"यच": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
('*यच एक कल्पित भूतयोनि है। सम्भवत: 'यक्ष' का ही यह एक प...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
No edit summary |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
*यच एक कल्पित भूतयोनि है। सम्भवत: '[[यक्ष]]' का ही यह एक प्राकृत रूप है। दरद प्राचीन [[आर्य]] जाति है, जो गिलगित के इर्द-गिर्द एवं [[हिन्दुकुश]] के मध्य में निवास करती है। यह दानवों में विश्वास करती है तथा उन्हें 'यच' कहती है। | *यच एक कल्पित भूतयोनि है। सम्भवत: '[[यक्ष]]' का ही यह एक प्राकृत रूप है। दरद प्राचीन [[आर्य]] जाति है, जो गिलगित के इर्द-गिर्द एवं [[हिन्दुकुश]] के मध्य में निवास करती है। यह दानवों में विश्वास करती है तथा उन्हें 'यच' कहती है। विवाह संस्कार | ||
*यच बड़े आकार के होते हैं, प्रत्येक के एक ही आँख ललाट के मध्य होती है। | *यच बड़े आकार के होते हैं, प्रत्येक के एक ही आँख ललाट के मध्य होती है। | ||
*जब ये मानव वेश धारण करते हैं तो उन्हें उनके उल्टे पैरों से पहचाना जा सकता है। | *जब ये मानव वेश धारण करते हैं तो उन्हें उनके उल्टे पैरों से पहचाना जा सकता है। | ||
*ये केवल रात को ही चलते हैं तथा पहाड़ों पर राज्य करते हुए मनुष्यों की खेती को हानि पहुँचाते हैं। | *ये केवल रात को ही चलते हैं तथा पहाड़ों पर राज्य करते हुए मनुष्यों की खेती को हानि पहुँचाते हैं। | ||
*ये प्राय: मनुष्यों को अपनी दरारों में खींच ले जाते हैं। किन्तु लोगों के [[इस्लाम धर्म]] ग्रहण करने से उन्होंने उन पर से अपना स्वामित्व भाव त्याग दिया है तथा अब कभी-कभी ही मनुष्यों को परेशान करते हैं। *ये सभी क्रूर नहीं होते, [[विवाह]] के अवसर पर ये मनुष्यों से धन उधार लेते हैं तथा उसे धीरे-धीरे ऋण देने वाले की अज्ञात अवस्था में ही पूरा चुका देते हैं। ऐसे अवसर पर वे मनुष्यों पर दयाभाव रखते हैं। *इनकी परछाई यदि मनुष्य पर पड़े तो वह पागल हो जाता है। | *ये प्राय: मनुष्यों को अपनी दरारों में खींच ले जाते हैं। किन्तु लोगों के [[इस्लाम धर्म]] ग्रहण करने से उन्होंने उन पर से अपना स्वामित्व भाव त्याग दिया है तथा अब कभी-कभी ही मनुष्यों को परेशान करते हैं। *ये सभी क्रूर नहीं होते, [[विवाह संस्कार|विवाह]] के अवसर पर ये मनुष्यों से धन उधार लेते हैं तथा उसे धीरे-धीरे ऋण देने वाले की अज्ञात अवस्था में ही पूरा चुका देते हैं। ऐसे अवसर पर वे मनुष्यों पर दयाभाव रखते हैं। *इनकी परछाई यदि मनुष्य पर पड़े तो वह पागल हो जाता है। | ||
{{प्रचार}} | {{प्रचार}} |
12:46, 14 मार्च 2011 का अवतरण
- यच एक कल्पित भूतयोनि है। सम्भवत: 'यक्ष' का ही यह एक प्राकृत रूप है। दरद प्राचीन आर्य जाति है, जो गिलगित के इर्द-गिर्द एवं हिन्दुकुश के मध्य में निवास करती है। यह दानवों में विश्वास करती है तथा उन्हें 'यच' कहती है। विवाह संस्कार
- यच बड़े आकार के होते हैं, प्रत्येक के एक ही आँख ललाट के मध्य होती है।
- जब ये मानव वेश धारण करते हैं तो उन्हें उनके उल्टे पैरों से पहचाना जा सकता है।
- ये केवल रात को ही चलते हैं तथा पहाड़ों पर राज्य करते हुए मनुष्यों की खेती को हानि पहुँचाते हैं।
- ये प्राय: मनुष्यों को अपनी दरारों में खींच ले जाते हैं। किन्तु लोगों के इस्लाम धर्म ग्रहण करने से उन्होंने उन पर से अपना स्वामित्व भाव त्याग दिया है तथा अब कभी-कभी ही मनुष्यों को परेशान करते हैं। *ये सभी क्रूर नहीं होते, विवाह के अवसर पर ये मनुष्यों से धन उधार लेते हैं तथा उसे धीरे-धीरे ऋण देने वाले की अज्ञात अवस्था में ही पूरा चुका देते हैं। ऐसे अवसर पर वे मनुष्यों पर दयाभाव रखते हैं। *इनकी परछाई यदि मनुष्य पर पड़े तो वह पागल हो जाता है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ