"धात्री": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
*बच्चे की [[माँ]] के बाद जो पालनहार स्त्री होती है उसे '''धात्री या धाय''' कहा जाता है।  
*बच्चे की [[माँ]] के बाद जो पालनहार स्त्री होती है उसे '''धात्री या धाय''' कहा जाता है।  
*धात्री का '''शाब्दिक अर्थ है- शिशु की देखभाल करने वाली स्त्री''' ।
*धात्री का '''शाब्दिक अर्थ है- शिशु की देखभाल करने वाली स्त्री''' ।
*भारतीय [[इतिहास]] में ऐसे कई उदाहरण मिलते हैं। जैसे- [[पन्ना धाय]] , सम्राट [[अकबर]] की धात्री माहम अंगा ।
*भारतीय [[इतिहास]] में ऐसे कई उदाहरण मिलते हैं। जैसे- [[पन्ना धाय]] , सम्राट [[अकबर]] की धात्री माहम अंगा।
 
{{शब्द संदर्भ लघु
|हिन्दी=धाय (बच्चे की देख-रेख करने वाली तथा उसे [[दूध]] पिलाने वाली), प्रसूता स्त्री की सेवा करने के लिए प्रशिक्षित स्त्री, [[पृथ्वी]] जो सब की माता है, [[गाय|गौ]], जिसका दूध माता के दूध के समान होता है, [[गंगा नदी]], आँवला, फौज, सेना, आर्या [[छंद]] का एक भेद।
|व्याकरण=स्त्रीलिंग।
|उदाहरण=[[यशोदा]] [[कृष्ण]] की '''धात्री''' थी।
|विशेष=
|विलोम=
|पर्यायवाची=दाई, अंकपालिका, अन्ना, धाय, प्रसाविका, सूतिका।
|संस्कृत=धात्र + ङीष्।
|अन्य ग्रंथ=
|संबंधित शब्द=[[धात्री नवमी]], [[धात्रीफल]], [[धात्री विद्या]]
}}
 


==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==

07:19, 10 मार्च 2011 का अवतरण

  • बच्चे की माँ के बाद जो पालनहार स्त्री होती है उसे धात्री या धाय कहा जाता है।
  • धात्री का शाब्दिक अर्थ है- शिशु की देखभाल करने वाली स्त्री
  • भारतीय इतिहास में ऐसे कई उदाहरण मिलते हैं। जैसे- पन्ना धाय , सम्राट अकबर की धात्री माहम अंगा।


शब्द संदर्भ
हिन्दी धाय (बच्चे की देख-रेख करने वाली तथा उसे दूध पिलाने वाली), प्रसूता स्त्री की सेवा करने के लिए प्रशिक्षित स्त्री, पृथ्वी जो सब की माता है, गौ, जिसका दूध माता के दूध के समान होता है, गंगा नदी, आँवला, फौज, सेना, आर्या छंद का एक भेद।
-व्याकरण    स्त्रीलिंग।
-उदाहरण   यशोदा कृष्ण की धात्री थी।
-विशेष   
-विलोम   
-पर्यायवाची    दाई, अंकपालिका, अन्ना, धाय, प्रसाविका, सूतिका।
संस्कृत धात्र + ङीष्।
अन्य ग्रंथ
संबंधित शब्द धात्री नवमी, धात्रीफल, धात्री विद्या
संबंधित लेख

अन्य शब्दों के अर्थ के लिए देखें शब्द संदर्भ कोश


टीका टिप्पणी और संदर्भ