"सत्येन्द्र नारायण सिंह": अवतरणों में अंतर

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सत्येन्द्र नारायण सिन्हा एक [[भारत|भारतीय]] राजनेता है और [[बिहार ]] के [[मुख्यमंत्री]] रह चुके है। प्यार से लोग उन्हें '''''छोटे साहब'' ''' कहते थे।वे भारत के स्वतंत्रता सेनानी,राजनीतिज्ञ,सांसद,शिक्षा मंत्री तथा बिहार राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं।वह 72 वर्ष की आयु में मुख्यमंत्री  बने थे। इसके पूर्व 1977 मे उन्होंने मुख्यमंत्री बनने की कोशिश की परंतु असफल रहे।वस्तुत: छोटे साहब इतने भाग्यशाली नहीं रहे और वर्षों तक [[बिहार ]] के वरिष्ठतम नेता होने के बावज़ूद उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया।     
सत्येन्द्र नारायण सिन्हा एक [[भारत|भारतीय]] राजनेता और [[बिहार ]] के [[मुख्यमंत्री]] रह चुके थे। प्यार से लोग उन्हें '''''छोटे साहब'' ''' कहते थे।वे भारत के स्वतंत्रता सेनानी,राजनीतिज्ञ,सांसद,शिक्षा मंत्री तथा बिहार राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं।वह 72 वर्ष की आयु में मुख्यमंत्री  बने थे। इसके पूर्व 1977 मे उन्होंने मुख्यमंत्री बनने की कोशिश की परंतु असफल रहे।वस्तुत: छोटे साहब इतने भाग्यशाली नहीं रहे और वर्षों तक [[बिहार ]] के वरिष्ठतम नेता होने के बावज़ूद उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया।     
==राजनीतिक जीवन==
==राजनीतिक जीवन==
[[स्वतंत्रता संग्राम]] में भागीदारी के बाद देश की आज़ादी के समय राष्ट्रीय राजनीति में इनका नाम वज़नदार हो चुका था।लेकिन सत्येन्द्र नारायण सिन्हा की प्राथमिक रुचि राज्य की राजनीति में ही थी।यही कारण है कि वे [[1961]]में बिहार के शिक्षा मंत्री बने जो उप मुख्यमंत्री के हैसियत में थे।।उन्होंने  छठे और सातवें दशक में [[बिहार]] की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभायी। उन्होंने राजनीति के लिए मानवीय अनुभूतियों को तिलांजलि दे दी,शिक्षा मंत्री के रूप में शैक्षणिक सुधार किया, साथ ही [[मगध]] [[विश्वविद्यालय]] की स्थापना की।वे देश में अपनी सैद्धांतिक राजनीति के लिए चर्चित हुआ करते थे।छोटे साहब ने बिहार के विकास में अग्रणी भूमिका निभाई।
[[स्वतंत्रता संग्राम]] में भागीदारी के बाद देश की आज़ादी के समय राष्ट्रीय राजनीति में इनका नाम वज़नदार हो चुका था।लेकिन सत्येन्द्र नारायण सिन्हा की प्राथमिक रुचि राज्य की राजनीति में ही थी।यही कारण है कि वे [[1961]]में बिहार के शिक्षा मंत्री बने जो उप मुख्यमंत्री के हैसियत में थे।।उन्होंने  छठे और सातवें दशक में [[बिहार]] की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभायी। उन्होंने राजनीति के लिए मानवीय अनुभूतियों को तिलांजलि दे दी,शिक्षा मंत्री के रूप में शैक्षणिक सुधार किया, साथ ही [[मगध]] [[विश्वविद्यालय]] की स्थापना की।वे देश में अपनी सैद्धांतिक राजनीति के लिए चर्चित हुआ करते थे।छोटे साहब ने बिहार के विकास में अग्रणी भूमिका निभाई।
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[[Category:बिहार के मुख्यमंत्री]]
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15:26, 21 जून 2011 का अवतरण

सत्येन्द्र नारायण सिंह
पूरा नाम सत्येन्द्र नारायण सिन्हा
अन्य नाम छोटे साहब
जन्म १२ सितम्बर, १९१७
जन्म भूमि मगध मंडल, बिहार
मृत्यु 2006
मृत्यु स्थान पटना
नागरिकता भारतीय
पार्टी कांग्रेस (1940-1969), कांग्रेस-ओ (1969–1977), जनता पार्टी
पद बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री
शिक्षा स्नातक, बी. एल., क़ानून में मास्टर डिग्री

सत्येन्द्र नारायण सिन्हा एक भारतीय राजनेता और बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके थे। प्यार से लोग उन्हें छोटे साहब कहते थे।वे भारत के स्वतंत्रता सेनानी,राजनीतिज्ञ,सांसद,शिक्षा मंत्री तथा बिहार राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं।वह 72 वर्ष की आयु में मुख्यमंत्री बने थे। इसके पूर्व 1977 मे उन्होंने मुख्यमंत्री बनने की कोशिश की परंतु असफल रहे।वस्तुत: छोटे साहब इतने भाग्यशाली नहीं रहे और वर्षों तक बिहार के वरिष्ठतम नेता होने के बावज़ूद उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया।

राजनीतिक जीवन

स्वतंत्रता संग्राम में भागीदारी के बाद देश की आज़ादी के समय राष्ट्रीय राजनीति में इनका नाम वज़नदार हो चुका था।लेकिन सत्येन्द्र नारायण सिन्हा की प्राथमिक रुचि राज्य की राजनीति में ही थी।यही कारण है कि वे 1961में बिहार के शिक्षा मंत्री बने जो उप मुख्यमंत्री के हैसियत में थे।।उन्होंने छठे और सातवें दशक में बिहार की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभायी। उन्होंने राजनीति के लिए मानवीय अनुभूतियों को तिलांजलि दे दी,शिक्षा मंत्री के रूप में शैक्षणिक सुधार किया, साथ ही मगध विश्वविद्यालय की स्थापना की।वे देश में अपनी सैद्धांतिक राजनीति के लिए चर्चित हुआ करते थे।छोटे साहब ने बिहार के विकास में अग्रणी भूमिका निभाई।

बाहरी कड़ियाँ


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