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-[[अमीर ख़ुसरो]] | -[[अमीर ख़ुसरो]] | ||
-[[स्वामी हरिदास]] | -[[स्वामी हरिदास]] | ||
||[[चित्र:Akbar-Tansen-Haridas.jpg|अकबर तानसेन-हरिदास| | ||[[चित्र:Akbar-Tansen-Haridas.jpg|अकबर तानसेन-हरिदास|120px|right]][[तानसेन]] सिर्फ़ एक महान गायक ही नहीं, बल्कि एक महान संगीतशास्त्री एवं रागों के रचयिता भी थे। जाति एवं रागों की प्राचीन मान्यताओं को तोड़कर नये प्रयोगों की परंपरा को प्रारम्भ करने में वे अग्रणी थे। [[संगीत]] के क्षेत्र में आज भी तानसेन का प्रभाव जीवित है। उसका कारण है 'मियाँ की मल्हार', 'दरबारी कानडा' और 'मियाँ की तोड़ी' जैसी मौलिक स्वर रचनाओं का सदाबहार आकर्षण।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[तानसेन]] | ||
{किस [[शास्त्रीय नृत्य]] में मुखौटे का प्रयोग किया जाता है। | {किस [[शास्त्रीय नृत्य]] में मुखौटे का प्रयोग किया जाता है। | ||
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+[[तबला]] | +[[तबला]] | ||
-संतूर | -संतूर | ||
||[[चित्र:Alla-Rakha.jpg|अल्ला रक्खा ख़ाँ| | ||[[चित्र:Alla-Rakha.jpg|अल्ला रक्खा ख़ाँ|80px|right]]आधुनिक काल में गायन, वादन तथा [[नृत्य कला|नृत्य]] की संगति में [[तबला|तबले]] का प्रयोग होता है। तबले के पूर्व यही स्थान 'पखावज' अथवा [[मृदंग]] को प्राप्त था। कुछ दिनों से तबले का स्वतन्त्र-वादन भी अधिक लोक-प्रिय होता जा रहा है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[तबला]] | ||
{'संगीत यंत्र' [[तबला|तबले]] का प्रचलन किसने किया था? | {'संगीत यंत्र' [[तबला|तबले]] का प्रचलन किसने किया था? | ||
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-[[बैजू बावरा]] ने | -[[बैजू बावरा]] ने | ||
+[[अमीर ख़ुसरो]] ने | +[[अमीर ख़ुसरो]] ने | ||
||[[चित्र:Amir-Khusro.jpg|अमीर ख़ुसरो और ह्ज़रत निज़ामुद्दीन औलिया| | ||[[चित्र:Amir-Khusro.jpg|अमीर ख़ुसरो और ह्ज़रत निज़ामुद्दीन औलिया|80px|right]]कहा जाता है कि, [[तबला]] हज़ारों साल पुराना वाद्ययंत्र है ,किन्तु नवीनतम ऐतिहासिक वर्णन में बताया जाता है कि, 13वीं शताब्दी में भारतीय कवि तथा संगीतज्ञ [[अमीर ख़ुसरो]] ने 'पखावज' के दो टुकड़े करके तबले का आविष्कार किया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अमीर ख़ुसरो]] | ||
{'लोसांग उत्सव' कहाँ पर मनाया जाता है? | {'लोसांग उत्सव' कहाँ पर मनाया जाता है? | ||
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+[[केरल]] में | +[[केरल]] में | ||
-[[पश्चिम बंगाल]] में | -[[पश्चिम बंगाल]] में | ||
||[[चित्र:Muzhappilangad-Beach-Kannur.jpg|मुजुपिलंगड बीच, कन्नूर|100px|right]]केरल भारतीय उपमहाद्वीप के दक्षिण-पश्चिमी सिरे पर स्थित है। स्वतंत्र [[भारत]] में जब छोटी-छोटी रियासतों का विलय हुआ, तब त्रावनकोर तथा [[कोचीन]] रियासतों को मिलाकर [[ | ||[[चित्र:Muzhappilangad-Beach-Kannur.jpg|मुजुपिलंगड बीच, कन्नूर|100px|right]]केरल भारतीय उपमहाद्वीप के दक्षिण-पश्चिमी सिरे पर स्थित है। स्वतंत्र [[भारत]] में जब छोटी-छोटी रियासतों का विलय हुआ, तब त्रावनकोर तथा [[कोचीन]] रियासतों को मिलाकर [[1 जुलाई]], [[1949]] को 'त्रावनकोर कोचीन' राज्य बना दिया गया, लेकिन मालाबार [[मद्रास]] प्रांत के अधीन ही रहा। राज्य पुनर्गठन अधिनियम, [[1956]] के अंतर्गत 'त्रावनकोर-कोचीन' राज्य तथा 'मालाबार' को मिलाकर [[1 नवंबर]], 1956 को [[केरल]] राज्य का निर्माण किया गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[केरल]] | ||
{[[भारत]] में प्राचीनतम तारामंडल गृह कहाँ है? | {[[भारत]] में प्राचीनतम तारामंडल गृह कहाँ है? | ||
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+[[पाकिस्तान]] में | +[[पाकिस्तान]] में | ||
-[[अफ़ग़ानिस्तान]] में | -[[अफ़ग़ानिस्तान]] में | ||
||[[चित्र:Pakistan-Flag.jpg|thumb|120px|पाकिस्तान का ध्वज]]पाकिस्तान [[भारत]] का पड़ोसी देश है। [[राजस्थान]] और [[गुजरात]] में भारत की सीमायें पाकिस्तान से मिलती हैं। भारत को [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] से [[1947]] में स्वतंत्रता मिली थी, जबकि पाकिस्तान 14 अगस्त को स्वतंत्र हुआ। पाकिस्तान और भारत के बीच 1948 और 1965 में युद्ध हुए थे। 1948 के युद्ध के समय भारत के [[प्रधानमंत्री]] [[जवाहरलाल नेहरू]] जी थे, और 1965 के युद्ध के समय [[लालबहादुर शास्त्री]] प्रधानमंत्री थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पाकिस्तान]] | |||
{स्वतंत्रता प्राप्ति के समय [[भारत]] में 'ऑल इण्डिया रेडियों' के कितने केन्द्र थे? | {स्वतंत्रता प्राप्ति के समय [[भारत]] में 'ऑल इण्डिया रेडियों' के कितने केन्द्र थे? |
15:17, 28 जून 2011 का अवतरण
कला और संस्कृति
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