"देवराष्ट्र": अवतरणों में अंतर
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*[[समुद्रगुप्त]] की प्रयाग प्रशस्ति में दक्षिणापथ के बारह राज्यों की सूची में देवराष्ट्र का भी नाम है। | *[[समुद्रगुप्त]] की प्रयाग प्रशस्ति में दक्षिणापथ के बारह राज्यों की सूची में देवराष्ट्र का भी नाम है। | ||
*देवराष्ट्र के राजा का नाम कुबेर (देवराष्ट्रककुबेर) था। | *देवराष्ट्र के राजा का नाम कुबेर (देवराष्ट्रककुबेर) था। | ||
*पहले विद्वानों का विचार था कि देवराष्ट्र [[महाराष्ट्र]] का ही पर्याय है और समुद्रगुप्त की दिग्विजय में दक्षिणी [[भारत]] का लगभग पूरा भाग ही सम्मिलित माना गया था, किंतु अब [[फ्रांस|फ्रांसीसी]] विद्वान जू वो डुब्रिल के मत के आधार पर यह उपकल्पना | *पहले विद्वानों का विचार था कि देवराष्ट्र [[महाराष्ट्र]] का ही पर्याय है और समुद्रगुप्त की दिग्विजय में दक्षिणी [[भारत]] का लगभग पूरा भाग ही सम्मिलित माना गया था, किंतु अब [[फ्रांस|फ्रांसीसी]] विद्वान जू वो डुब्रिल के मत के आधार पर यह उपकल्पना ग़लत कही जाती है। | ||
*इनका मत है कि समुद्रगुप्त वास्तव में दक्षिण के केवल पूर्वी समुद्र तट तथा [[मध्य प्रदेश]] के पूर्वी भाग तक ही पहुँचा था। और मालाबार तथा कोयम्बटूर के ज़िले तथा [[खानदेश]] और महाराष्ट्र के प्रांत उसकी दिग्विजय-यात्रा के मार्ग के बाहर थे। | *इनका मत है कि समुद्रगुप्त वास्तव में दक्षिण के केवल पूर्वी समुद्र तट तथा [[मध्य प्रदेश]] के पूर्वी भाग तक ही पहुँचा था। और मालाबार तथा कोयम्बटूर के ज़िले तथा [[खानदेश]] और महाराष्ट्र के प्रांत उसकी दिग्विजय-यात्रा के मार्ग के बाहर थे। | ||
13:43, 9 अगस्त 2011 का अवतरण
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- देवराष्ट्र ऐतिहासिक स्थान जिसकी स्थिति आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम ज़िले में निर्धारित की जाती है।
- समुद्रगुप्त की प्रयाग प्रशस्ति में दक्षिणापथ के बारह राज्यों की सूची में देवराष्ट्र का भी नाम है।
- देवराष्ट्र के राजा का नाम कुबेर (देवराष्ट्रककुबेर) था।
- पहले विद्वानों का विचार था कि देवराष्ट्र महाराष्ट्र का ही पर्याय है और समुद्रगुप्त की दिग्विजय में दक्षिणी भारत का लगभग पूरा भाग ही सम्मिलित माना गया था, किंतु अब फ्रांसीसी विद्वान जू वो डुब्रिल के मत के आधार पर यह उपकल्पना ग़लत कही जाती है।
- इनका मत है कि समुद्रगुप्त वास्तव में दक्षिण के केवल पूर्वी समुद्र तट तथा मध्य प्रदेश के पूर्वी भाग तक ही पहुँचा था। और मालाबार तथा कोयम्बटूर के ज़िले तथा खानदेश और महाराष्ट्र के प्रांत उसकी दिग्विजय-यात्रा के मार्ग के बाहर थे।
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