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| *पंचभूत भारतीय विचारधारा में [[पृथ्वी देवी|पृथ्वी]], [[जल]], [[अग्निदेव|अग्नि]], [[वायु देव|वायु]] और [[आकाश तत्त्व|आकाश]] ये पाँच मूल तत्व माने गए हैं जिनसे सारी भौतिक सृष्टि उत्पन्न हुई है। इन्हीं को भूत भी कहते हैं। | | {{विशेष|विस्तार में पढ़े:-[[पंचतत्त्व]]}} |
| *भूतों के स्थूल और सूक्ष्म ये दो भेद माने गए हैं।
| | *पंचभूत भारतीय विचारधारा में जिनसे सारी भौतिक सृष्टि उत्पन्न हुई है। इन्हीं को भूत भी कहते हैं। |
| *[[सांख्य दर्शन|सांख्य]] की पाँच तन्मात्राएँ सूक्ष्म भूत हैं।
| | *[[पृथ्वी देवी|पृथ्वी]], [[जल]], [[अग्निदेव|अग्नि]], [[वायु देव|वायु]] और [[आकाश तत्त्व|आकाश]] ये पाँच मूल तत्व माने गए हैं। |
| *[[वैशेषिक दर्शन]] में पहले चार भूतों को अणुरूप माना गया है- अणुओं के संचय से स्थूल भूत उत्पन्न होते हैं।
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| *आकाश एक और अविभाज्य कहा गया है।
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| *सारी भौतिक सत्ता में ये पाँचों भूत वर्तमान होते हैं।
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| *[[चार्वाक दर्शन]] में चार ही भूत माने गए हैं क्योंकि आकाश इंद्रियगम्य न होने के कारण उक्त दर्शन में स्वीकृत नहीं हैं।(रामचंद्र पांडेयरामचंद्र पांडेय)
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| {{संदर्भ ग्रंथ}}
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| ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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| <references/>
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| [[Category:नया पन्ना]]
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