"बैरीसाल": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
('*बैरीसाल ये असनी, फतेहपुर ज़िले के रहने वाले [[ब्राह्...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
*बैरीसाल | *[[रीति काल]] के कवि बैरीसाल असनी, फ़तेहपुर ज़िले के रहने वाले [[ब्राह्मण]] वंश में उत्पन्न हुए थे। | ||
*बैरीसाल के वंशधर अब तक असनी में हैं। | *बैरीसाल के वंशधर अब तक असनी में हैं। | ||
*इन्होंने 'भाषा भरण' नामक एक अच्छा [[अलंकार]] ग्रंथ संवत 1825 में रचा, जिसमें प्राय: दोहे ही हैं। | *इन्होंने 'भाषा भरण' नामक एक अच्छा [[अलंकार]] ग्रंथ संवत 1825 में रचा, जिसमें प्राय: दोहे ही हैं। | ||
पंक्ति 6: | पंक्ति 6: | ||
*यह [[बिहारी लाल|बिहारी]] के उत्कृष्ट दोहों की टक्कर के ज्ञात होते हैं - | *यह [[बिहारी लाल|बिहारी]] के उत्कृष्ट दोहों की टक्कर के ज्ञात होते हैं - | ||
<poem>नहिं कुरंग नहिं ससक यह, नहिं कलंक नहिं पंक। | <blockquote><poem>नहिं कुरंग नहिं ससक यह, नहिं कलंक नहिं पंक। | ||
बीस बिसे बिरहा वही, गही दीठि ससि अंक | बीस बिसे बिरहा वही, गही दीठि ससि अंक | ||
करत कोकनद मदहि रद, तुव पव हर सुकुमार। | करत कोकनद मदहि रद, तुव पव हर सुकुमार। | ||
भए अरुन अति दबि मनो पायजेब के भार</poem> | भए अरुन अति दबि मनो पायजेब के भार</poem></blockquote> | ||
{{प्रचार}} | {{प्रचार}} | ||
{{लेख प्रगति|आधार=आधार1|प्रारम्भिक=|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}} | {{लेख प्रगति|आधार=आधार1|प्रारम्भिक=|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}} | ||
{{संदर्भ ग्रंथ}} | {{संदर्भ ग्रंथ}} | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
पंक्ति 19: | पंक्ति 19: | ||
==सम्बंधित लेख== | ==सम्बंधित लेख== | ||
{{भारत के कवि}} | {{भारत के कवि}} | ||
[[Category:रीति काल | [[Category:रीति काल]] | ||
[[Category:कवि]][[Category:साहित्य_कोश]] | [[Category:कवि]][[Category:साहित्य_कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
10:19, 15 मई 2011 का अवतरण
- रीति काल के कवि बैरीसाल असनी, फ़तेहपुर ज़िले के रहने वाले ब्राह्मण वंश में उत्पन्न हुए थे।
- बैरीसाल के वंशधर अब तक असनी में हैं।
- इन्होंने 'भाषा भरण' नामक एक अच्छा अलंकार ग्रंथ संवत 1825 में रचा, जिसमें प्राय: दोहे ही हैं।
- दोहे बहुत सरस हैं और अलंकारों से परिपूर्ण हैं।
- बैरीसाल अत्यंत शिष्ट और नम्र स्वभाव के थे।
- यह बिहारी के उत्कृष्ट दोहों की टक्कर के ज्ञात होते हैं -
नहिं कुरंग नहिं ससक यह, नहिं कलंक नहिं पंक।
बीस बिसे बिरहा वही, गही दीठि ससि अंक
करत कोकनद मदहि रद, तुव पव हर सुकुमार।
भए अरुन अति दबि मनो पायजेब के भार
|
|
|
|
|