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*अजीम उल्ला ख़ाँ [[बाजीराव द्वितीय|पेशवा बाजीराव द्वितीय]] (1796-1818) के पुत्र [[नाना साहब]] का वेतन भोगी कर्मचारी था। | *अजीम उल्ला ख़ाँ [[बाजीराव द्वितीय|पेशवा बाजीराव द्वितीय]] (1796-1818) के पुत्र [[नाना साहब]] का वेतन भोगी कर्मचारी था। | ||
*अजीम उल्ला ख़ाँ ने 1857 ई. का सिपाही विद्रोह कराने में गुप्त रूप से भाग लिया। | *अजीम उल्ला ख़ाँ ने 1857 ई. का सिपाही विद्रोह कराने में गुप्त रूप से भाग लिया। | ||
*अजीम उल्ला ख़ाँ ने भारतीयों में [[ | *अजीम उल्ला ख़ाँ ने भारतीयों में [[अंग्रेज़]] विरोधी भावनाएँ उभांड़ीं। | ||
*ऐसा समझा जाता है कि जब [[यूरोप]] में क्रीमिया की लड़ाई चल रही थी तो अजीम उल्ला ख़ाँ यूरोप गया और उसने नाना साहब और रूसियों में सन्धि कराने का प्रयास किया। | *ऐसा समझा जाता है कि जब [[यूरोप]] में क्रीमिया की लड़ाई चल रही थी तो अजीम उल्ला ख़ाँ यूरोप गया और उसने नाना साहब और रूसियों में सन्धि कराने का प्रयास किया। | ||
*वह इस प्रयास में सफल नहीं हुआ, लेकिन उसने वापस लौटकर अनेक ऐसे वृत्तान्त प्रचारित किये, जिनसे भारतीयों के मन में बैठी | *वह इस प्रयास में सफल नहीं हुआ, लेकिन उसने वापस लौटकर अनेक ऐसे वृत्तान्त प्रचारित किये, जिनसे भारतीयों के मन में बैठी अंग्रेज़ों के अजेय होने की भावना नष्ट हो गई। | ||
*अजीम-उल्लाह के विवरण से भारतीय सिपाहियों के मन में भी कुछ सीमा तक अंग्रेज़ों के विरुद्ध सफलता प्राप्त करने का उत्साह जाग्रत हुआ। | *अजीम-उल्लाह के विवरण से भारतीय सिपाहियों के मन में भी कुछ सीमा तक अंग्रेज़ों के विरुद्ध सफलता प्राप्त करने का उत्साह जाग्रत हुआ। | ||
07:15, 5 मार्च 2011 का अवतरण
- अजीम उल्ला ख़ाँ पेशवा बाजीराव द्वितीय (1796-1818) के पुत्र नाना साहब का वेतन भोगी कर्मचारी था।
- अजीम उल्ला ख़ाँ ने 1857 ई. का सिपाही विद्रोह कराने में गुप्त रूप से भाग लिया।
- अजीम उल्ला ख़ाँ ने भारतीयों में अंग्रेज़ विरोधी भावनाएँ उभांड़ीं।
- ऐसा समझा जाता है कि जब यूरोप में क्रीमिया की लड़ाई चल रही थी तो अजीम उल्ला ख़ाँ यूरोप गया और उसने नाना साहब और रूसियों में सन्धि कराने का प्रयास किया।
- वह इस प्रयास में सफल नहीं हुआ, लेकिन उसने वापस लौटकर अनेक ऐसे वृत्तान्त प्रचारित किये, जिनसे भारतीयों के मन में बैठी अंग्रेज़ों के अजेय होने की भावना नष्ट हो गई।
- अजीम-उल्लाह के विवरण से भारतीय सिपाहियों के मन में भी कुछ सीमा तक अंग्रेज़ों के विरुद्ध सफलता प्राप्त करने का उत्साह जाग्रत हुआ।
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