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लोथल का ऊपरी नगर था नगर दुर्ग विषय चतुर्भुजाकार था जो पूर्व से पश्चिम 117 मी. और उत्तर से दक्षिण की ओर 136 मी. तक फैला हुआ था। | लोथल का ऊपरी नगर था नगर दुर्ग विषय चतुर्भुजाकार था जो पूर्व से पश्चिम 117 मी. और उत्तर से दक्षिण की ओर 136 मी. तक फैला हुआ था। | ||
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लोथल नगर के उत्तर में एक बाज़ार और दक्षिण में एक औद्योगिक क्षेत्र था। मनके बनाने वालों, [[ताम्र|तांबे]] तथा [[सोना|सोने]] का काम करने वाले शिल्पियों की उद्योगशालाएं भी प्रकाश में आई हैं। यहाँ से एक घर के सोने के दाने, सेलखड़ी की चार मुहरें, सींप एवं तांबे की बनी चूड़ियों और बहुत ढंग से रंगा हुआ एक मिट्टी का जार मिला है। लोथल से [[शंख]] के कार्य करने वाले दस्तकारों और ताम्रकर्मियों के कारखाने भी मिले हैं। [[चित्र:Lothal-11.jpg|thumb|250px|left|लोथल नगर में जल पुनर्शोधित कर काम में लाया जाता था एक बूंद जल व्यर्थ नहीं जाता था]] नगर दुर्ग के पश्चिम की ओर विभिन्न आकार के 11 कमरें बने थे, जिनका प्रयोग मनके या दाना बनाने वाले फैक्ट्री के रूप में किया जाता था। लोथल नगर क्षेत्र के बाहरी उत्तरी-पश्चिमी किनारे पर समाधि क्षेत्र का, जहां से बीस समाधियां मिली हैं। यहाँ की सर्वाधिक प्रसिद्व उपलब्धि हड़प्पाकालीन बन्दरगाह के अतिरिक्त विशिष्ट मृदभांड, उपकरण, मुहरें, बांट तथा माप एवं पाषाण उपकरण है। यहाँ तीन युग्मित समाधि के भी उदाहरण मिले हैं। स्त्री- | लोथल नगर के उत्तर में एक बाज़ार और दक्षिण में एक औद्योगिक क्षेत्र था। मनके बनाने वालों, [[ताम्र|तांबे]] तथा [[सोना|सोने]] का काम करने वाले शिल्पियों की उद्योगशालाएं भी प्रकाश में आई हैं। यहाँ से एक घर के सोने के दाने, सेलखड़ी की चार मुहरें, सींप एवं तांबे की बनी चूड़ियों और बहुत ढंग से रंगा हुआ एक मिट्टी का जार मिला है। लोथल से [[शंख]] के कार्य करने वाले दस्तकारों और ताम्रकर्मियों के कारखाने भी मिले हैं। [[चित्र:Lothal-11.jpg|thumb|250px|left|लोथल नगर में जल पुनर्शोधित कर काम में लाया जाता था एक बूंद जल व्यर्थ नहीं जाता था]] नगर दुर्ग के पश्चिम की ओर विभिन्न आकार के 11 कमरें बने थे, जिनका प्रयोग मनके या दाना बनाने वाले फैक्ट्री के रूप में किया जाता था। लोथल नगर क्षेत्र के बाहरी उत्तरी-पश्चिमी किनारे पर समाधि क्षेत्र का, जहां से बीस समाधियां मिली हैं। यहाँ की सर्वाधिक प्रसिद्व उपलब्धि हड़प्पाकालीन बन्दरगाह के अतिरिक्त विशिष्ट मृदभांड, उपकरण, मुहरें, बांट तथा माप एवं पाषाण उपकरण है। यहाँ तीन युग्मित समाधि के भी उदाहरण मिले हैं। स्त्री-पुरुष शवाधान के साक्ष्य भी लोथल से ही मिले है। लोथल की अधिकांश क़ब्रों में कंकाल के सिर उत्तर की ओर और पैर दक्षिण की ओर था। केवल अपवाद स्वरूप एक कंकाल का दिशा पूर्व-पश्चिम की ओर मिला है। | ||
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*बन्दरगाह लोथल की महत्त्वपूर्ण उपलब्धियों में से है। इस बन्दरगाह पर [[मिस्र]] तथा [[मेसोपोटामिया]] से जहाज़ आते जाते थे। इसका औसत आकार 214x36 मीटर एवं गहराई 3.3 मीटर है। | *बन्दरगाह लोथल की महत्त्वपूर्ण उपलब्धियों में से है। इस बन्दरगाह पर [[मिस्र]] तथा [[मेसोपोटामिया]] से जहाज़ आते जाते थे। इसका औसत आकार 214x36 मीटर एवं गहराई 3.3 मीटर है। |
08:04, 20 जुलाई 2011 का अवतरण
- यह गुजरात के अहमदाबाद ज़िले में 'भोगावा नदी' के किनारे 'सरगवाला' नामक ग्राम के समीप स्थित है।
- खुदाई 1954-55 ई. में 'रंगनाथ राव' के नेतृत्व में की गई।
- इस स्थल से समकालीन सभ्यता के पांच स्तर पाए गए हैं।
- यहाँ पर दो भिन्न-भिन्न टीले नहीं मिले हैं, बल्कि पूरी बस्ती एक ही दीवार से घिरी थी। यह छः खण्डों में विभक्त था।
नगर दुर्ग
लोथल का ऊपरी नगर था नगर दुर्ग विषय चतुर्भुजाकार था जो पूर्व से पश्चिम 117 मी. और उत्तर से दक्षिण की ओर 136 मी. तक फैला हुआ था।
बाज़ार और औद्योगिक क्षेत्र
लोथल नगर के उत्तर में एक बाज़ार और दक्षिण में एक औद्योगिक क्षेत्र था। मनके बनाने वालों, तांबे तथा सोने का काम करने वाले शिल्पियों की उद्योगशालाएं भी प्रकाश में आई हैं। यहाँ से एक घर के सोने के दाने, सेलखड़ी की चार मुहरें, सींप एवं तांबे की बनी चूड़ियों और बहुत ढंग से रंगा हुआ एक मिट्टी का जार मिला है। लोथल से शंख के कार्य करने वाले दस्तकारों और ताम्रकर्मियों के कारखाने भी मिले हैं।
नगर दुर्ग के पश्चिम की ओर विभिन्न आकार के 11 कमरें बने थे, जिनका प्रयोग मनके या दाना बनाने वाले फैक्ट्री के रूप में किया जाता था। लोथल नगर क्षेत्र के बाहरी उत्तरी-पश्चिमी किनारे पर समाधि क्षेत्र का, जहां से बीस समाधियां मिली हैं। यहाँ की सर्वाधिक प्रसिद्व उपलब्धि हड़प्पाकालीन बन्दरगाह के अतिरिक्त विशिष्ट मृदभांड, उपकरण, मुहरें, बांट तथा माप एवं पाषाण उपकरण है। यहाँ तीन युग्मित समाधि के भी उदाहरण मिले हैं। स्त्री-पुरुष शवाधान के साक्ष्य भी लोथल से ही मिले है। लोथल की अधिकांश क़ब्रों में कंकाल के सिर उत्तर की ओर और पैर दक्षिण की ओर था। केवल अपवाद स्वरूप एक कंकाल का दिशा पूर्व-पश्चिम की ओर मिला है।
बन्दरगाह अथवा गोदी बाड़ा(Dock Yard)
- बन्दरगाह लोथल की महत्त्वपूर्ण उपलब्धियों में से है। इस बन्दरगाह पर मिस्र तथा मेसोपोटामिया से जहाज़ आते जाते थे। इसका औसत आकार 214x36 मीटर एवं गहराई 3.3 मीटर है।
- इसके उत्तर में 12 मीटर चौड़ा एक प्रवेश द्वार निर्मित था। जिससे होकर जहाज़ आते-जाते थे और दक्षिण दीवार में अतिरिक्त जल के लिए निकास द्वार था।
- लोथल में गढ़ी और नगर दोनों एक ही रक्षा प्राचीर से घिरे हैं।
- अन्य अवशेषों में धान (चावल), फ़ारस की मुहरों एवं घोड़ों की लघु मृण्मूर्तियों के अवशेष प्राप्त हुए हैं।
- इसके अतिरिक्त अन्य अवशेषों में लोथल से प्राप्त एक मृदभांड पर एक विशेष चित्र उकेरा गया है जिस पर एक कौआ तथा एक लोमड़ी उत्कीर्ण है। इससे इसका साम्य पंचतंत्र की कथा चालाक लोमड़ी से किया गया है।
- यहाँ से उत्तर अवस्था की एक अग्निवेदी मिली है। नाव के आकार की दो मुहरें तथा लकड़ी का अन्नागार मिला है। अन्न पीसने की चक्की, हाथी दांत तथा पीस का पैमाना मिला है। यहाँ से एक छोटा सा दिशा मापक यंत्र भी मिला है। तांबे का पक्षी, बैल, खरगोश व कुत्ते की आकृतियां मिली है, जिसमें तांबे का कुत्ता उल्लेखनीय है।
- यहाँ बटन के आकार की एक मुद्रा मिली है। लोथल से 'मोसोपोटामिया' मूल की तीन बेलनाकार मुहरे मिली है। आटा पीसने के दो पाट मिले है जो पूरे सिन्धु का एक मात्र उदाहरण है।
- उत्खननों से लोथल की जो नगर-योजना और अन्य भौतिक वस्तुए प्रकाश में आई है उनसे लोथल एक लघु हड़प्पा या मोहनजोदाड़ो नगर प्रतीत होता है। सम्भवतः समुद्र के तट पर स्थित सिंधु-सभ्यता का यह स्थल पश्चिम एशिया के साथ व्यापार के दृष्टिकोण से सर्वात्तम स्थल था।
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वीथिका
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प्राक् हड़प्पा और हड़प्पा सभ्यता के पुरास्थल
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लोथल बस्ती और नगर की विश्व प्रसिद्ध संरचना, परिकल्पित चित्र
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लोथल बस्ती और नगर का प्रसिद्ध जल संसाधन तंत्र जो आज भी जस का तस है
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लोथल का मुख्य कुआं
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लोथल के पुरातत्व स्थल
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लोथल के पुरातत्व स्थल
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जल निकासी, लोथल
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लोथल के पुरातत्व स्थल
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लोथल के पुरातत्व स्थल
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मोती बनाने की भट्ठी, लोथल
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लोथल के पुरातत्व स्थल
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लोथल
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लोथल के पुरातत्व स्थल
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लोथल का प्राचीन कुआं
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लोथल के पुरातत्व स्थल
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लोथल के पुरातत्व स्थल
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लोथल
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लोथल के काल के अवशेष पानी के भीतर साफ़ देखे जा सकते हैं