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|+रचनाएँ
गाना / Title: आ चल के तुझे मैं ले के चलूं - aa chal ke tujhe mai.n le ke
|-
 
! क्रम
chaluu.n
! नाम
 
! सन
चित्रपट / Film: Door Gagan Ki Chhaaon Mein
! विवरण
 
|-
संगीतकार / Music Director:  किशोर कुमार-(Kishore Kumar)
|1-
 
|डेथ-ऐण्ड आफ़्टर (थियोसॉफिकल मैन्युअल III)
गीतकार / Lyricist:  किशोर कुमार-(Kishore Kumar)
|1893
 
|
गायक / Singer(s):  किशोर कुमार-(Kishore Kumar)  
|-
 
|2-
Raw Data: http://lyricsindia.net/isb/ASCII/13.isb
|आत्मकथा
आ चल के तुझे, मैं ले के चलूं
|1893
इक ऐसे गगन के तले
|
जहाँ ग़म भी न हो, आँसू भी न हो
|-
बस प्यार ही प्यार पले
|3-
इक ऐसे गगन के तले
|इन द आउटर कोर्ट
 
|1895
सूरज की पहली किरण से, आशा का सवेरा जागे  (२)
|
चंदा की किरण से धुल कर, घनघोर अंधेरा भागे  (२)
|-
कभी धूप खिले कभी छाँव मिले
|4-
लम्बी सी डगर न खले
|कर्म (थियोसॉफिकल मैन्युअल IV)  
जहाँ ग़म भी नो हो,  आँसू भी न हो ...
|1895
 
|कर्म-व्यवस्था का सुन्दर चित्रण।
जहाँ दूर नज़र दौड़ आए, आज़ाद गगन लहराए
|-
जहाँ रंग बिरंगे पंछी, आशा का संदेसा लाएं  ()
|5-
सपनो मे पली हँसती हो कली
|द सेल्फ ऐण्ड इट्स शीथ्स           
जहाँ शाम सुहानी ढले
|1895
जहाँ ग़म भी न हो,  आँसू भी न हो ...
|
आ चल के तुझे मैं ले के चलूं ...
|-
= ============
|6-
गाना / Title: कोई लौटा दे मेरे - koii lauTaa de mere
|मैन ऐण्ड हिज़ बॉडीज (थियोसॉफिकल मैन्युअल VII)      
 
|1896
चित्रपट / Film: Door Gagan Ki Chhaaon Mein
|
 
|-
संगीतकार / Music Director:  किशोर कुमार-(Kishore Kumar)
|7-
 
|द पाथ ऑफ डिसाइपिल्शिप           
गीतकार / Lyricist:  Shailendra
|1896
 
|मुमुक्ष का मार्ग।
गायक / Singer(s): किशोर कुमार-(Kishore Kumar)  
|-
 
|8-
Raw Data: http://lyricsindia.net/isb/ASCII/1016.isb
|द ऐंश्यिएण्ट विज़्डम             
अल्बेले दिन प्यारे, मेरे बिछड़े साथी सारे
|1897
हाय! कहाँ गये, हाय! कहाँ गये
|
 
|-
कोई लौटा दे मेरे, बीते हुए दिन \- (२)
|9-
बीते हुए दिन वो हाय, प्यारे पल छिन
|फॉर ग्रेट रिलिजन्स       
कोई लौटा दे ...
|1897
 
|धर्म पर प्रसिद्ध पुस्तक - कालान्तर में चार भागों में प्रकाशित -  
मैं अकेला तो ना था, थे मेरे साथी कई
#हिन्दूइज्म,  
एक आँधी सी उठी, जो भी था लेके गई
#जोरैस्ट्रियनिज्म,  
आज मैं ढूँढूं कहाँ, खो गये जाने किधर \-
#बुद्धिज्म,
बीते हुए दिन वो हाय, प्यारे पल छिन
#क्रिश्चियैनिटी।
कोई लौटा दे ...
|-
 
|10-
मेरे ख्वाबों के नगर, मेरे सपनों के शहर
|एवोल्यूशन ऑफ लाइफ एण्ड फॉर्म             
पी लिया जिनके लिये, मैंने जीवन का ज़हर
|1899
ऐसे भी दिन थे कभी, मेरी दुनिया थी मेरी  \- २
|
बीते हुए दिन वो हाय, प्यारे पल छिन
|-
कोई लौटा दे ...
|11-
- ----------
|सम प्रॉब्लम्स ऑफ लाइफ               
अजनबी तुम जाने पेह्चाने से.....
|1900
अजनबी तुम जाने पेह्चाने से लगते हो -
|
ये बडी अजीब सी बात है
|-
ये नयी नयी मुलाक़ात है
|12-
फिर भी जाने क्यों
|थॉट पावर : इट्स कण्ट्रोल ऐण्ड कल्चर             
अजनबी तुम जाने पेहचाने से लगते हो
| 1901
 
|
तुमने कभी प्यार किया था किसी राही से -
|-
तुमने कभी वादा किया था किसी साथी से
|13-
न वो प्यार रहा, न वो बात रही
|रिलिजस प्रॉब्लम इन इण्डिया               
फिर भी जाने क्यों
|1902
अजनबी तुम जाने पेहचाने से लगते हो
|यह उनकी एक महान साहित्यिक कृति थी जो कालान्तर में चार भागों - इस्लाम, जैनिज़्म, सिक्खिज़्म, थियोसॉफी - में प्रकाशित हुई।
अजनबी
|-
 
|14-
दिल में रहें और हमारा दिल तोड दिया -
|द पेडिग्री ऑफ मैन             
साथ चले, मोड पे आके हमें छोड दिया
|1904
तुम हो कहीं, और हम कहीं
|
फिर भी जाने क्यों
|-
अजनबी तुम जाने पेहचाने से लगते हो
|15-
ये बदि अजीब सी बात है
| ए स्टडी इन कॉंशसनेस           
ये नयी नयी मुलाक़ात है
|1904
फिर भी जाने क्यों
|
अजनबी तुम जाने पेहचाने से लगते हो
|-
अजनबी..
|16-
 
|ए स्टडी इन कर्म               
फ़िल्म : हम सब ऊस्ताद है
|1912
गायक : किशोर कुमार \
|कर्म-सिद्धान्त पर प्रणीत।
http://poetryinsongs.blogspot.com/2008/07/blog-post_25.html
|-
अजनबी तुम जाने पेह्चाने से.....
|17-
अजनबी तुम जाने पेह्चाने से लगते हो -
|वेक अप, इण्डिया : ए प्ली फॉर सोशल रिफॉर्म
ये बडी अजीब सी बात है
|1913
ये नयी नयी मुलाक़ात है
|
फिर भी जाने क्यों
|-
अजनबी तुम जाने पेहचाने से लगते हो
|18-
 
|इण्डिया ऐण्ड ए एम्पायर
तुमने कभी प्यार किया था किसी राही से -
|1914
तुमने कभी वादा किया था किसी साथी से
|
न वो प्यार रहा, न वो बात रही
|-
फिर भी जाने क्यों
|19-
अजनबी तुम जाने पेहचाने से लगते हो
|फॉर इण्डियाज़ अपलिफ्ट  
अजनबी
|1914
 
|
दिल में रहें और हमारा दिल तोड दिया -
|-
साथ चले, मोड पे आके हमें छोड दिया
|20-
तुम हो कहीं, और हम कहीं
|द कॉमनवील 
फिर भी जाने क्यों
|1914
अजनबी तुम जाने पेहचाने से लगते हो
|जुलाई से निकालना शुरू किया (प्रसिद्ध साप्ताहिक पत्र)।
ये बदि अजीब सी बात है
|-
ये नयी नयी मुलाक़ात है
|21-
फिर भी जाने क्यों
|न्यू इण्डिया         
अजनबी तुम जाने पेहचाने से लगते हो
|1915
अजनबी..
|मद्रास (चेन्नई) से निकलने वाला दैनिक पत्र।
 
|-
फ़िल्म : हम सब ऊस्ताद है
|22-
गायक : किशोर कुमार
|हाऊ इण्डिया रौट् फॉर फ्रीडम       
Posted by SP Gadiyaar at 10:26 PM
|1915
Labels: "kishore kumar", ajanabi, ustad -------  
|यह प्रसिद्ध ग्रंथ ऑफिशियल रिकार्डों के आधार पर रचित राष्ट्रीय कांग्रेस की कहानी है।
-------
|-
तुम बिन जाऊं कहां ...
|23-
तुम बिन जाऊं कहां, तुम बिन जाऊं कहां
|इण्डिया : ए नेशन           
कि दुनिया में आ के कुछ न फिर
|1915
चाहा कभी तुमको चाहके तुम बिन
|द पीपुल्स बुक्स सिरीज़ की इस पुस्तक को 1916  में अंग्रेज़ सरकार ने जब्त कर लिया और एनी बेसेन्ट को अलगे वर्ष नज़रबन्द कर दिया गया।
 
|-
रह भी सको गे कैसे, हो के मुझसे जुदा
|24-
फट जाये गी दीवारें सुन के मेरी सदा
|कांग्रेस स्पीचेज           
आना होगा तुम्हे मेरे लिये
|1917
साथी मेरी सुनी राह के
|
तुम बिन जाऊं कहां..
|-
 
|25-
कितनी अकेली सी पेहले थी यहि दुनिया
|द बर्थ ऑफ न्यू इण्डिया         
तुमने नज़र जो मिलायी बस गयी दुनिया
|1917
दिल को मिलि जो तुम्हारी लगन
|यह पुस्तक फॉर इण्डियाज़ अपलिफ्ट - 1914, से मिलती जुलती है।
दिये जल गये मेरी आह से
|-
तुम बिन जाऊं कहां..
|26-
 
|लेटर्स टू ए यंग इण्डियन प्रिन्स               
फ़िल्म : प्यार का मौसम
|1921
गायक : किशोर कुमार
|इस ग्रंथ में छोटे-छोटे देशी राज्यों को आधुनिक तरीकों से पुनर्गणित करने की संस्तुति की गयी है।
-----------------------
|-
फ़ूलों के रंगसे .....
|27-
फ़ूलों के रंगसे, दिल की कलम से, तुज़ को लिखी रोज पाती
|द फ्यूचर ऑफ इण्डियन पॉलिटिक्स               
कैसे बताऊ किस किस तरह से, पल पल मुझे तू सताती
|1922
 
|इसकी उपादेयता तत्कालीन समस्याओं को समझने के लिए रही है।
तेरे ही सपने लेकर के सोया, तेरे ही यादों में जागा
|-
तेरे खयालों में उलझा रहा यूं जैसे के माला में धागा
|28-
 
|ब्रह्म विद्या             
बादल बिजली चंदन पानी, जैसा अपना प्यार
| 1923
लेना होगा जनम हमें कई कई बार
|
इतना मदीर, इतना मधूर तेरा मेरा प्यार
|-
लेना होगा जनम हुमें कई कई बार
|29-
 
|इण्डियन आर्ट                 
सांसो की सरगम धडकन की बीना, सपनों की गीतांजली तू
|1925
मन की गली में महके जो हरदम ऐसी जूही की कली तू
|भारतीय संस्कृति पर यह पुस्तक [[कलकत्ता विश्वविद्यालय]] में दिये गये कमला लेक्चर पर आधारित है।
छोटा सफ़र हो, लंबा सफ़र हो, सुनी डगर हो या मेला
|-
याद तू आये, मन हो जाये, भीड के बीच अकेला
|30-
बादल बिजली चंदन पानी, जैसा अपना प्यार.. ..
|इण्डिया : बौण्ड ऑर फ्री?             
 
|1926
पूरब हो पश्चिम उत्तर हो दक्शिन तू हर जगह मुस्कुराये
|यह पुस्तक अद्भुत साहित्यिक और माननीय रुचि का एक निजी दस्तावेज है। साथ ही साथ भारतीय इतिहास की एक अपूर्व निधि है। इसमें भारत के भूत, वर्तमान और भविष्य का व्यवस्थित सर्वेक्षण किया गया है।
जितना ही जाऊ मैं दूर तुझ से, उतनी ही तू पास आये
|-
आंधी ने रोका, पानी ने टोका, दुनियां ने हसकर पुकारा
|15-
तसवीर तेरी लेकिन लिये मैं, कर आया सब से किनारा
| ए स्टडी इन कॉंशसनेस           
बादल बिजली चंदन पानी, जैसा अपना प्यार.. ..
|1904
 
|}
शब्द: नीरज
संगीत : सचिन देव बर्मन
फ़िल्म : प्रेम पूजारी
----------
गाना /  पल पल दिल के पास, तुम रहती हो
चित्रपट / ब्लैक मेल
 
संगीतकार /  कल्याणजी - आनंदजी
 
गीतकार / राजेन्द्र कृष्ण
 
गायक / किशोर कुमार
अभिनेता / धर्मेन्द्र 
अभिनेत्री / राखी गुलज़ार
{{गीत गज़ल}}
पल पल दिल के पास, तुम रहती हो
जीवन मीठी प्यास, ये कहती हो
पल पल ...
 
हर शाम आँखों पर, तेरा आँचल लहराए
हर रात यादों की, बारात ले आए
मैं सांस लेता हूँ, तेरी खुशबू आती है
एक महका महका सा, पैगाम लाती है
मेरे दिल कि धड़कन भी, तेरे गीत गाती है
पल पल ...
 
तुम सोचोगी क्यूँ इतना, मैं तुमसे प्यार करूं
तुम समझोगी दीवाना, मैं भी इक़रार करूं
दीवानों की ये बातें, दीवाने जानते हैं
जलने में क्या मज़ा है, परवाने जानते हैं
तुम यूँ ही जलाते रहना, आ आ कर ख़्वाबों में
पल पल ...
 
कल तुझको देखा था, मैने अपने आंगन में
जैसे कह रही थी तुम, मुझे बाँध लो बन्धन में
ये कैसा रिश्ता है, ये कैसे सपने हैं
बेगाने हो कर भी, क्यूँ लगते अपने हैं
मैं सोच मैं रहता हूँ, डर डर के कहता हूँ
पल पल ...
---------
गाना / Title: तुम आ गये हो, नूर आ गया है - tum aa gaye ho, nuur aa
 
gayaa hai
 
चित्रपट / Film: Aandhi
 
संगीतकार / Music Director:  राहुलदेव बर्मन-(R D Burman)
 
गीतकार / Lyricist:  गुलजार-(Gulzar)
 
गायक / Singer(s):  किशोर कुमार-(Kishore Kumar)  ,   लता मंगेशकर-
 
(Lata Mangeshkar) 
 
 
किशोर: तुम आ गए हो नूर आ गया है    \-
नहीं तो चराग़ों से लौ जा रही थी
लता: जीने कि तुमसे वजह मिल गई है
बड़ी बेवजह ज़िंदगी जा रही थी
किशोर: तुम आ गए हो नूर आ गया है
 
किशोर: कहाँ से चले कहाँ के लिये
ये खबर नहीं थी मगर
कोइ भी सिरा जहाँ जा मिला
वहीं तुम मिलोगे
के हम तक तुम्हारी दुआ आ रही थी
तुम आ गये हो नूर आ गया हैं
लता: नहीं तो चराग़ों से लौ जा रही थी
तुम आ गए हो नूर आ गया हैं
 
लता: दिन डूबा नहीं रात डूबी नहीं
जाने कैसा है सफ़र
ख़्वाबों के दिये आँखों में लिये
वहीं आ रहे थे
जहाँ से तुम्हारी सदा आ रही थी
तुम आ गये हो नूर आ गया हैं
नहीं तो चरागों से लौ जा रही थी
 
 
 
 
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>

10:55, 22 अप्रैल 2011 का अवतरण

भारत के संग्रहालय, अभिलेखागार और कला दीर्घा
क्रम नाम स्थान प्रदेश
1 त्रिपुरा गवर्नमेंट संग्रहालय त्रिपुरा त्रिपुरा
2 स्टेट म्यूज़ियम कोहिमा नागालैंड
3 राष्ट्रीय संग्रहालय दिल्ली दिल्ली
4 चंडीगढ़ संग्रहालय चंडीगढ़ चंडीगढ़
5 राष्ट्रीय गैलरी चंडीगढ़ चंडीगढ़
6 कला दीर्घा चंडीगढ़ चंडीगढ़
7 आदिवासी सांस्कृतिक संग्रहालय दादर और नगर हवेली दादर और नगर हवेली
8 राज्य संग्रहालय असम असम
9 गुरुकुल संग्रहालय झज्झर हरियाणा
10 अस्थल बोहर संग्रहालय रोहतक हरियाणा
11 एशियाटिक सोसाइटी कोलकाता कोलकाता
12 विक्टोरिया संग्रहालय कोलकाता कोलकाता
13 आशुतोष संग्रहालय कोलकाता कोलकाता
14 शांति निकेतन बोलपुर कोलकाता
15 द कोलकाता आर्ट सोसाइटी कोलकाता कोलकाता
16 इंडियन म्यूज़ियम हाउस कोलकाता कोलकाता
17 पुरातात्विक संग्रहालय नालंदा बिहार
18 पुरातात्विक संग्रहालय वैशाली बिहार
19 पुरातात्विक संग्रहालय बोधगया बिहार
20 चंद्रधारी संग्रहालय दरभंगा बिहार
21 गया संग्रहालय गया बिहार
22 नवादा संग्रहालय नवादा बिहार
23 राज्य संग्रहालय लखनऊ उत्तर प्रदेश
24 राजकीय संग्रहालय लखनऊ उत्तर प्रदेश
25 राजकीय संग्रहालय मथुरा उत्तर प्रदेश
26 राजकीय संग्रहालय झाँसी उत्तर प्रदेश
27 राजकीय अभिलेखागार लखनऊ उत्तर प्रदेश
28 राजकीय अभिलेखागार इलाहाबाद उत्तर प्रदेश
29 क्षेत्रीय अभिलेखागार वाराणसी उत्तर प्रदेश
30 महाराजा माधोसिंह संग्रहालय कोटा राजस्थान
31 इंडियन स्कल्पचर्स मुम्बई महाराष्ट्र
32 द आर्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया मुम्बई महाराष्ट्र
33 जहाँगीर आर्ट गैलरी मुम्बई महाराष्ट्र
34 मार्डन आर्ट इंस्टीट्यूट दादर मुम्बई महाराष्ट्र
35 कला निकेतन कोल्हापुर महाराष्ट्र
36 नागपुर संग्रहालय नागपुर महाराष्ट्र
37 प्रिंस ऑफ वेल्स म्यूज़ियम मुम्बई महाराष्ट्र
38 राज्य संग्रहालय हैदराबाद आन्ध्र प्रदेश
39 कला दीर्घा हैदराबाद आन्ध्र प्रदेश
40 सालारजंग संग्रहालय हैदराबाद आन्ध्र प्रदेश
41 स्वास्थ्य संग्रहालय हैदराबाद आन्ध्र प्रदेश
42 ज़िला संग्रहालय सलेम तमिलनाडु
43 द फोर्ट म्यूज़ियम चेन्नई तमिलनाडु
44 गवर्नमेंट म्यूज़ियम चेन्नई तमिलनाडु
45 आरंगर कोडायकोड्डम श्रीरंगम संग्रहालय श्रीरंगम तमिलनाडु
46 गाँधी संग्रहालय मदुरई तमिलनाडु
47 तमिलनाडु राज्य संग्रहालय मदुरई तमिलनाडु
48 तमिलनाडु राज्य संग्रहालय पुडुकोटाय तमिलनाडु

थल सेना कमान एवं मुख्यालय
कमान मुख्यालय
उत्तरी कमान ऊधमपुर
दक्षिणी कमानA पुणे
पूर्वी कमान कोलकाता
पश्चिमी कमान चांदीमंदिर
मध्य कमान लखनऊ
दक्षिण-पश्चिम कमान जयपुर
सेना प्रशिक्षण कमान शिमला


वायु सेना कमान एवं मुख्यालय
कमान मुख्यालय
दक्षिणी कमान तिरुअनंतपुरम, केरल
पश्चिमी कमान सुब्रतो पार्क, नयी दिल्ली
पूर्वी कमान शिलांग, मेघालय
दक्षिण-पश्चिम कमान गांधीनगर, गुजरात
मध्य कमान इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश
मेंटेनेंस कमान नागपुर, महाराष्ट्र
प्रशिक्षण कमान बंगलुरु, कर्नाटक
कमांडर इन चीफ़
नाम अवधि
जनरल सर राय बूचर 1 जनवरी 1948 से 14 जनवरी 1949
जनरल (अब फील्ड मार्शल) के. एम. करिअप्पा 15 जनवरी 1949 से 14 जनवरी 1953
जनरल महाराज राजेन्द्र सिंहजी 15 जनवरी 153 से 31 मार्च 1955

काव्य संकलन
क्रम नाम प्रकाशन सन
1- बूढ़े बच्चे प्रौढ़ शिक्षा निदेशालय, भारत सरकार 1979
2- सो तो है प्रलेक प्रकाशन, नई दिल्ली, 1983
3- भोले भाले हिन्दी साहित्य निकेतन 1984
4- तमाशा , हिन्दी साहित्य निकेतन 1986
5- चुटपुटकुले डायमण्ड पब्लिकेशंस, नई दिल्ली 1988
6- हंसो और मर जाओ हिन्दी साहित्य निकेतन 1990
7- देश धन्या पंच कन्या प्राची प्रकाशन, नई दिल्ली 1997
8- ए जी सुनिए डायमण्ड पब्लिकेशंस, नई दिल्ली 1997
9- इसलिए बौड़म जी इसलिए डायमण्ड पब्लिकेशंस, नई दिल्ली 1997
10- खिड़कियां डायमण्ड पब्लिकेशंस, नई दिल्ली 2001
11- बोल-गप्पे डायमण्ड पब्लिकेशंस, नई दिल्ली 2001
12- जाने क्या टपके डायमण्ड पब्लिकेशंस, नई दिल्ली, 2001
13- चुनी चुनाई प्रतिभा प्रतिष्ठान, नई दिल्ली 2002
14- सोची समझी प्रतिभा प्रतिष्ठान, नई दिल्ली 2002
15- जो करे सो जोकर डायमण्ड पब्लिकेशंस, नई दिल्ली 2007
16- मसलाराम पेंगुइन प्रकाशन

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गाना / Title: आ चल के तुझे मैं ले के चलूं - aa chal ke tujhe mai.n le ke

chaluu.n

चित्रपट / Film: Door Gagan Ki Chhaaon Mein

संगीतकार / Music Director: किशोर कुमार-(Kishore Kumar)

गीतकार / Lyricist: किशोर कुमार-(Kishore Kumar)

गायक / Singer(s): किशोर कुमार-(Kishore Kumar)

Raw Data: http://lyricsindia.net/isb/ASCII/13.isb आ चल के तुझे, मैं ले के चलूं इक ऐसे गगन के तले जहाँ ग़म भी न हो, आँसू भी न हो बस प्यार ही प्यार पले इक ऐसे गगन के तले

सूरज की पहली किरण से, आशा का सवेरा जागे (२) चंदा की किरण से धुल कर, घनघोर अंधेरा भागे (२) कभी धूप खिले कभी छाँव मिले लम्बी सी डगर न खले जहाँ ग़म भी नो हो, आँसू भी न हो ...

जहाँ दूर नज़र दौड़ आए, आज़ाद गगन लहराए जहाँ रंग बिरंगे पंछी, आशा का संदेसा लाएं (२) सपनो मे पली हँसती हो कली जहाँ शाम सुहानी ढले जहाँ ग़म भी न हो, आँसू भी न हो ... आ चल के तुझे मैं ले के चलूं ...

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गाना / Title: कोई लौटा दे मेरे - koii lauTaa de mere

चित्रपट / Film: Door Gagan Ki Chhaaon Mein

संगीतकार / Music Director: किशोर कुमार-(Kishore Kumar)

गीतकार / Lyricist: Shailendra

गायक / Singer(s): किशोर कुमार-(Kishore Kumar)

Raw Data: http://lyricsindia.net/isb/ASCII/1016.isb अल्बेले दिन प्यारे, मेरे बिछड़े साथी सारे हाय! कहाँ गये, हाय! कहाँ गये

कोई लौटा दे मेरे, बीते हुए दिन \- (२) बीते हुए दिन वो हाय, प्यारे पल छिन कोई लौटा दे ...

मैं अकेला तो ना था, थे मेरे साथी कई एक आँधी सी उठी, जो भी था लेके गई आज मैं ढूँढूं कहाँ, खो गये जाने किधर \- २ बीते हुए दिन वो हाय, प्यारे पल छिन कोई लौटा दे ...

मेरे ख्वाबों के नगर, मेरे सपनों के शहर पी लिया जिनके लिये, मैंने जीवन का ज़हर ऐसे भी दिन थे कभी, मेरी दुनिया थी मेरी \- २ बीते हुए दिन वो हाय, प्यारे पल छिन कोई लौटा दे ... - ---------- अजनबी तुम जाने पेह्चाने से..... अजनबी तुम जाने पेह्चाने से लगते हो -२ ये बडी अजीब सी बात है ये नयी नयी मुलाक़ात है फिर भी जाने क्यों अजनबी तुम जाने पेहचाने से लगते हो

तुमने कभी प्यार किया था किसी राही से -२ तुमने कभी वादा किया था किसी साथी से न वो प्यार रहा, न वो बात रही फिर भी जाने क्यों अजनबी तुम जाने पेहचाने से लगते हो अजनबी

दिल में रहें और हमारा दिल तोड दिया -२ साथ चले, मोड पे आके हमें छोड दिया तुम हो कहीं, और हम कहीं फिर भी जाने क्यों अजनबी तुम जाने पेहचाने से लगते हो ये बदि अजीब सी बात है ये नयी नयी मुलाक़ात है फिर भी जाने क्यों अजनबी तुम जाने पेहचाने से लगते हो अजनबी..

फ़िल्म : हम सब ऊस्ताद है गायक : किशोर कुमार \ http://poetryinsongs.blogspot.com/2008/07/blog-post_25.html अजनबी तुम जाने पेह्चाने से..... अजनबी तुम जाने पेह्चाने से लगते हो -२ ये बडी अजीब सी बात है ये नयी नयी मुलाक़ात है फिर भी जाने क्यों अजनबी तुम जाने पेहचाने से लगते हो

तुमने कभी प्यार किया था किसी राही से -२ तुमने कभी वादा किया था किसी साथी से न वो प्यार रहा, न वो बात रही फिर भी जाने क्यों अजनबी तुम जाने पेहचाने से लगते हो अजनबी

दिल में रहें और हमारा दिल तोड दिया -२ साथ चले, मोड पे आके हमें छोड दिया तुम हो कहीं, और हम कहीं फिर भी जाने क्यों अजनबी तुम जाने पेहचाने से लगते हो ये बदि अजीब सी बात है ये नयी नयी मुलाक़ात है फिर भी जाने क्यों अजनबी तुम जाने पेहचाने से लगते हो अजनबी..

फ़िल्म : हम सब ऊस्ताद है गायक : किशोर कुमार Posted by SP Gadiyaar at 10:26 PM Labels: "kishore kumar", ajanabi, ustad -------


तुम बिन जाऊं कहां ... तुम बिन जाऊं कहां, तुम बिन जाऊं कहां कि दुनिया में आ के कुछ न फिर चाहा कभी तुमको चाहके तुम बिन

रह भी सको गे कैसे, हो के मुझसे जुदा फट जाये गी दीवारें सुन के मेरी सदा आना होगा तुम्हे मेरे लिये साथी मेरी सुनी राह के तुम बिन जाऊं कहां..

कितनी अकेली सी पेहले थी यहि दुनिया तुमने नज़र जो मिलायी बस गयी दुनिया दिल को मिलि जो तुम्हारी लगन दिये जल गये मेरी आह से तुम बिन जाऊं कहां..

फ़िल्म : प्यार का मौसम गायक : किशोर कुमार


फ़ूलों के रंगसे ..... फ़ूलों के रंगसे, दिल की कलम से, तुज़ को लिखी रोज पाती कैसे बताऊ किस किस तरह से, पल पल मुझे तू सताती

तेरे ही सपने लेकर के सोया, तेरे ही यादों में जागा तेरे खयालों में उलझा रहा यूं जैसे के माला में धागा

बादल बिजली चंदन पानी, जैसा अपना प्यार लेना होगा जनम हमें कई कई बार इतना मदीर, इतना मधूर तेरा मेरा प्यार लेना होगा जनम हुमें कई कई बार

सांसो की सरगम धडकन की बीना, सपनों की गीतांजली तू मन की गली में महके जो हरदम ऐसी जूही की कली तू छोटा सफ़र हो, लंबा सफ़र हो, सुनी डगर हो या मेला याद तू आये, मन हो जाये, भीड के बीच अकेला बादल बिजली चंदन पानी, जैसा अपना प्यार.. ..

पूरब हो पश्चिम उत्तर हो दक्शिन तू हर जगह मुस्कुराये जितना ही जाऊ मैं दूर तुझ से, उतनी ही तू पास आये आंधी ने रोका, पानी ने टोका, दुनियां ने हसकर पुकारा तसवीर तेरी लेकिन लिये मैं, कर आया सब से किनारा बादल बिजली चंदन पानी, जैसा अपना प्यार.. ..

शब्द: नीरज संगीत : सचिन देव बर्मन फ़िल्म : प्रेम पूजारी


गाना / पल पल दिल के पास, तुम रहती हो चित्रपट / ब्लैक मेल

संगीतकार / कल्याणजी - आनंदजी

गीतकार / राजेन्द्र कृष्ण

गायक / किशोर कुमार अभिनेता / धर्मेन्द्र अभिनेत्री / राखी गुलज़ार साँचा:गीत गज़ल पल पल दिल के पास, तुम रहती हो जीवन मीठी प्यास, ये कहती हो पल पल ...

हर शाम आँखों पर, तेरा आँचल लहराए हर रात यादों की, बारात ले आए मैं सांस लेता हूँ, तेरी खुशबू आती है एक महका महका सा, पैगाम लाती है मेरे दिल कि धड़कन भी, तेरे गीत गाती है पल पल ...

तुम सोचोगी क्यूँ इतना, मैं तुमसे प्यार करूं तुम समझोगी दीवाना, मैं भी इक़रार करूं दीवानों की ये बातें, दीवाने जानते हैं जलने में क्या मज़ा है, परवाने जानते हैं तुम यूँ ही जलाते रहना, आ आ कर ख़्वाबों में पल पल ...

कल तुझको देखा था, मैने अपने आंगन में जैसे कह रही थी तुम, मुझे बाँध लो बन्धन में ये कैसा रिश्ता है, ये कैसे सपने हैं बेगाने हो कर भी, क्यूँ लगते अपने हैं मैं सोच मैं रहता हूँ, डर डर के कहता हूँ पल पल ...


गाना / Title: तुम आ गये हो, नूर आ गया है - tum aa gaye ho, nuur aa

gayaa hai

चित्रपट / Film: Aandhi

संगीतकार / Music Director: राहुलदेव बर्मन-(R D Burman)

गीतकार / Lyricist: गुलजार-(Gulzar)

गायक / Singer(s): किशोर कुमार-(Kishore Kumar) , लता मंगेशकर-

(Lata Mangeshkar)


किशोर: तुम आ गए हो नूर आ गया है \- २ नहीं तो चराग़ों से लौ जा रही थी लता: जीने कि तुमसे वजह मिल गई है बड़ी बेवजह ज़िंदगी जा रही थी किशोर: तुम आ गए हो नूर आ गया है

किशोर: कहाँ से चले कहाँ के लिये ये खबर नहीं थी मगर कोइ भी सिरा जहाँ जा मिला वहीं तुम मिलोगे के हम तक तुम्हारी दुआ आ रही थी तुम आ गये हो नूर आ गया हैं लता: नहीं तो चराग़ों से लौ जा रही थी तुम आ गए हो नूर आ गया हैं

लता: दिन डूबा नहीं रात डूबी नहीं जाने कैसा है सफ़र ख़्वाबों के दिये आँखों में लिये वहीं आ रहे थे जहाँ से तुम्हारी सदा आ रही थी तुम आ गये हो नूर आ गया हैं नहीं तो चरागों से लौ जा रही थी



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टीका टिप्पणी और संदर्भ