"धरमत": अवतरणों में अंतर

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*आधुनिक [[मध्य प्रदेश]] में [[उज्जैन]] से 14 मील दूर गंभीर (प्राचीन गंभीरा) नदी के तट पर स्थित एक छोटा-सा ग्राम धरमत है।  
*आधुनिक [[मध्य प्रदेश]] में [[उज्जैन]] से 14 मील दूर गंभीर (प्राचीन गंभीरा) नदी के तट पर स्थित एक छोटा-सा ग्राम धरमत है।  
*यह स्थान [[मुग़ल काल]] में एक महत्त्वपूर्ण युद्ध के लिए जाना जाता है।  
*यह स्थान [[मुग़ल काल]] में एक महत्त्वपूर्ण युद्ध के लिए जाना जाता है।  
*[[15 अप्रैल]], 1658 को जब [[शाहजहाँ]] बीमार था, तब इस स्थान पर शाही सेना, जिसका नेतृत्व दारा के साथ राजा जसवंतसिंह एवं कासिम अली कर रहे थे और [[औरंगजेब]], जिसके साथ मुराद था, के मध्य युद्ध हुआ।  
*[[15 अप्रैल]], 1658 को जब [[शाहजहाँ]] बीमार था, तब इस स्थान पर शाही सेना, जिसका नेतृत्व दारा के साथ राजा जसवंतसिंह एवं कासिम अली कर रहे थे और [[औरंगजेब]], जिसके साथ मुराद था, के मध्य युद्ध हुआ।<ref>[[धरमत का युद्ध]]</ref>
*इस युद्ध में शाही फौज बुरी तरह परास्त हुई।  
*इस युद्ध में शाही फौज बुरी तरह परास्त हुई।  
*औरंगजेब ने विजयी होकर [[दिल्ली]] की और तेजी से प्रस्थान किया।  
*औरंगजेब ने विजयी होकर [[दिल्ली]] की और तेजी से प्रस्थान किया।  
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*वह चम्बल नदी पार कर [[आगरा]] से पूर्व में 8 मील पर स्थित [[सामूगढ़]] पहुँचा, जहाँ दारा के नेतृत्व में शाही फ़ौज से उसकी पुनः मुठभेड़ हुई।  
*वह चम्बल नदी पार कर [[आगरा]] से पूर्व में 8 मील पर स्थित [[सामूगढ़]] पहुँचा, जहाँ दारा के नेतृत्व में शाही फ़ौज से उसकी पुनः मुठभेड़ हुई।  
*दारा पराजित होकर भाग खड़ा हुआ।  
*दारा पराजित होकर भाग खड़ा हुआ।  
 
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13:17, 6 जून 2011 का अवतरण

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  • आधुनिक मध्य प्रदेश में उज्जैन से 14 मील दूर गंभीर (प्राचीन गंभीरा) नदी के तट पर स्थित एक छोटा-सा ग्राम धरमत है।
  • यह स्थान मुग़ल काल में एक महत्त्वपूर्ण युद्ध के लिए जाना जाता है।
  • 15 अप्रैल, 1658 को जब शाहजहाँ बीमार था, तब इस स्थान पर शाही सेना, जिसका नेतृत्व दारा के साथ राजा जसवंतसिंह एवं कासिम अली कर रहे थे और औरंगजेब, जिसके साथ मुराद था, के मध्य युद्ध हुआ।[1]
  • इस युद्ध में शाही फौज बुरी तरह परास्त हुई।
  • औरंगजेब ने विजयी होकर दिल्ली की और तेजी से प्रस्थान किया।
  • वह चम्बल नदी पार कर विजयी होकर दिल्ली की और तेजी से प्रस्थान किया।
  • वह चम्बल नदी पार कर आगरा से पूर्व में 8 मील पर स्थित सामूगढ़ पहुँचा, जहाँ दारा के नेतृत्व में शाही फ़ौज से उसकी पुनः मुठभेड़ हुई।
  • दारा पराजित होकर भाग खड़ा हुआ।

इन्हें भी देखें: धरमत का युद्ध


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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