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'''पण्ढरपुर''' [[महाराष्ट्र]] प्रदेश का प्रधान [[तीर्थ]] और नगर है। महाराष्ट्र सन्तों के आराध्य भगवान [[विष्णु]] यहाँ पर अधिष्ठित हैं, जो विट्ठल कहे जाते हैं। | |||
*भक्त पुण्ढरीक की भक्ति से रीझकर भगवान जब सामने प्रकट हुए तो भक्त ने उनके बैठने के लिए ईंट (विट) धर दी (थल)। इससे भगवान का नाम विट्ठल पड़ गया। | *भक्त पुण्ढरीक की भक्ति से रीझकर भगवान जब सामने प्रकट हुए तो भक्त ने उनके बैठने के लिए ईंट (विट) धर दी (थल)। इससे भगवान का नाम विट्ठल पड़ गया। | ||
*[[देवशयनी एकादशी|देवशयनी]] और [[देवोत्थान एकादशी]] को बारकरी सम्प्रदाय के लोग यहाँ यात्रा करने के लिए आते हैं। यात्रा को ही वारी देना कहते हैं। | *[[देवशयनी एकादशी|देवशयनी]] और [[देवोत्थान एकादशी]] को बारकरी सम्प्रदाय के लोग यहाँ यात्रा करने के लिए आते हैं। यात्रा को ही वारी देना कहते हैं। | ||
*भक्त पुण्ढरीक इस धाम के प्रतिष्ठाता माने जाते हैं। | *भक्त पुण्ढरीक इस धाम के प्रतिष्ठाता माने जाते हैं। | ||
*संत [[तुकाराम]], [[ज्ञानेश्वर]], नामदेव, राँका-बाँका, नरहरि आदि भक्तों की यह निवास स्थली रही है। | *संत [[तुकाराम]], [[ज्ञानेश्वर]], [[संत नामदेव|नामदेव]], राँका-बाँका, नरहरि आदि भक्तों की यह निवास स्थली रही है। | ||
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05:53, 29 मार्च 2012 का अवतरण
पण्ढरपुर महाराष्ट्र प्रदेश का प्रधान तीर्थ और नगर है। महाराष्ट्र सन्तों के आराध्य भगवान विष्णु यहाँ पर अधिष्ठित हैं, जो विट्ठल कहे जाते हैं।
- भक्त पुण्ढरीक की भक्ति से रीझकर भगवान जब सामने प्रकट हुए तो भक्त ने उनके बैठने के लिए ईंट (विट) धर दी (थल)। इससे भगवान का नाम विट्ठल पड़ गया।
- देवशयनी और देवोत्थान एकादशी को बारकरी सम्प्रदाय के लोग यहाँ यात्रा करने के लिए आते हैं। यात्रा को ही वारी देना कहते हैं।
- भक्त पुण्ढरीक इस धाम के प्रतिष्ठाता माने जाते हैं।
- संत तुकाराम, ज्ञानेश्वर, नामदेव, राँका-बाँका, नरहरि आदि भक्तों की यह निवास स्थली रही है।
- पण्ढरपुर भीमा नदी के तट पर है, जिसे यहाँ चन्द्रभागा भी कहते हैं।
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