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सूर वंश के संस्थापक अफग़ान शासक [[शेरशाह सूरी]] का मक़बरा सासाराम में है और देश का प्रसिद्ध 'ग्रांड ट्रंक रोड' भी इसी शहर से होकर गुजरता है।
*सासाराम (सहसराम) [[बिहार]] के शाहाबाद ज़िले में स्थित है।
*सूर वंश के संस्थापक [[अफ़ग़ान]] शासक [[शेरशाह सूरी]] का मक़बरा सासाराम में है और देश का प्रसिद्ध 'ग्रांड ट्रंक रोड' भी इसी शहर से होकर गुजरता है।
*सहसराम के समीप एक पहाड़ी पर गुफा में [[अशोक के शिलालेख|अशोक का लघु शिलालेख]] संख्या एक उत्कीर्ण है।
*अफ़ग़ान शेरशाह सूरी का बाल्यकाल यहीं बीता था।
*शेरशाह सूरी युवा होने पर सहसराम में 21वर्षों तक सफल शासन व्यवस्था कायम की।
*सहसराम उसके पिता की जागीर थी।
*इस समय का उसका सबसे महत्त्वपूर्ण काम लगान सम्बन्धी एक श्रेष्ठ व्यवस्था की स्थापना करना था।
*सहसराम में शेरशाह सूरी का शानदार मक़बरा बना हुआ है।
*इसे स्वयं शेरशाह सूरी ने अपने जीवन काल में बनवाया था।
*यह अपने समय की [[कला]] का श्रेष्ठतम नमूना है।
*एक विशाल झील के मध्य उठे हुए चबूतरे पर बना यह मक़बरा उसके 'व्यक्तित्व का प्रतीक' है।
*यह तुग़लक़ बादशाहों की इमारतों की सादगी और [[शाहजहाँ]] की इमारतों की स्त्रियोचित सुन्दरता के बीच की कड़ी है।
*यह भवन अपनी परिकल्पना में [[इस्लाम|इस्लामी]] पर इसका भीतरी भाग हिन्दू वास्तुकला से सजाया-सँवारा गया है।
*इसे उत्तर [[भारत]] की श्रेष्ठ इमारतों में से एक कहा गया है।
*इस पर [[हिन्दू]] और इस्लामी कला का स्पष्ट प्रभाव देखा जा सकता है।
*वस्तुतः[[अकबर]] के राज्यकाल के पूर्व हिन्दू-मुस्लिम स्थापत्य के समंवय का सबसे सुन्दर नमूना शेरशाह का मक़बरा है।
 
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12:27, 9 अप्रैल 2011 का अवतरण

शेरशाह सूरी का मक़बरा, सासाराम, बिहार
Sher Shah Suri Tomb, Sasaram, Bihar
  • सासाराम (सहसराम) बिहार के शाहाबाद ज़िले में स्थित है।
  • सूर वंश के संस्थापक अफ़ग़ान शासक शेरशाह सूरी का मक़बरा सासाराम में है और देश का प्रसिद्ध 'ग्रांड ट्रंक रोड' भी इसी शहर से होकर गुजरता है।
  • सहसराम के समीप एक पहाड़ी पर गुफा में अशोक का लघु शिलालेख संख्या एक उत्कीर्ण है।
  • अफ़ग़ान शेरशाह सूरी का बाल्यकाल यहीं बीता था।
  • शेरशाह सूरी युवा होने पर सहसराम में 21वर्षों तक सफल शासन व्यवस्था कायम की।
  • सहसराम उसके पिता की जागीर थी।
  • इस समय का उसका सबसे महत्त्वपूर्ण काम लगान सम्बन्धी एक श्रेष्ठ व्यवस्था की स्थापना करना था।
  • सहसराम में शेरशाह सूरी का शानदार मक़बरा बना हुआ है।
  • इसे स्वयं शेरशाह सूरी ने अपने जीवन काल में बनवाया था।
  • यह अपने समय की कला का श्रेष्ठतम नमूना है।
  • एक विशाल झील के मध्य उठे हुए चबूतरे पर बना यह मक़बरा उसके 'व्यक्तित्व का प्रतीक' है।
  • यह तुग़लक़ बादशाहों की इमारतों की सादगी और शाहजहाँ की इमारतों की स्त्रियोचित सुन्दरता के बीच की कड़ी है।
  • यह भवन अपनी परिकल्पना में इस्लामी पर इसका भीतरी भाग हिन्दू वास्तुकला से सजाया-सँवारा गया है।
  • इसे उत्तर भारत की श्रेष्ठ इमारतों में से एक कहा गया है।
  • इस पर हिन्दू और इस्लामी कला का स्पष्ट प्रभाव देखा जा सकता है।
  • वस्तुतःअकबर के राज्यकाल के पूर्व हिन्दू-मुस्लिम स्थापत्य के समंवय का सबसे सुन्दर नमूना शेरशाह का मक़बरा है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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