"भक्त": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "==टीका टिप्पणी और संदर्भ==" to "{{संदर्भ ग्रंथ}} ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==") |
No edit summary |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
* | *[[भक्तिमार्ग]] के सिद्धान्तानुसार भक्त उसे कहा जाता है, जिसने ईश्वर के भजन में अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया हो। साधारण आत्माओं को चार भागों में विभक्त किया गया है - | ||
#बद्ध - जो इस जीवन की समस्याओं से बँधा है| | |||
#मुमुक्षु - जिसमें मुक्ति की चेतना जागृत हो, किन्तु उसके योग्य अभी नहीं है। | |||
#भक्त अथवा केवली - जो मात्र ईश्वर की उपासना में ही लीन हो, पवित्र हृदय हो और जो भक्ति गुण के कारण मुक्ति के मार्ग पर चल रहा हो और | |||
#मुक्त - जो भगवन - पद को प्राप्त कर चुका हो। | |||
10:48, 31 मार्च 2011 का अवतरण
- भक्तिमार्ग के सिद्धान्तानुसार भक्त उसे कहा जाता है, जिसने ईश्वर के भजन में अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया हो। साधारण आत्माओं को चार भागों में विभक्त किया गया है -
- बद्ध - जो इस जीवन की समस्याओं से बँधा है|
- मुमुक्षु - जिसमें मुक्ति की चेतना जागृत हो, किन्तु उसके योग्य अभी नहीं है।
- भक्त अथवा केवली - जो मात्र ईश्वर की उपासना में ही लीन हो, पवित्र हृदय हो और जो भक्ति गुण के कारण मुक्ति के मार्ग पर चल रहा हो और
- मुक्त - जो भगवन - पद को प्राप्त कर चुका हो।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ