"दिल्ली में पानी की समस्या": अवतरणों में अंतर
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[[दिल्ली]] को प्रतिदिन कोई 3 अरब 60 करोड़ लीटर पानी की ज़रूरत है, लेकिन केवल 2 अरब 90 करोड़ लीटर आपूर्ति ही हो पाती है। आलोचकों का कहना है कि पानी की आपूर्ति में भी खूब भेदभाव बरता जा रहा है। उदाहरण के लिए लुटियन वाली दिल्ली को प्रतिदिन कोई 30 करोड़ लीटर पानी मिलता है, लेकिन महरौली जैसे स्थानों में यह 4 करोड़ से भी कम है। दिल्ली सरकार रेणुका बांध से 1 अरब 24 करोड़ लीटर अतिरिक्त पानी चाहती है। | [[दिल्ली]] को प्रतिदिन कोई 3 अरब 60 करोड़ लीटर पानी की ज़रूरत है, लेकिन केवल 2 अरब 90 करोड़ लीटर आपूर्ति ही हो पाती है। आलोचकों का कहना है कि पानी की आपूर्ति में भी खूब भेदभाव बरता जा रहा है। उदाहरण के लिए लुटियन वाली दिल्ली को प्रतिदिन कोई 30 करोड़ लीटर पानी मिलता है, लेकिन महरौली जैसे स्थानों में यह 4 करोड़ से भी कम है। दिल्ली सरकार रेणुका बांध से 1 अरब 24 करोड़ लीटर अतिरिक्त पानी चाहती है। | ||
दिल्ली जल बोर्ड पर सवाल उठाते हुए [[भारत]] के महालेखाकार ने [[2008]] में टिप्पणी की थी कि, दिल्ली में 40 प्रतिशत पानी व्यर्थ बह जाता है। यह बर्बादी कोई 38 करोड़ लीटर प्रतिदिन है। दिल्ली स्थित विज्ञान और पर्यावरण केंद्र के एक अध्ययन के अनुसार पानी की यह बर्बादी रेणुका बांध से होने वाली जल आपूर्ति का चौथा भाग है। | |||
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12:25, 16 नवम्बर 2014 का अवतरण
दिल्ली को प्रतिदिन कोई 3 अरब 60 करोड़ लीटर पानी की ज़रूरत है, लेकिन केवल 2 अरब 90 करोड़ लीटर आपूर्ति ही हो पाती है। आलोचकों का कहना है कि पानी की आपूर्ति में भी खूब भेदभाव बरता जा रहा है। उदाहरण के लिए लुटियन वाली दिल्ली को प्रतिदिन कोई 30 करोड़ लीटर पानी मिलता है, लेकिन महरौली जैसे स्थानों में यह 4 करोड़ से भी कम है। दिल्ली सरकार रेणुका बांध से 1 अरब 24 करोड़ लीटर अतिरिक्त पानी चाहती है। दिल्ली जल बोर्ड पर सवाल उठाते हुए भारत के महालेखाकार ने 2008 में टिप्पणी की थी कि, दिल्ली में 40 प्रतिशत पानी व्यर्थ बह जाता है। यह बर्बादी कोई 38 करोड़ लीटर प्रतिदिन है। दिल्ली स्थित विज्ञान और पर्यावरण केंद्र के एक अध्ययन के अनुसार पानी की यह बर्बादी रेणुका बांध से होने वाली जल आपूर्ति का चौथा भाग है।
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