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दक्षिण भारतीय मसालों में पकी हैदराबादी बिरयानी की शुरूआत की कहानी भी बहुत दिलचस्प है कहा जाता है निज़ामों के जमाने में जब फ़ौज लडाई या किसी अभियान पर कूच करती थी तो एक साथ हज़ारों फ़ौज़ियों का खाना बनाने के लिए रसोइयों की फ़ौज भी उनके साथ रखनी पड़ती थी। बरतन-खाद्य सामग्री इत्यादी भी लाव-लश्कर के साथ ही चलती थीं। लड़ाई के समय फ़ौज का कुछ हिस्सा तो रसोईयों और खाने के सामान की हिफ़ाजत में ही रखना पड़ता था।
दक्षिण भारतीय मसालों में पकी हैदराबादी बिरयानी की शुरूआत की कहानी भी बहुत दिलचस्प है कहा जाता है निज़ामों के जमाने में जब फ़ौज लडाई या किसी अभियान पर कूच करती थी तो एक साथ हज़ारों फ़ौज़ियों का खाना बनाने के लिए रसोइयों की फ़ौज भी उनके साथ रखनी पड़ती थी। बरतन-खाद्य सामग्री इत्यादी भी लाव-लश्कर के साथ ही चलती थीं। लड़ाई के समय फ़ौज का कुछ हिस्सा तो रसोईयों और खाने के सामान की हिफ़ाजत में ही रखना पड़ता था।


एक बार दुश्मन फ़ौज ने निज़ामी फ़ौज पर जबरदस्त धावा बोल दिया, अचानक हुए इस हमले से घबराए फ़ौज़ियों ने रसोइयों को जान बचाने के लिए जंगल में भाग जाने को कहा, जल्दबाजी में रसोइयों ने सारी खाद्य सामग्री चूल्हे पर चढ़े बरतन में डाल दी और भाग गए। निज़ामी फ़ौज द्वारा शाम तक दुश्मन को मार भगाने के बाद जब रसोइयों ने वापस आ कर देखा तो बरतन में डाली गई सारी सामग्री में से भीनी-भीनी खुशबू आ रही थी, थके-हारे फ़ौज़ियों को रसोइयों ने वही चावल परोसे और उन्हें यह व्यंजन बहुत लज़ीज़ लगा और इसकी खबर निज़ाम तक भी गई। जब निज़ाम नें इसे खाया तो उसे इतना पसन्द आया की उसने तुरंत हुक्म दिया की आज से यह शाही बिरयानी फ़ौज़ियों के लिए पकायी जाएगी जिससे बहुत से बरतनों और ढेर सारे खानसामों की ज़रूरत नहीं पड़े और इस व्यंजन को पूरे हैदराबाद में सामुहिक दस्तरखानों में परोसा जाए। इस के बाद तो हैदराबादी बिरयानी की खुशबू और स्वाद पूरी दुनिया में फैल गया।  
एक बार दुश्मन फ़ौज ने निज़ामी फ़ौज पर जबरदस्त धावा बोल दिया, अचानक हुए इस हमले से घबराए फ़ौज़ियों ने रसोइयों को जान बचाने के लिए जंगल में भाग जाने को कहा, जल्दबाज़ी में रसोइयों ने सारी खाद्य सामग्री चूल्हे पर चढ़े बरतन में डाल दी और भाग गए। निज़ामी फ़ौज द्वारा शाम तक दुश्मन को मार भगाने के बाद जब रसोइयों ने वापस आ कर देखा तो बरतन में डाली गई सारी सामग्री में से भीनी-भीनी खुशबू आ रही थी, थके-हारे फ़ौज़ियों को रसोइयों ने वही चावल परोसे और उन्हें यह व्यंजन बहुत लज़ीज़ लगा और इसकी खबर निज़ाम तक भी गई। जब निज़ाम नें इसे खाया तो उसे इतना पसन्द आया की उसने तुरंत हुक्म दिया की आज से यह शाही बिरयानी फ़ौज़ियों के लिए पकायी जाएगी जिससे बहुत से बरतनों और ढेर सारे खानसामों की ज़रूरत नहीं पड़े और इस व्यंजन को पूरे हैदराबाद में सामुहिक दस्तरखानों में परोसा जाए। इस के बाद तो हैदराबादी बिरयानी की खुशबू और स्वाद पूरी दुनिया में फैल गया।  


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16:57, 8 जुलाई 2011 का अवतरण

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हैदराबादी बिरयानी
Hyderabadi Biryani

हैदराबाद में बिरयानी चार प्रकार की बनती है-

  1. मटन बिरयानी
  2. चिकन बिरयानी
  3. अंडा बिरयानी
  4. सब्ज़ियों की बिरयानी- सब्ज़ियों की बिरयानी शाकाहारियों के लिए है। इसको पकाने का तरीका अन्य बिरयानी को पकाने की तरह ही है।
बिरयानी की शुरूआत

दक्षिण भारतीय मसालों में पकी हैदराबादी बिरयानी की शुरूआत की कहानी भी बहुत दिलचस्प है कहा जाता है निज़ामों के जमाने में जब फ़ौज लडाई या किसी अभियान पर कूच करती थी तो एक साथ हज़ारों फ़ौज़ियों का खाना बनाने के लिए रसोइयों की फ़ौज भी उनके साथ रखनी पड़ती थी। बरतन-खाद्य सामग्री इत्यादी भी लाव-लश्कर के साथ ही चलती थीं। लड़ाई के समय फ़ौज का कुछ हिस्सा तो रसोईयों और खाने के सामान की हिफ़ाजत में ही रखना पड़ता था।

एक बार दुश्मन फ़ौज ने निज़ामी फ़ौज पर जबरदस्त धावा बोल दिया, अचानक हुए इस हमले से घबराए फ़ौज़ियों ने रसोइयों को जान बचाने के लिए जंगल में भाग जाने को कहा, जल्दबाज़ी में रसोइयों ने सारी खाद्य सामग्री चूल्हे पर चढ़े बरतन में डाल दी और भाग गए। निज़ामी फ़ौज द्वारा शाम तक दुश्मन को मार भगाने के बाद जब रसोइयों ने वापस आ कर देखा तो बरतन में डाली गई सारी सामग्री में से भीनी-भीनी खुशबू आ रही थी, थके-हारे फ़ौज़ियों को रसोइयों ने वही चावल परोसे और उन्हें यह व्यंजन बहुत लज़ीज़ लगा और इसकी खबर निज़ाम तक भी गई। जब निज़ाम नें इसे खाया तो उसे इतना पसन्द आया की उसने तुरंत हुक्म दिया की आज से यह शाही बिरयानी फ़ौज़ियों के लिए पकायी जाएगी जिससे बहुत से बरतनों और ढेर सारे खानसामों की ज़रूरत नहीं पड़े और इस व्यंजन को पूरे हैदराबाद में सामुहिक दस्तरखानों में परोसा जाए। इस के बाद तो हैदराबादी बिरयानी की खुशबू और स्वाद पूरी दुनिया में फैल गया।


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