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==जैन सुप्रीति संस्कार / Jain Supriti Sanskar==
'''जैन सुप्रीति संस्कार / Jain Supriti Sanskar'''<br />
*इसे सुप्रीति अथवा पुंसवन संस्कार क्रिया भी कहते हैं।  
*इसे सुप्रीति अथवा पुंसवन संस्कार क्रिया भी कहते हैं।  
*यह संस्कार गर्भ के पाँचवें माह में किया जाता है।  
*यह संस्कार गर्भ के पाँचवें माह में किया जाता है।  
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09:57, 22 अप्रैल 2010 का अवतरण

जैन सुप्रीति संस्कार / Jain Supriti Sanskar

  • इसे सुप्रीति अथवा पुंसवन संस्कार क्रिया भी कहते हैं।
  • यह संस्कार गर्भ के पाँचवें माह में किया जाता है।
  • इसमें भी प्रीतिक्रिया के समान सौभाग्यवती स्त्रियाँ उस गर्भिणी को स्नान के बाद वस्त्राभूषणों से तथा चन्दन आदि से सुसज्जित कर मंगलकलश लेकर वेदी के समीप लाएं और स्वस्तिक पर मंगलकलश रखकर, लाल-वस्त्राच्छादित पाटे पर दम्पति को बैठा दें।
  • इस समय घर पर सिन्दूर तथा अँजन (काजल) भी अवश्य लगाना चाहिए।
  • प्रथम क्रिया की तरह यथाविधि दर्शन, पूजन एवं हवन इसमें भी किया जाता है।