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| - [[तुलसीदास]] | | - [[तुलसीदास]] |
| - [[केशवदास]] | | - [[केशवदास]] |
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| {'समांतर कहानी' के प्रवर्तक कौन थे?
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| +कमलेश्वर
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| -हिमांशु जोशी
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| -मोहन राकेश
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| -मन्मथनाथ गुप्त
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| {'श्रद्धा' किस कृति की नायिका हैं-
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| + कामायनी
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| - कुरुक्षेत्र
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| - साकेत
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| - [[रामायण]]
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| {'तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहिं न पान'। इस पंक्ति के रचयिता हैं-
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| |type="()"}
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| +[[रहीम]]
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| -[[कबीरदास]]
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| -[[बिहारीलाल|बिहारी]]
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| -[[रसखान]]
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| {'तरनि-तनूजा-तट तमाल तरुवर बहु छाए'। इस पंक्ति के रचयिता हैं-
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| |type="()"}
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| +[[भारतेन्दु हरिश्चन्द्र]]
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| -[[रामधारी सिंह 'दिनकर']]
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| -[[माखनलाल चतुर्वेदी]]
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| -राम नरेश त्रिपाठी
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| {[[भूषण]] की कविता का प्रधान स्वर है-
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| |type="()"}
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| -व्यंग्यात्मक
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| +प्रशस्तिपरक
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| -कारुणिक
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| -श्रृंगारिक
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| {[[भक्तिकाल]] की रामाश्रयी शाखा के निम्नलिखित में से कौन-से कवि हैं?
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| -[[सूरदास]]
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| -[[मीराबाई]]
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| -[[मलिक मुहम्मद जायसी|जायसी]]
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| +[[तुलसीदास]]
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| || [[चित्र:Tulsidas.jpg|right|70px|गोस्वामी तुलसीदास]] गोस्वामी तुलसीदास [1497(1532?) - 1623] एक महान कवि थे। उनका जन्म राजापुर, (वर्तमान बाँदा ज़िला) [[उत्तर प्रदेश]] में हुआ था। तुलसी का बचपन बड़े कष्टों में बीता। माता-पिता दोनों चल बसे और इन्हें भीख मांगकर अपना पेट पालना पड़ा था। इसी बीच इनका परिचय राम-भक्त साधुओं से हुआ और इन्हें ज्ञानार्जन का अनुपम अवसर मिल गया। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[तुलसीदास]]
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| {[[भक्तिकाल]] में एक ऐसा कवि हुआ, जिसने अपने भाव व्यक्त करने के लिए [[उर्दू भाषा|उर्दू]], [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]], खड़ीबोली आदि के शब्दों का मुक्त उपयोग किया है?
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| |type="()"}
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| -[[तुलसीदास]]
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| -[[जायसी]]
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| -[[सूरदास]]
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| +[[कबीर]]
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| ||महात्मा कबीरदास के जन्म के समय में [[भारत]] की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं धार्मिक दशा शोचनीय थी। एक तरफ मुसलमान शासकों की धर्मांन्धता से जनता परेशान थी और दूसरी तरफ [[हिन्दू धर्म]] के कर्मकांड, विधान और पाखंड से धर्म का ह्रास हो रहा था। जनता में भक्ति- भावनाओं का सर्वथा अभाव था। पंडितों के पाखंडपूर्ण वचन समाज में फैले थे। ऐसे संघर्ष के समय में, कबीरदास का प्रार्दुभाव हुआ।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कबीरदास]]
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| {[[हिन्दी]] के प्रथम गद्यकार हैं-
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| -राजा शिवप्रसाद 'सितारेहिन्द'
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| +लल्लूलाल
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| -बालकृष्ण भट्ट
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| -[[भारतेन्दु हरिश्चन्द्र]]
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| {'राग दरबारी' उपन्यास के रचयिता हैं-
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| |type="()"}
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| -राही मासूम राजा
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| +श्रीलाल शुक्ल
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| -हरिशंकर परसाई
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| -शरद जोशी
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| {'पूस की रात' कहानी के रचनाकार हैं-
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| |type="()"}
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| +[[प्रेमचन्द]]
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| -[[सूर्यकांत त्रिपाठी निराला]]
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| -[[शिवपूजन सहाय]]
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| -[[जयशंकर प्रसाद]]
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| || [[चित्र:Premchand.jpg|right|80px|मुंशी प्रेमचंद]] [[भारत]] के उपन्यास सम्राट '''मुंशी प्रेमचंद''' (जन्म- [[31 जुलाई]], [[1880]] - मृत्यु- [[8 अक्टूबर]], [[1936]]) के युग का विस्तार सन 1880 से 1936 तक है। यह कालखण्ड भारत के इतिहास में बहुत महत्त्व का है। इस युग में भारत का स्वतंत्रता-संग्राम नई मंज़िलों से गुज़रा।<br />प्रेमचंद का वास्तविक नाम '''धनपत राय श्रीवास्तव''' था। वे एक सफल लेखक, देशभक्त नागरिक, कुशल वक्ता, ज़िम्मेदार संपादक और संवेदनशील रचनाकार थे। बीसवीं शती के पूर्वार्द्ध में जब [[हिन्दी]] में काम करने की तकनीकी सुविधाएँ नहीं थीं फिर भी इतना काम करने वाला लेखक उनके सिवा कोई दूसरा नहीं हुआ। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[मुंशी प्रेमचंद|प्रेमचंद]]
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