ? | डुगन Dugan | 1903 |
911 | अग्मेम्नान Agamemnon | 778100 | 88 | ? | रेनमठ Reinmuth | 1919 |
2060 | शीरान Chiron | 2051900 | 85 | ? | कोवल Kowal | 1977 |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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