"उल्लू": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
[[चित्र:Owl.jpg|thumb|उल्लू <br />Owl]]
उल्लू रात्रिचारी पक्षी है जो अपनी आँख और गोल चेहरे के कारण बहुत प्रसिद्ध है। उल्लू के पर बहुत मुलायम होते हैं जिससे रात में उड़ते समय आवाज़ नहीं होती है। ये बहुत कम रोशनी में भी देख लेते हैं। इन्हें रात में उड़कर शिकार करने में परेशानी नहीं होती है। कुछ लोगों का विश्वास है कि आदमी की मृत्यु के समय का इन उल्लुओं को पहले से ही पता चल जाता है और तब ये आसपास के पेड़ पर अक्सर बोलने लगते हैं।  
उल्लू रात्रिचारी पक्षी है जो अपनी आँख और गोल चेहरे के कारण बहुत प्रसिद्ध है। उल्लू के पर बहुत मुलायम होते हैं जिससे रात में उड़ते समय आवाज़ नहीं होती है। ये बहुत कम रोशनी में भी देख लेते हैं। इन्हें रात में उड़कर शिकार करने में परेशानी नहीं होती है। कुछ लोगों का विश्वास है कि आदमी की मृत्यु के समय का इन उल्लुओं को पहले से ही पता चल जाता है और तब ये आसपास के पेड़ पर अक्सर बोलने लगते हैं।  


उल्लू छोटे और बड़े दोनों तरह के होते हैं और इनकी कई जातियाँ भारत वर्ष में पाई जाती हैं। बड़े उल्लुओं को दो मुख्य जातियाँ मुआ और घुग्घू है। मुआ पानी के करीब और घुग्घू पुराने खंडहरों और पेड़ों पर रहते हैं।  
उल्लू छोटे और बड़े दोनों तरह के होते हैं और इनकी कई जातियाँ भारत वर्ष में पाई जाती हैं। बड़े उल्लुओं को दो मुख्य जातियाँ मुआ और घुग्घू है। मुआ पानी के करीब और घुग्घू पुराने खंडहरों और पेड़ों पर रहते हैं।  
[[चित्र:Owl-1.jpg|thumb|left|उल्लू <br />Owl]]
;मुआ
;मुआ
मुआ का कद लगभग 22 इंच होता है। इसके नर और मादा एक ही शकल के होते हैं। इसके ऊपर के पर कत्थई, डैने भूरे जिनपर सफ़ेद और काले सेहर जैसे निशान, दुम गहरी भूरी जिसके सिरे पर सफेदीपन लिए भूरे रंग की धारी और गला सफ़ेद होता है। इसकी चोंच टेढ़ी और गहरी गंदी हरी तथा पैर धूमिल पीले रंग के होते हैं। यह [[भारत]] का बारहमासी पक्षी है जो नदी के किनारों के ऊँचे कगार, पानी का ओर झुकी हुई पेड़ की किसी डाल या किसी वीरान खंडहर में अक्सर दिखाई पड़ता है। इसका मुख्य भोजन चिड़िया, चूहे, मेढक और [[मछली|मछलियाँ]] हैं। इसका प्रजनन काल दिसंबर से मार्च तक है।
मुआ का कद लगभग 22 इंच होता है। इसके नर और मादा एक ही शकल के होते हैं। इसके ऊपर के पर कत्थई, डैने भूरे जिनपर सफ़ेद और काले सेहर जैसे निशान, दुम गहरी भूरी जिसके सिरे पर सफेदीपन लिए भूरे रंग की धारी और गला सफ़ेद होता है। इसकी चोंच टेढ़ी और गहरी गंदी हरी तथा पैर धूमिल पीले रंग के होते हैं। यह [[भारत]] का बारहमासी पक्षी है जो नदी के किनारों के ऊँचे कगार, पानी का ओर झुकी हुई पेड़ की किसी डाल या किसी वीरान खंडहर में अक्सर दिखाई पड़ता है। इसका मुख्य भोजन चिड़िया, चूहे, मेढक और [[मछली|मछलियाँ]] हैं। इसका प्रजनन काल दिसंबर से मार्च तक है।

11:23, 3 जून 2011 का अवतरण

उल्लू
Owl

उल्लू रात्रिचारी पक्षी है जो अपनी आँख और गोल चेहरे के कारण बहुत प्रसिद्ध है। उल्लू के पर बहुत मुलायम होते हैं जिससे रात में उड़ते समय आवाज़ नहीं होती है। ये बहुत कम रोशनी में भी देख लेते हैं। इन्हें रात में उड़कर शिकार करने में परेशानी नहीं होती है। कुछ लोगों का विश्वास है कि आदमी की मृत्यु के समय का इन उल्लुओं को पहले से ही पता चल जाता है और तब ये आसपास के पेड़ पर अक्सर बोलने लगते हैं।

उल्लू छोटे और बड़े दोनों तरह के होते हैं और इनकी कई जातियाँ भारत वर्ष में पाई जाती हैं। बड़े उल्लुओं को दो मुख्य जातियाँ मुआ और घुग्घू है। मुआ पानी के करीब और घुग्घू पुराने खंडहरों और पेड़ों पर रहते हैं।

उल्लू
Owl
मुआ

मुआ का कद लगभग 22 इंच होता है। इसके नर और मादा एक ही शकल के होते हैं। इसके ऊपर के पर कत्थई, डैने भूरे जिनपर सफ़ेद और काले सेहर जैसे निशान, दुम गहरी भूरी जिसके सिरे पर सफेदीपन लिए भूरे रंग की धारी और गला सफ़ेद होता है। इसकी चोंच टेढ़ी और गहरी गंदी हरी तथा पैर धूमिल पीले रंग के होते हैं। यह भारत का बारहमासी पक्षी है जो नदी के किनारों के ऊँचे कगार, पानी का ओर झुकी हुई पेड़ की किसी डाल या किसी वीरान खंडहर में अक्सर दिखाई पड़ता है। इसका मुख्य भोजन चिड़िया, चूहे, मेढक और मछलियाँ हैं। इसका प्रजनन काल दिसंबर से मार्च तक है।

घुग्घू

घुग्घू भी लगभग 22 इंच का पक्षी है जिसके नर मादा एक ही रंग रूप के होते हैं। इनकी मरचिरैया भी कहते हैं। घूग्घु के सारे शरीर का रंग भूरा रहता है। इसकी आँख की पुतली पीली, चोंच सींग के रंग की, और पैर रोएँदार तथा काले होते हैं। यह चूहे, मेंढक और ज्यादातर कौओं के अंडों पर हमला कर के खाता है। यह घने जंगल, बस्ती या वीरान के किसी बड़े पेड़ पर छिपा सोता है लेकिन रात में घुग्घूऊ ऊऊ की मनहूस आवाज़ से इसकी मौजूदगी का पता चल जाता है।

समाचार

उल्लू
Owl

गुरुवार, 4 नवंबर, 2010

हैरी पॉटर के कारण आया भारतीय उल्लूओं पर ख़तरा

पर्यावरण मंत्री जयराम नरेश ने कहा है कि मशहूर किताब और फ़िल्म हैरी पॉटर से प्रभावित हो कर माता-पिता अपने बच्चों को उपहार में असली उल्लू (पक्षी) दे रहे हैं। इससे उल्लूओं की संख्या में कमी आ रही है। विलुप्त हो रही प्रजातियों के पक्षियों के गैर-कानूनी व्यापार पर ट्रैफिक नामक एक गैर-सरकारी संगठन द्वारा जारी रिपोर्ट के बाद केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने कहा कि हैरी पॉटर की फ़िल्म ने शहरी मध्यमवर्गीय परिवार को ख़ासा प्रभावित किया है। फ़िल्म से प्रभावित बच्चे अपने मां-बाप से असली उल्लू की मांग कर रहे हैं और उनकी मांग को पूरा करने के लिए मां-बाप पशु-पक्षियों का गैर-क़ानूनी रूप से व्यापार करने वालों से संपर्क कर रहे हैं...

समाचार को विभिन्न स्त्रोतों पर पढ़ें


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख