"हल्दी": अवतरणों में अंतर
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*हल्दी पोषक तत्वों से भरपूर हल्दी में अनेक पोषक तत्व मौजूद होते हैं। इसमें विटामिन ए, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, मैग्नीशियम, पौटेशियम, आयरन, नियासिन, विटामिन बी 6 व सी, ओमेगा 3 और ओमेगा 6 फैटी एसिड हैं। इसके मुख्य कार्यशील घटक टर्मरिक ऑयल तथा टर्पीनाइड पदार्थ होते हैं। हल्दी में उड़नशील तेल 5.8 % प्रोटीन 6.3 % द्रव्य 5.1 % खनिज द्रव्य 3.5 % करबोहाईड्रेट 68.4 के अतिरिक्त कुर्कुमिन नामक पीत रंजक द्रव्य, तथा विटमिन ए आदि पाए जाते है। | *हल्दी पोषक तत्वों से भरपूर हल्दी में अनेक पोषक तत्व मौजूद होते हैं। इसमें विटामिन ए, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, मैग्नीशियम, पौटेशियम, आयरन, नियासिन, विटामिन बी 6 व सी, ओमेगा 3 और ओमेगा 6 फैटी एसिड हैं। इसके मुख्य कार्यशील घटक टर्मरिक ऑयल तथा टर्पीनाइड पदार्थ होते हैं। हल्दी में उड़नशील तेल 5.8 % प्रोटीन 6.3 % द्रव्य 5.1 % खनिज द्रव्य 3.5 % करबोहाईड्रेट 68.4 के अतिरिक्त कुर्कुमिन नामक पीत रंजक द्रव्य, तथा विटमिन ए आदि पाए जाते है। | ||
*हल्दी की छोटी सी गांठ में बड़े गुण होते हैं। शायद ही कोई ऐसा घर हो जहां हल्दी का उपयोग न होता हो। हल्दी का भारतीय रसोई में महत्वपूर्ण स्थान है और सामान्यत: मसाले रुप में दैनिक भोजन में प्रयोग की जाती है। भोजन में उपयोग भोजन के स्वाद को बढ़ा देता है। | *प्राचीन समय से ही हल्दी का प्रयोग घरों में होता आ रहा है। हल्दी की छोटी सी गांठ में बड़े गुण होते हैं। शायद ही कोई ऐसा घर हो जहां हल्दी का उपयोग न होता हो। हल्दी का भारतीय रसोई में महत्वपूर्ण स्थान है और सामान्यत: मसाले के रुप में दैनिक भोजन में प्रयोग की जाती है। भोजन में उपयोग भोजन के स्वाद को बढ़ा देता है। | ||
;हल्दी का औषधियें गुण -- | ;हल्दी का औषधियें गुण -- | ||
*हल्दी को आयुर्वेद में प्राचीन काल से ही एक चमत्कारिक द्रव्य के रूप में मान्यता प्राप्त है। औषधि ग्रंथों में इसे हल्दी के अतिरिक्त हरिद्रा, कुरकुमा लौंगा, वरवर्णिनी, गौरी, क्रिमिघ्ना योशितप्रीया, हट्टविलासनी , हरदल, कुमकुम, टर्मरिक नाम दिए गए हैं। आयुर्वेद में हल्दी को एक महत्वपूर्ण औषधि कहा गया है। | *हल्दी को आयुर्वेद में प्राचीन काल से ही एक चमत्कारिक द्रव्य के रूप में मान्यता प्राप्त है। औषधि ग्रंथों में इसे हल्दी के अतिरिक्त हरिद्रा, कुरकुमा लौंगा, वरवर्णिनी, गौरी, क्रिमिघ्ना योशितप्रीया, हट्टविलासनी , हरदल, कुमकुम, टर्मरिक नाम दिए गए हैं। आयुर्वेद में हल्दी को एक महत्वपूर्ण औषधि कहा गया है। | ||
*आचार्य चरक ने हल्दी को लेखनीय कुष्ठध्न (कुष्ठ मिटाने वाले), कण्डूध्न (खुजली दूर करने वाली), विषध्न (विष नष्ट करने वाली) गुणों से युक्त माना है। आचार्य सुश्रुत ने हल्दी को श्वास रोग, कास (खांसी), अरोचक, रक्तपित्त, अपस्मार, नेत्रारोग, कुष्ठ और प्रमेह आदि रोगों पर लाभकारी माना है। | *आचार्य चरक ने हल्दी को लेखनीय कुष्ठध्न (कुष्ठ मिटाने वाले), कण्डूध्न (खुजली दूर करने वाली), विषध्न (विष नष्ट करने वाली) गुणों से युक्त माना है। आचार्य सुश्रुत ने हल्दी को श्वास रोग, कास (खांसी), अरोचक, रक्तपित्त, अपस्मार, नेत्रारोग, कुष्ठ और प्रमेह आदि रोगों पर लाभकारी माना है। | ||
*हल्दी को एंटीसेप्टिक (संक्रमणरोधी) माना जाता है। आज के वैज्ञानिक युग में वैज्ञानिक अपनी प्रयोगशालाओं में इस पर शोध कर रहे हैं और उनके अनुसार हल्दी शरीर में घातक कोशिकाओं की वृध्दि को रोकने में सहायक होती है। | |||
*हल्दी में अनेक औषधीय गुण पाये जाते है। स्वास्थ्य के लिए हल्दी रामबाण ही है। हल्दी का उपयोग शरीर में खून को साफ करता है। हल्दी के उपयोग से कई असाध्य बीमारियों में फायदा होता है। हल्दी को संक्रमण-रोधी माना जाता है। इसका प्रयोग कफ विकार, यकृत विकार, अतिसार आदि रोगों को दूर करने में होता है। हल्दी इम्यून सिस्टम को स्ट्रॉन्ग बनाती है जो स्वास्थ्य के लिए फ़ायदेमंद है। | *हल्दी में अनेक औषधीय गुण पाये जाते है। स्वास्थ्य के लिए हल्दी रामबाण ही है। हल्दी का उपयोग शरीर में खून को साफ करता है। हल्दी के उपयोग से कई असाध्य बीमारियों में फायदा होता है। हल्दी को संक्रमण-रोधी माना जाता है। इसका प्रयोग कफ विकार, यकृत विकार, अतिसार आदि रोगों को दूर करने में होता है। हल्दी इम्यून सिस्टम को स्ट्रॉन्ग बनाती है जो स्वास्थ्य के लिए फ़ायदेमंद है। | ||
*दूध में चुटकी भर हल्दी मिलाकर पीने से खांसी-जुकाम में राहत मिलती है साथ ही साथ इसके सेवन से हड्डियां मजबूत होती हैं और ऑस्टियोपोरोसिस से भी बचाव होता है। चोट लगने पर या कटने की स्थिति में पिसी हल्दी को सरसों के तेल में मिलाकर रूई के फाहे से जख्म पर लगाने से जख्म शीघ्र भरता है और संक्रमण का खतरा कम हो जाता है तथा आराम मिलता है। | *दूध में चुटकी भर हल्दी मिलाकर पीने से खांसी-जुकाम में राहत मिलती है साथ ही साथ इसके सेवन से हड्डियां मजबूत होती हैं और ऑस्टियोपोरोसिस से भी बचाव होता है। चोट लगने पर या कटने की स्थिति में पिसी हल्दी को सरसों के तेल में मिलाकर रूई के फाहे से जख्म पर लगाने से जख्म शीघ्र भरता है और संक्रमण का खतरा कम हो जाता है तथा आराम मिलता है। | ||
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*हिन्दू धर्म दर्शन में भी हल्दी को पवित्र माना जाता है। ब्राह्मणों में पहना जाने वाला जनेऊ तो बिना हल्दी के रंगे पहना ही नहीं जाता है। जब भी जनेऊ बदला जाता है तो हल्दी से रंगे जनेऊ को ही पहनने की प्रथा है। इसमें सब प्रकार के कल्याण की भावना निहित होती है। | *हिन्दू धर्म दर्शन में भी हल्दी को पवित्र माना जाता है। ब्राह्मणों में पहना जाने वाला जनेऊ तो बिना हल्दी के रंगे पहना ही नहीं जाता है। जब भी जनेऊ बदला जाता है तो हल्दी से रंगे जनेऊ को ही पहनने की प्रथा है। इसमें सब प्रकार के कल्याण की भावना निहित होती है। | ||
*तंत्र-ज्योतिष में भी हल्दी का महत्वपूर्ण स्थान होता है। तंत्रशास्त्र के अनुसार, बगुलामुखी पीतिमा की देवी हैं। उनके मंत्र का जप पीले वस्त्रों में तथा हल्दी की माला से होता है। | *तंत्र-ज्योतिष में भी हल्दी का महत्वपूर्ण स्थान होता है। तंत्रशास्त्र के अनुसार, बगुलामुखी पीतिमा की देवी हैं। उनके मंत्र का जप पीले वस्त्रों में तथा हल्दी की माला से होता है। | ||
;हल्दी का अन्य रोगों में उपयोग | |||
*जीभ में छाले होने पर पिसी हुई हल्दी एक छोटा चाय का चम्मच आधा लिटर पानी में उबाल कर ठंडा होने पर सुबह शाम कुल्ला करने से जीभ के छालों में राहत मिलती है। | |||
*घाव होने पर नीम के पत्तों को उबाल कर ठंडा कर के घाव को अच्छी तरह पानी से धोकर उस पर हल्दी की गांठ को घिस कर लेप करने से घाव का संक्रमण कम हो जाता है। पिसी हुई हल्दी को सरसों के तेल में मिलाकर अच्छी तरह गर्म करें। कुछ ठंडा होने पर रूई के फाहे से जख्म पर लगाने से जख्म शीघ्र भरता है। उस पर पट्टी अवश्य बांध दें। | |||
*दांत दर्द होने पर हल्दी को भून कर पीस लें। जिस दांत में दर्द हो उस पर अच्छी तरह मल लें। इस प्रकार यह दांत दर्द दूर भगाने में सहायक है। | |||
*गर्म आधा कप दूध में दो चुटकी हल्दी का चूर्ण मिला कर पीने से खांसी-जुकाम में राहत मिलती है। उसके बाद बाकी गरम दूध पी लें। यह ध्यान रखें कि इसके बाद 30, 40 मिनट तक पानी न पिएं। | |||
13:19, 16 अप्रैल 2011 का अवतरण
- हल्दी (टरमरिक) भारतीय वनस्पति है। यह अदरक की प्रजाति का 5 - 6 फुट तक बढ़ने वाला पौधा है जिसमें जड़ की गाठों में हल्दी मिलती है। कच्ची हल्दी, दिखती भी अदरक जैसी है हल्दी कन्द रुप में प्राप्त होती है। हल्दी की गांठ छोटी और लालिमा लिए हुए पीली रंग की होती है। यह स्वाद मे कड़वी और तेज होती है। भोजन में इस्तेमाल के लिए हल्दी को पीसा जाता है।
- लैटिन नाम :- करकुमा लौंगा, अंग्रेजी नाम :- टरमरिक (Turmeric), पारिवारिक नाम :- जिन्जिबरऐसे
- भारत विश्व में हल्दी का सबसे बड़ा उत्पादक देश है, हल्दी की खेती श्रीलंका, बंगला देश, पाकिस्तान, थाईलैंड, चीन, पेरू तथा ताइवान में भी बड़े पैमाने पर होती है। भोजन को स्वाद, सुगंध और रंगत देने के लिए हल्दी का बहुतायत में इस्तेमाल होता है।
- हल्दी पोषक तत्वों से भरपूर हल्दी में अनेक पोषक तत्व मौजूद होते हैं। इसमें विटामिन ए, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, मैग्नीशियम, पौटेशियम, आयरन, नियासिन, विटामिन बी 6 व सी, ओमेगा 3 और ओमेगा 6 फैटी एसिड हैं। इसके मुख्य कार्यशील घटक टर्मरिक ऑयल तथा टर्पीनाइड पदार्थ होते हैं। हल्दी में उड़नशील तेल 5.8 % प्रोटीन 6.3 % द्रव्य 5.1 % खनिज द्रव्य 3.5 % करबोहाईड्रेट 68.4 के अतिरिक्त कुर्कुमिन नामक पीत रंजक द्रव्य, तथा विटमिन ए आदि पाए जाते है।
- प्राचीन समय से ही हल्दी का प्रयोग घरों में होता आ रहा है। हल्दी की छोटी सी गांठ में बड़े गुण होते हैं। शायद ही कोई ऐसा घर हो जहां हल्दी का उपयोग न होता हो। हल्दी का भारतीय रसोई में महत्वपूर्ण स्थान है और सामान्यत: मसाले के रुप में दैनिक भोजन में प्रयोग की जाती है। भोजन में उपयोग भोजन के स्वाद को बढ़ा देता है।
- हल्दी का औषधियें गुण --
- हल्दी को आयुर्वेद में प्राचीन काल से ही एक चमत्कारिक द्रव्य के रूप में मान्यता प्राप्त है। औषधि ग्रंथों में इसे हल्दी के अतिरिक्त हरिद्रा, कुरकुमा लौंगा, वरवर्णिनी, गौरी, क्रिमिघ्ना योशितप्रीया, हट्टविलासनी , हरदल, कुमकुम, टर्मरिक नाम दिए गए हैं। आयुर्वेद में हल्दी को एक महत्वपूर्ण औषधि कहा गया है।
- आचार्य चरक ने हल्दी को लेखनीय कुष्ठध्न (कुष्ठ मिटाने वाले), कण्डूध्न (खुजली दूर करने वाली), विषध्न (विष नष्ट करने वाली) गुणों से युक्त माना है। आचार्य सुश्रुत ने हल्दी को श्वास रोग, कास (खांसी), अरोचक, रक्तपित्त, अपस्मार, नेत्रारोग, कुष्ठ और प्रमेह आदि रोगों पर लाभकारी माना है।
- हल्दी को एंटीसेप्टिक (संक्रमणरोधी) माना जाता है। आज के वैज्ञानिक युग में वैज्ञानिक अपनी प्रयोगशालाओं में इस पर शोध कर रहे हैं और उनके अनुसार हल्दी शरीर में घातक कोशिकाओं की वृध्दि को रोकने में सहायक होती है।
- हल्दी में अनेक औषधीय गुण पाये जाते है। स्वास्थ्य के लिए हल्दी रामबाण ही है। हल्दी का उपयोग शरीर में खून को साफ करता है। हल्दी के उपयोग से कई असाध्य बीमारियों में फायदा होता है। हल्दी को संक्रमण-रोधी माना जाता है। इसका प्रयोग कफ विकार, यकृत विकार, अतिसार आदि रोगों को दूर करने में होता है। हल्दी इम्यून सिस्टम को स्ट्रॉन्ग बनाती है जो स्वास्थ्य के लिए फ़ायदेमंद है।
- दूध में चुटकी भर हल्दी मिलाकर पीने से खांसी-जुकाम में राहत मिलती है साथ ही साथ इसके सेवन से हड्डियां मजबूत होती हैं और ऑस्टियोपोरोसिस से भी बचाव होता है। चोट लगने पर या कटने की स्थिति में पिसी हल्दी को सरसों के तेल में मिलाकर रूई के फाहे से जख्म पर लगाने से जख्म शीघ्र भरता है और संक्रमण का खतरा कम हो जाता है तथा आराम मिलता है।
- हल्दी का सौंदर्य में उपयोग --
- हल्दी शरीर में रक्त शोधक का काम करती है यह खून को साफ चर्म रोगों को दूर करती है। सौंदर्य को निखारने में भी हल्दी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। नहाने से पहले शरीर पर हल्दी का उबटन लगाने से शरीर की कांति बढ़ती है और मांसपेशियों में कसाव आता है।
- हल्दी के उपयोग से कई असाध्य बीमारियों में फायदा होता है। हल्दी के नियमित उपयोग से त्वचा में निखार आता है। हल्दी चेहरे के दाग-धब्बे और झाइयों को दूर करती है। बेसन में पिसी हुई थोड़ी सी हल्दी, दूध या मलाई मिला कर चेहरे पर लगाने से दाग और झाइयां दूर होती हैं चहरे पर निखार आता है।
- शारीरिक सौन्दर्य को निखारने में भी हल्दी की महत्वपूर्ण भूमिका है। आज भी गांवों में नहाने से पहले शरीर पर हल्दी का उबटन लगाने का चलन है। कहते हैं इससे शरीर की कांति बढ़ती है और मांसपेशियों में कसावट आती है।
- हल्दी का भरतीय संस्कृति उपयोग --
- भारतीय संस्कृति मे हल्दी का बहुत महत्व है शायद ही कोई ऐसा घर हो जहां हल्दी का उपयोग न होता हो। हिन्दू धर्म में हल्दी को पवित्र और शुभता का प्रतीक माना जाता है। पूजा-अर्चना से लेकर पारिवारिक संबंधों की पवित्रता तक में हल्दी का उपयोग होता है। पूजा-अर्चना में हल्दी को तिलक व चावल से साथ इस्तेमाल किया जाता है।
- हल्दी को शुभता का संदेश देने वाला भी माना गया है। आज भी जब कागज पर विवाह का निमंत्रण छपवाकर भेजा जाता है, तब निमंत्रण पत्र के किनारों को हल्दी के रंग से स्पर्श करा दिया जाता है। कहते हैं कि इससे रिश्तों में प्रगाढ़ता आती है।
- वैवाहिक कार्यक्रमों में हल्दी का उपयोग का अपना एक विशेष महत्व है। विवाह के निमंत्रण पत्र को हल्दी के रंग से स्पर्श कराया जाता है तथा दूल्हे व दुल्हन को हल्दी का उबटन लगाकर वैवाहिक कार्यक्रम पूरे करवाए जाते हैं। ऐसे ही अनेक अवसरों पर हल्दी को उपयोग में लाया जाता है।
- हिन्दू धर्म दर्शन में भी हल्दी को पवित्र माना जाता है। ब्राह्मणों में पहना जाने वाला जनेऊ तो बिना हल्दी के रंगे पहना ही नहीं जाता है। जब भी जनेऊ बदला जाता है तो हल्दी से रंगे जनेऊ को ही पहनने की प्रथा है। इसमें सब प्रकार के कल्याण की भावना निहित होती है।
- तंत्र-ज्योतिष में भी हल्दी का महत्वपूर्ण स्थान होता है। तंत्रशास्त्र के अनुसार, बगुलामुखी पीतिमा की देवी हैं। उनके मंत्र का जप पीले वस्त्रों में तथा हल्दी की माला से होता है।
- हल्दी का अन्य रोगों में उपयोग
- जीभ में छाले होने पर पिसी हुई हल्दी एक छोटा चाय का चम्मच आधा लिटर पानी में उबाल कर ठंडा होने पर सुबह शाम कुल्ला करने से जीभ के छालों में राहत मिलती है।
- घाव होने पर नीम के पत्तों को उबाल कर ठंडा कर के घाव को अच्छी तरह पानी से धोकर उस पर हल्दी की गांठ को घिस कर लेप करने से घाव का संक्रमण कम हो जाता है। पिसी हुई हल्दी को सरसों के तेल में मिलाकर अच्छी तरह गर्म करें। कुछ ठंडा होने पर रूई के फाहे से जख्म पर लगाने से जख्म शीघ्र भरता है। उस पर पट्टी अवश्य बांध दें।
- दांत दर्द होने पर हल्दी को भून कर पीस लें। जिस दांत में दर्द हो उस पर अच्छी तरह मल लें। इस प्रकार यह दांत दर्द दूर भगाने में सहायक है।
- गर्म आधा कप दूध में दो चुटकी हल्दी का चूर्ण मिला कर पीने से खांसी-जुकाम में राहत मिलती है। उसके बाद बाकी गरम दूध पी लें। यह ध्यान रखें कि इसके बाद 30, 40 मिनट तक पानी न पिएं।
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