"ए. के. गोपालन": अवतरणों में अंतर

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*उन्होंने ट्रावनकोर के दीवान सी.पी. रामास्वामी अय्यर की निरंकुशता के विरुद्ध जन आन्दोलनों का संचालन किया।  
*उन्होंने ट्रावनकोर के दीवान सी.पी. रामास्वामी अय्यर की निरंकुशता के विरुद्ध जन आन्दोलनों का संचालन किया।  
*स्वतंत्रता के बाद भी वे केरल की राजनीति में सक्रिय रहे।<ref>{{cite book | last =नागोरी | first = डॉ. एस.एल. | title =स्वतंत्रता सेनानी कोश (गाँधीयुगीन) | edition = 2011 | publisher = गीतांजलि प्रकाशन, जयपुर | location = भारतडिस्कवरी पुस्तकालय | language = [[हिन्दी]] | pages = पृष्ठ सं 83 | chapter = खण्ड 3 }}</ref>
*स्वतंत्रता के बाद भी वे केरल की राजनीति में सक्रिय रहे।<ref>{{cite book | last =नागोरी | first = डॉ. एस.एल. | title =स्वतंत्रता सेनानी कोश (गाँधीयुगीन) | edition = 2011 | publisher = गीतांजलि प्रकाशन, जयपुर | location = भारतडिस्कवरी पुस्तकालय | language = [[हिन्दी]] | pages = पृष्ठ सं 83 | chapter = खण्ड 3 }}</ref>


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06:30, 1 जून 2011 का अवतरण

  • ए.के. गोपालन केरल के महान नेता थे।
  • उन्होंने अपने जीवन का आरम्भ एक स्कूली शिक्षक के रूप में किया।
  • वे समाज सुधारक भी थे तथा निम्न वर्गों की स्थिति में सुधार करना चाहते थे।
  • 1932 ई. में गुरुवायूर सत्याग्रह में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही तथा मन्दिर प्रवेश के मुद्दे पर उनकी पिटाई भी हुई।
  • इसके पश्चात्त गोपालन ने पूरे केरल में जनजागरण यात्राएँ कीं।
  • बाद में उनका झुकाव कम्युनिज्म की तरफ होने लगा तथा वे केरल के सबसे लोकप्रिय कम्यूनिस्ट नेता बने।
  • केरल में काँग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही।
  • उन्होंने ट्रावनकोर के दीवान सी.पी. रामास्वामी अय्यर की निरंकुशता के विरुद्ध जन आन्दोलनों का संचालन किया।
  • स्वतंत्रता के बाद भी वे केरल की राजनीति में सक्रिय रहे।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. नागोरी, डॉ. एस.एल. “खण्ड 3”, स्वतंत्रता सेनानी कोश (गाँधीयुगीन), 2011 (हिन्दी), भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: गीतांजलि प्रकाशन, जयपुर, पृष्ठ सं 83।

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