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शिल्पी गोयल (वार्ता | योगदान) No edit summary |
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+[[चित्रकला]] | +[[चित्रकला]] | ||
-नाट्य कला | -नाट्य कला | ||
||[[चित्र:Radha-Krishna.jpg| | ||[[चित्र:Radha-Krishna.jpg|80px|right|[[राधा]]-[[कृष्ण]], द्वारा- [[राजा रवि वर्मा]]]]आत्माभिव्यक्ति मानव की प्राकृतिक प्रवृति है। अपने अंदर के भाव प्रकट किए बिना वह रह नहीं सकता। और, भावों का आधार होता है, मनुष्य का परिवेश। विद्वानों की मान्यता है कि आदिम काल में जब [[भाषा]] और लिपि-चिन्हों का आविर्भाव नहीं हुआ था, रेखाओं के संकेत से ही व्यक्ति स्वयं को अभिव्यक्त करता था। गुफाओं के अंदर आज जो शिलाचित्र मिलते हैं, वे ही चित्रकला के आदि प्रमाण हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चित्रकला]] | ||
{[[मुग़ल काल]] में मंसूर था | {[[मुग़ल काल]] में मंसूर कौन था? | ||
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-कवि | -कवि | ||
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-[[जम्मू और कश्मीर]] | -[[जम्मू और कश्मीर]] | ||
-[[पंजाब]] | -[[पंजाब]] | ||
||[[चित्र:Viceregal-Lodge-Shimla.jpg|right| | ||[[चित्र:Viceregal-Lodge-Shimla.jpg|right|80px|विसिरेजल लॉज, [[शिमला]]]] हिमाचल प्रदेश पश्चिमी [[भारत]] में स्थित राज्य है। यह उत्तर में [[जम्मू और कश्मीर]], पश्चिम तथा दक्षिण-पश्चिम में दक्षिण में [[हरियाणा]] एवं [[उत्तर प्रदेश]], दक्षिण-पूर्व में [[उत्तराखंड]] तथा पूर्व में [[तिब्बत]] से घिरा है। 'हिमाचल' प्रदेश का शाब्दिक अर्थ बर्फ़ीले पहाड़ों का अंचल' है। हिमाचल प्रदेश को देव भूमि भी कहा जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[हिमाचल प्रदेश]] | ||
{'उमा की तपस्या','शिव पार्वती', 'बसंत' ' | {'उमा की तपस्या', 'शिव पार्वती', 'बसंत', 'प्रणाम' आदि किस प्रतिभाशाली चित्रकार की उत्कृष्ट कृतियाँ है? | ||
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+नन्दलाल बोस | +नन्दलाल बोस | ||
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{'एलीफैण्ट्स बाथिंग इन ग्रीन पुल' निम्नलिखित में से किस चित्रकार की चर्चित कृति है? | {'एलीफैण्ट्स बाथिंग इन ग्रीन पुल' निम्नलिखित में से किस चित्रकार की चर्चित कृति है? | ||
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-एम.एफ. हुसैन | -एम. एफ. हुसैन | ||
-सतीश गुजराल | -सतीश गुजराल | ||
+अमृता शेरगिल | +अमृता शेरगिल | ||
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+[[राजा रवि वर्मा]] | +[[राजा रवि वर्मा]] | ||
-सतीश गुजराल | -सतीश गुजराल | ||
||[[चित्र:Raja-Ravi-Varma-1.jpg|right| | ||[[चित्र:Raja-Ravi-Varma-1.jpg|right|80px|[[राजा रवि वर्मा]]]] राजा रवि वर्मा (जन्म- 1848; मृत्यु- [[1906]]) [[केरल]] प्रदेश के विख्यात चित्रकार थे। उन्होंने भारतीय [[साहित्य]] और [[संस्कृति]] के पात्रों का चित्रण किया। उनके चित्रों की सबसे बड़ी विशेषता [[हिन्दू]] महाकाव्यों और [[धर्म]] ग्रंथों पर बनाए गए चित्र हैं। हिन्दू मिथकों का बहुत ही प्रभावशाली इस्तेमाल उनके चित्रों में दिखता हैं। इस संग्रहालय में उनके चित्रों का बहुत बड़ा संग्रह है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[राजा रवि वर्मा]] | ||
{मधुबनी चित्रकला शैली का सम्बन्ध किस राज्य से है? | {मधुबनी चित्रकला शैली का सम्बन्ध किस राज्य से है? | ||
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-[[पश्चिम बंगाल]] | -[[पश्चिम बंगाल]] | ||
+[[बिहार]] | +[[बिहार]] | ||
||[[चित्र:Vaishali-Bihar.jpg|right| | ||[[चित्र:Vaishali-Bihar.jpg|right|120px|[[वैशाली]], [[बिहार]]]] बिहार का उल्लेख [[वेद|वेदों]], [[पुराण|पुराणों]] और प्राचीन महाकाव्यों में मिलता है। यह राज्य महात्मा [[बुद्ध]] और 24 जैन [[तीर्थंकर|तीर्थकरों]] की कर्मभूमि रहा हैं। ईसा पूर्व काल में इस क्षेत्र पर [[बिम्बिसार]], [[पाटलिपुत्र]] की स्थापना करने वाले उदयन, [[चन्द्रगुप्त मौर्य]] और [[अशोक|सम्राट अशोक]] सहित मौर्य, शुंग तथा कण्व राजवंश के नरेशों ने राज किया इसके पश्चात कुषाण शासकों का समय आया और बाद में [[गुप्त वंश]] के [[चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य]] ने बिहार पर राज किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बिहार]] | ||
{निम्नलिखित में से किसके शासनकाल में [[चित्रकला मुग़ल शैली|मुग़ल चित्रकला]] शिखर पर पहुँच चुकी थी? | {निम्नलिखित में से किसके शासनकाल में [[चित्रकला मुग़ल शैली|मुग़ल चित्रकला]] शिखर पर पहुँच चुकी थी? | ||
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-सतीश गुजराल | -सतीश गुजराल | ||
-पाब्लो पिकाणे | -पाब्लो पिकाणे | ||
+एम.एफ. हुसैन | +एम. एफ. हुसैन | ||
-लियोनार्दो द विंची | -लियोनार्दो द विंची | ||
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-[[चित्रकला राजपूत शैली#जयपुर शैली|जयपुर शैली]] | -[[चित्रकला राजपूत शैली#जयपुर शैली|जयपुर शैली]] | ||
{भारत की प्राचीन कला परम्पराओं को पुनर्जीवित करने के लिए 'इण्डियन सोसायटी ऑफ़ ओरियण्टल आर्ट' की स्थापना की थी? | {[[भारत]] की प्राचीन कला परम्पराओं को पुनर्जीवित करने के लिए 'इण्डियन सोसायटी ऑफ़ ओरियण्टल आर्ट' की स्थापना की थी? | ||
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+अवनीन्द्र नाथ टैगोर ने | +अवनीन्द्र नाथ टैगोर ने | ||
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{मधुबनी लोक कला किस राज्य से सम्बन्धित है? | {मधुबनी लोक कला किस राज्य से सम्बन्धित है? | ||
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- | -[[ओड़िशा]] | ||
-पश्चिम बंगाल | -[[पश्चिम बंगाल]] | ||
+बिहार | +[[बिहार]] | ||
-राजस्थान | -[[राजस्थान]] | ||
||[[चित्र:Vaishali-Bihar.jpg|right| | ||[[चित्र:Vaishali-Bihar.jpg|right|120px|[[वैशाली]], [[बिहार]]]] बिहार का उल्लेख [[वेद|वेदों]], [[पुराण|पुराणों]] और प्राचीन महाकाव्यों में मिलता है। यह राज्य महात्मा [[बुद्ध]] और 24 जैन [[तीर्थंकर|तीर्थकरों]] की कर्मभूमि रहा हैं। ईसा पूर्व काल में इस क्षेत्र पर [[बिम्बिसार]], [[पाटलिपुत्र]] की स्थापना करने वाले उदयन, [[चन्द्रगुप्त मौर्य]] और [[अशोक|सम्राट अशोक]] सहित मौर्य, शुंग तथा कण्व राजवंश के नरेशों ने राज किया इसके पश्चात कुषाण शासकों का समय आया और बाद में [[गुप्त वंश]] के [[चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य]] ने बिहार पर राज किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बिहार]] | ||
{राजस्थानी विचार धारा की चित्रकला का आरम्भिक मुख्य केन्द्र था? | {राजस्थानी विचार धारा की चित्रकला का आरम्भिक मुख्य केन्द्र था? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-बीकानेर | -[[बीकानेर]] | ||
-जयपुर | -[[जयपुर]] | ||
+बूँदी | +[[बूँदी]] | ||
-जैसलमेर | -[[जैसलमेर]] | ||
||[[राजस्थान]] के दक्षिण-पूर्व में स्थित बूँदी एक पूर्व रियासत एवं ज़िला मुख्यालय है। इसकी स्थापना सन 1242 ई. में राव देवाजी ने की थी। बूँदी पहाड़ियों से घिरा सघन वनाच्छादित सुरम्य नगर है। यहाँ के शासक राव सुर्जन हाड़ा ने [[अकबर]] की अधीनता स्वीकार कर ली थी। [[शाहजहाँ]] के समय बूँदी के शासक [[छत्रसाल]] हाड़ा ने [[दारा शिकोह|दारा]] की ओर से धरमत की लड़ाई में भाग लिया था, किंतु वह इस युद्ध में मारा गया। बूँदी अपनी विशिष्ट [[चित्रकला]] शैली के लिए विख्यात है, जो इस अंचल में मध्यकाल में विकसित हुई।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बूँदी]] | ||[[राजस्थान]] के दक्षिण-पूर्व में स्थित बूँदी एक पूर्व रियासत एवं ज़िला मुख्यालय है। इसकी स्थापना सन 1242 ई. में राव देवाजी ने की थी। बूँदी पहाड़ियों से घिरा सघन वनाच्छादित सुरम्य नगर है। यहाँ के शासक राव सुर्जन हाड़ा ने [[अकबर]] की अधीनता स्वीकार कर ली थी। [[शाहजहाँ]] के समय बूँदी के शासक [[छत्रसाल]] हाड़ा ने [[दारा शिकोह|दारा]] की ओर से धरमत की लड़ाई में भाग लिया था, किंतु वह इस युद्ध में मारा गया। बूँदी अपनी विशिष्ट [[चित्रकला]] शैली के लिए विख्यात है, जो इस अंचल में मध्यकाल में विकसित हुई।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बूँदी]] | ||
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-लेखाहिया | -लेखाहिया | ||
-आदमगढ़ | -आदमगढ़ | ||
||[[चित्र:Bhimbetka-Caves-Bhopal.jpg|right|100px|भीमबेटका गुफ़ाएँ, [[भोपाल]]]] [[भारत]] के [[मध्य प्रदेश]] प्रान्त के | ||[[चित्र:Bhimbetka-Caves-Bhopal.jpg|right|100px|भीमबेटका गुफ़ाएँ, [[भोपाल]]]] [[भारत]] के [[मध्य प्रदेश]] प्रान्त के रायसेन ज़िले में स्थित है। [[भोपाल]] से 46 किलोमीटर दूर पर दक्षिण में भीमबेटका की गुफ़ाएँ मौज़ूद हैं। यह गुफ़ाएँ चारों तरफ से [[विंध्य पर्वतमाला|विंध्य पर्वतमालाओं]] से घिरी हुईं हैं, जिनका संबंध नवपाषाण काल से है। भीमबेटका गुफाएँ मध्य भारत के पठार के दक्षिणी किनारे पर स्थित विन्ध्याचल की पहाड़ियों के निचले छोर पर हैं। इसके दक्षिण में [[सतपुड़ा की पहाड़ियाँ]] आरम्भ हो जाती हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भीमबेटका गुफ़ाएँ भोपाल|भीमबेटका]] | ||
{[[अजंता की गुफ़ाएँ|अजंता]] | {[[अजंता की गुफ़ाएँ|अजंता]] किसलिए प्रसिद्ध है? | ||
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+कलात्मक चित्रकारी | +कलात्मक चित्रकारी | ||
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-[[अजंता की गुफ़ाएँ|अजंता]] | -[[अजंता की गुफ़ाएँ|अजंता]] | ||
-चित्तनवासल | -चित्तनवासल | ||
||[[चित्र:Ellora-Caves-Aurangabad-Maharashtra-3.jpg|right|100px|एलोरा की गुफ़ाएं, [[औरंगाबाद महाराष्ट्र|औरंगाबाद]]]] [[महाराष्ट्र]] में [[अजंता की गुफ़ाएं|अजंता]] और एलोरा की गुफ़ाएं [[बौद्ध धर्म]] द्वारा प्रेरित और उनकी करुणामय भावनाओं से भरी हुई शिल्पकला और [[चित्रकला]] से ओतप्रोत है जो मानवीय इतिहास में [[कला]] के उत्कृष्ट ज्ञान और अनमोल समय को दर्शाती हैं। एलोरा या एल्लोरा (मूल नाम वेरुल) एक पुरातात्विक स्थल है। | ||[[चित्र:Ellora-Caves-Aurangabad-Maharashtra-3.jpg|right|100px|एलोरा की गुफ़ाएं, [[औरंगाबाद महाराष्ट्र|औरंगाबाद]]]] [[महाराष्ट्र]] में [[अजंता की गुफ़ाएं|अजंता]] और एलोरा की गुफ़ाएं [[बौद्ध धर्म]] द्वारा प्रेरित और उनकी करुणामय भावनाओं से भरी हुई शिल्पकला और [[चित्रकला]] से ओतप्रोत है जो मानवीय इतिहास में [[कला]] के उत्कृष्ट ज्ञान और अनमोल समय को दर्शाती हैं। एलोरा या एल्लोरा (मूल नाम वेरुल) एक पुरातात्विक स्थल है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[एलोरा की गुफ़ाएँ|एलोरा]] | ||
{मूर्तिकला की गन्धार स्कूल शैली निम्न शैलियों में से किसका सम्मिश्रण था? | {मूर्तिकला की गन्धार स्कूल शैली निम्न शैलियों में से किसका सम्मिश्रण था? |