"दाहिर": अवतरणों में अंतर
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दाहिर चच का पुत्र था। जब आठवीं शताब्दी ई. के पहले दशक में अरबों ने [[सिंध प्रांत|सिंध]] पर आक्रमण किया, उस समय दाहिर वहाँ का शासक था। शुरू के हमलों को तो दाहिर ने कुचल दिया किन्तु 712 ई. में [[मुहम्मद-इब्न-क़ासिम]] के नेतृत्व में अरबों ने उसे परास्त कर दिया और राओर के युद्ध में दाहिर मारा गया। दाहिर की विधवा रानी ने राओर का क़िला बचाने के लिए बहुत प्रयास किया, परन्तु वह इस कार्य में असफल रही और उसने जौहर कर लिया। इसके बाद अरबों ने सिंध की राजधानी आलोर पर क़ब्ज़ा कर लिया और इस प्रकार सिंध मुस्लिम अरबों के शासनाधीन हो गया। सिंध के कुछ लुटेरों की लूटमार से क्रुद्ध होकर [[अलहज्जाज]] ने उन्हें | *दाहिर चच का पुत्र था। | ||
*जब आठवीं शताब्दी ई. के पहले दशक में अरबों ने [[सिंध प्रांत|सिंध]] पर आक्रमण किया, तो उस समय दाहिर वहाँ का शासक था। | |||
*शुरू के हमलों को तो दाहिर ने कुचल दिया किन्तु 712 ई. में [[मुहम्मद-इब्न-क़ासिम]] के नेतृत्व में अरबों ने उसे परास्त कर दिया और राओर के युद्ध में दाहिर मारा गया। | |||
*दाहिर की विधवा रानी ने राओर का क़िला बचाने के लिए बहुत प्रयास किया, परन्तु वह इस कार्य में असफल रही और उसने जौहर कर लिया। | |||
*इसके बाद अरबों ने सिंध की राजधानी आलोर पर क़ब्ज़ा कर लिया और इस प्रकार सिंध मुस्लिम अरबों के शासनाधीन हो गया। | |||
*सिंध के कुछ लुटेरों की लूटमार से क्रुद्ध होकर [[अलहज्जाज]] ने उन्हें दण्डित करने के लिए कई बार चढ़ाई की, किन्तु राजा दाहिर ने उसकी फ़ौजों को पराजित कर दिया। | |||
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09:58, 14 मार्च 2011 का अवतरण
- दाहिर चच का पुत्र था।
- जब आठवीं शताब्दी ई. के पहले दशक में अरबों ने सिंध पर आक्रमण किया, तो उस समय दाहिर वहाँ का शासक था।
- शुरू के हमलों को तो दाहिर ने कुचल दिया किन्तु 712 ई. में मुहम्मद-इब्न-क़ासिम के नेतृत्व में अरबों ने उसे परास्त कर दिया और राओर के युद्ध में दाहिर मारा गया।
- दाहिर की विधवा रानी ने राओर का क़िला बचाने के लिए बहुत प्रयास किया, परन्तु वह इस कार्य में असफल रही और उसने जौहर कर लिया।
- इसके बाद अरबों ने सिंध की राजधानी आलोर पर क़ब्ज़ा कर लिया और इस प्रकार सिंध मुस्लिम अरबों के शासनाधीन हो गया।
- सिंध के कुछ लुटेरों की लूटमार से क्रुद्ध होकर अलहज्जाज ने उन्हें दण्डित करने के लिए कई बार चढ़ाई की, किन्तु राजा दाहिर ने उसकी फ़ौजों को पराजित कर दिया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
(पुस्तक 'भारतीय इतिहास कोश') पृष्ठ संख्या-203