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*अशोक के चतुर्दश-शिलालेख या मुख्य शिलालेख निम्नलिखित स्थानों पर पाए जाते है : | *अशोक के चतुर्दश-शिलालेख या मुख्य शिलालेख निम्नलिखित स्थानों पर पाए जाते है : | ||
#गिरनार : सौराष्ट्र (गुजरात राज्य) में जूनागढ़ के पास। इसी चट्टान पर शक महाक्षत्रप रुद्रदामन् ने लगभग 150 ई. में संस्कृत भाषा में एक लेख खुदवाया। बाद में गुप्त-सम्राट स्कंदगुप्त (455-67 ई.) ने भी | #गिरनार : सौराष्ट्र (गुजरात राज्य) में जूनागढ़ के पास। इसी चट्टान पर शक महाक्षत्रप रुद्रदामन् ने लगभग 150 ई. में संस्कृत भाषा में एक लेख खुदवाया। बाद में गुप्त-सम्राट स्कंदगुप्त (455-67 ई.) ने भी यहाँ एक लेख अंकित करवाया। चंद्रगुप्त मौर्य ने यहाँ 'सुदर्शन' नाम के एक सरोवर का निर्माण करवाया था। रुद्रदामन् तथा स्कंदगुप्त के लेखों में इसी सुर्दशन सरोवर के पुनर्निर्माण की चर्चा है। | ||
#कालसी : देहरादूर जिला, उत्तरांचल। | #कालसी : देहरादूर जिला, उत्तरांचल। | ||
#सोपारा : (प्राचीन सूप्पारक) ठाणे जिला, महाराष्ट्र। | #सोपारा : (प्राचीन सूप्पारक) ठाणे जिला, महाराष्ट्र। यहाँ से अशोक के शिलालेख के कुछ टुकड़े ही मिले हैं, जो मुंबई के प्रिन्स आफ वेल्स संग्रहालय में रखे हुए हैं। | ||
#एर्रगुडी : कर्नूल जिला, आंध्र प्रदेश। | #एर्रगुडी : कर्नूल जिला, आंध्र प्रदेश। | ||
#धौली : पुरी जिला, उड़ीसा। | #धौली : पुरी जिला, उड़ीसा। | ||
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'''अर्थ''' : | '''अर्थ''' : | ||
#देवताओं के प्रिय प्रियदर्शी राजा ने (अपने) राज्याभिषेक के 20 वर्ष बाद स्वयं आकर इस स्थान की पूजा की, | #देवताओं के प्रिय प्रियदर्शी राजा ने (अपने) राज्याभिषेक के 20 वर्ष बाद स्वयं आकर इस स्थान की पूजा की, | ||
#क्योंकि | #क्योंकि यहाँ शाक्यमुनि बुद्ध का जन्म हुआ था। | ||
# | #यहाँ पत्थर की एक दीवार बनवाई गई और पत्थर का एक स्तंभ खड़ा किया गया। | ||
#बुद्ध भगवान | #बुद्ध भगवान यहाँ जनमे थे, इसलिए लुम्बिनी ग्राम को कर से मुक्त कर दिया गया और | ||
#(पैदावार का) आठवां भाग भी (जो राज का हक था) उसी ग्राम को दे दिया गया है। | #(पैदावार का) आठवां भाग भी (जो राज का हक था) उसी ग्राम को दे दिया गया है। | ||
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'''अर्थ''' | '''अर्थ''' | ||
#यह धर्मलिपि देवताओं के प्रिय | #यह धर्मलिपि देवताओं के प्रिय | ||
#प्रियदर्शी राजा ने लिखाई। | #प्रियदर्शी राजा ने लिखाई। यहाँ (मेरे साम्राज्य में) | ||
#कोई जीव मारकर हवन न किया जाए। | #कोई जीव मारकर हवन न किया जाए। | ||
#और न समाज (आमोद-प्रमोद वाला उत्सव) किया जाए। क्योंकि बहुत दोष | #और न समाज (आमोद-प्रमोद वाला उत्सव) किया जाए। क्योंकि बहुत दोष |
14:38, 20 अप्रैल 2010 का अवतरण
अशोक के शिलालेख / Ashoka's Script
अन्य सम्बंधित लेख |
- अशोक के चतुर्दश-शिलालेख या मुख्य शिलालेख निम्नलिखित स्थानों पर पाए जाते है :
- गिरनार : सौराष्ट्र (गुजरात राज्य) में जूनागढ़ के पास। इसी चट्टान पर शक महाक्षत्रप रुद्रदामन् ने लगभग 150 ई. में संस्कृत भाषा में एक लेख खुदवाया। बाद में गुप्त-सम्राट स्कंदगुप्त (455-67 ई.) ने भी यहाँ एक लेख अंकित करवाया। चंद्रगुप्त मौर्य ने यहाँ 'सुदर्शन' नाम के एक सरोवर का निर्माण करवाया था। रुद्रदामन् तथा स्कंदगुप्त के लेखों में इसी सुर्दशन सरोवर के पुनर्निर्माण की चर्चा है।
- कालसी : देहरादूर जिला, उत्तरांचल।
- सोपारा : (प्राचीन सूप्पारक) ठाणे जिला, महाराष्ट्र। यहाँ से अशोक के शिलालेख के कुछ टुकड़े ही मिले हैं, जो मुंबई के प्रिन्स आफ वेल्स संग्रहालय में रखे हुए हैं।
- एर्रगुडी : कर्नूल जिला, आंध्र प्रदेश।
- धौली : पुरी जिला, उड़ीसा।
- जौगढ़ : गंजाम जिला, उड़ीसा।
- लघु-शिलालेख निम्न स्थानों पर पाए गए हैं:
- बैराट : राजस्थान के जयपुर जिले में। यह शिलाफलक कलकत्ता संग्रहालय में है।
- रूपनाथ: जबलपुर जिलाच मध्य प्रदेश।
- मस्की : रायचूर जिला, कर्नाटक।
- गुजर्रा : दतिया जिला, मध्य प्रदेश।
- राजुल-मंदगिरि : बल्लारी जिला, कर्नाटक।
- सहसराम : शाहाबाद जिला, बिहार।
- गवीमट : रायचूर जिला, कर्नाटक।
- पल्किगुंडु : गवीमट के पास, रायचूर, कर्नाटक।
- ब्रह्मगिरि : चित्रदुर्ग जिला, कर्नाटक।
- सिद्दापुर : चित्रदुर्ग जिला, कर्नाटक।
- जट्टिंग रामेश्वर : चित्रदुर्ग जिला, कर्नाटक।
- एर्रगुड़ी : कर्नूल जिला, आंध्र प्रदेश।
- दिल्ली : अमर कॉलोनी, दिल्ली।
- अहरौरा : मिर्जापुर जिला, उत्तर प्रदेश।
- ये सभी लघु-शिलालेख अशोक ने अपने राजकर्मचारियों को संबोधित करके लिखवाए हैं। अशोक ने सबसे पहले लघु-शिलालेख ही खुदवाए थे, इसलिए इनकी शैली उसके अन्य लेखों से कुछ भिन्न है।
अशोक के ब्राह्मी लेखों के कुछ नमूने दे रहे हैं- लिप्यंतर और अर्थ-सहित।
अर्थ :
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