"चण्डीगढ़": अवतरणों में अंतर
No edit summary |
No edit summary |
||
पंक्ति 10: | पंक्ति 10: | ||
|वर्षा=1110.7 | |वर्षा=1110.7 | ||
|अद्यतन=2010/05/03 | |अद्यतन=2010/05/03 | ||
|emblem=Chandigarh- seal.jpg | |||
}} | }} | ||
'''चण्डीगढ़ / Chandigarh'''<br /> | '''चण्डीगढ़ / Chandigarh'''<br /> |
05:29, 4 मई 2010 का अवतरण
चण्डीगढ़
| |
[[चित्र:|200px|center]]
| |
जनसंख्या | 900,635 |
· घनत्व | 7,900 /वर्ग किमी |
क्षेत्रफल | 114 |
· ग्रीष्म | 44 °C |
· शरद | 1 °C |
वर्षा | 1110.7 मिमी |
मुख्य पर्यटन स्थल | केपिटल कॉम्प्लेक्स, पिंजौर रॉक गार्डन, रोज़ गार्डन, सुखना झील |
लिंग अनुपात | 1000:777 ♂/♀ |
साक्षरता | 81.9% |
अद्यतन | 2010/05/03 |
चण्डीगढ़ / Chandigarh
स्थिति और भूगोल
उत्तर भारत का प्रमुख शहर चंडीगढ़ तीन ओर से पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश से लगा हुआ हैं। स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की कल्पना के इस शहर को मूर्त रूप देने का कार्य भार एक फ्रेंच आर्किटेक्ट ली कार्बूजिए को दिया गया था। कार्बूजिए ने जेनेरेट और मैक्सवेल व जेनड्रेन नामक दंपती के सहयोग से इस नगर का निर्माण किया। इसका नियोजन करते हुए इस बात का ध्यान रखा कि यहां आधुनिक युग की सभी सुविधाओं के साथ-साथ प्राचीन संस्कृति और परंपराएं भी हैं। यहां चौड़ी सपाट सड़कों पर प्राकृतिक सौंदर्य देखा जा सकता है। चंडीगढ़ आधुनिक शिल्पकला वैभव से संपन्न प्रदेश है। शिवालिक पहाडियों की नयनाभिराम तलहटी में बसा चंडीगढ़ वास्तविक अर्थों में एक खूबसूरत शहर है। फ्रांसीसी वास्तुशिल्पी 'ला कार्बूजिए' द्वारा निर्मित यह शहर आधुनिक स्थापत्य कला तथा नगर नियोजन का शानदार उदाहरण है। चंडीगढ़ और उसके आसपास के क्षेत्र को पहली नवंबर, 1966 को केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया। यह हरियाणा और पंजाब दोनों की राजधानी भी है। इसके उत्तर और पश्चिम में पंजाब तथा पूर्व और दक्षिण में हरियाणा है। इस शहर की खासियत है स्वच्छता। चंडीगढ़ के लोग खुद अपने शहर की सफाई के प्रति बहुत सतर्क रहते हैं। समुद्रतट से 365 मीटर की ऊंचाई पर स्थित 114 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैले सन 1953 में निर्मित इस शहर में कभी जनसंख्या इतनी कम थी कि सिर्फ सुबह 9.30 बजे और शाम पांच बजे कार्यालयों की छुट्टी के समय ही लाल बत्ती पर लोगबाग दिखते थे। बहुत ही शांत माना जाता है यह शहर। कई लोग तो इसे पत्थरों का शहर भी कहते हैं। उनका मानना है कि यह बसाया हुआ शहर है और इसकी कोई आत्मा नहीं है। इसके लोगों की आर्थिक स्थिति का अंदाज उनके रिहायशी इलाके से आंका जाता है। हर सेक्टर एबीसीडी चार भागों में विभक्त है। ए-बी अभिजात्य, सी मध्यम और डी निम्न मध्यमवर्गीय लोगों के लिए। मुगल शैली की भवन निर्माण कला का अध्ययन करने आए विदेशी पत्रकार कार्ल लुडगिस्ट चंडीगढ़ को एक नजर देखने के बाद अभिभूत रह गए थे।
चंडीगढ़ के चीफ कमिश्नर रह चुके स्व. एम.एस. रंधावा की फूलों और पेड़-पौधों में विशेष रुचि थी। उन्होंने सारे शहर में सड़कों के किनारे वीथियों पर अमलतास, गुलमोहर, सावनी, पोयनसंटिया, कचनार के पेड़ इस प्रकार लगवाए कि सड़कों के किनारे लगे ये पेड़ हर मौसम में फूलों से लदे दिखें और आते-जाते लोगों का झुककर स्वागत करें। यहां हर चौराहे को अत्यंत उत्कृष्ट सजावटी पौधों से इस प्रकार संवारा गया है कि पर्यटक शहर में कदम रखते ही सफर की थकान भूल जाते हैं।
जलवायु
यहां की जलवायु बहुत ही सुखद है। भीषण गर्मी में यहां सूती कपड़े और जींस आदि पहने हुए लोग देखे जा सकते हैं। सर्दियों के लिए गर्म मोजे, स्वेटर, जैकेट और शॉल पर्याप्त हैं।
प्रशासनिक व्यवस्था
चंडीगढ़ प्रशासन मुख्यत: चार उद्देश्यों को लेकर आगे बढ़ रहा है।
- इसका उद्देश्य सूचना और प्रौद्योगिकी मदद से सुगम और पारदर्शी प्रशासन देना है। यह सूचना अधिकार कानून के प्रावधानों को सबसे पहले लागू करने वाले राज्यों में से है। कई सेवाएं, जिनके लिए पहले लोगों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने पडते थे, अब कंप्यूटर और मोबाइल फोन पर उपलब्ध हैं। सारे नियमों की इस दृष्टि से समीक्षा की जाती है कि उन्हें किस प्रकार से सरल बनाया जाए जिससे वे आम आदमी के अनुकूल हो सकें।
- प्रशासन आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करके आर्थिक ज्ञान पर आधारित उद्योग, उच्चस्तरीय वाणिज्यिक कार्यकलाप जैसी अधिक मूल्यवर्द्धक सुविधाएं प्रदान विकास की उच्च दर प्राप्त करने के लिए काम कर रहा है। चंडीगढ़ में प्रति व्यक्ति आय पहले से ही देश में सबसे ज्यादा है और सरकार चाहती है कि उस आधार को सुधारा जाए।
- प्रशासन बिजली आपूर्ति, जल आपूर्ति, स्वास्थ्य और शिक्षा सेवा जैसी मूलभूत सेवाएं और सार्वजनिक परिवहन की ऐसी सेवाएं प्रदान करना चाहता है जो उन्नत देशों के मुकाबले की है।
- प्रशासन इस वास्तविकता के प्रति पूरी तरह सचेत है कि विकास का लाभ प्रत्येक व्यक्ति तक समान रूप से नहीं पहुंचता है। इसलिए इस बात पर विशेष जोर दिया जा रहा है कि विकास उन लोगों तक पहुचें जहां अभी तक नहीं पहुंच पाया है।
कृषि और सिंचाई व्यवस्था
चंडीगढ़ में कृषि योग्य बहुत कम है। चंडीगढ़ शहर के विस्तार के लिए कृषि भूमि धीरे-धीरे अधिग्रहीत की जा रही है और कृषि-क्षेत्र, जो 1966 में 5,441 हेक्टेयर था, 2002-03 में घटकर 1,400 हेक्टेयर रह गया है। सिंचाई का मुख्य स्रोत प्रशासन द्वारा स्थापित गहरे बोर वाले ट्यूबवैल तथा किसानों द्वारा लगाए गए साधारण ट्यूबवैल हैं। यहां की मुख्य फसल गेहूं है जो 700 हेक्टेयर में बोया जाता है। यहां के कृषि विभाग ने फसल कटाई की तकनीक को सुधारने के लिए निम्न उपाय किए हैं-
- किसानों का प्रशिक्षण
- बागवानी का विकास
- मृदा व जल संरक्षण।
- उद्योग
- प्रशासन द्वारा मोली जागरण गांव के राजस्व एस्टेट में औद्योगिक क्षेत्र के तीसरे चरण का विकास किया गया है। यहां 152 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया है।
- लगभग 17 साल के अंतराल के बाद चंडीगढ़ को सभी संघ राज्य क्षेत्रों के बीच रजत पदक प्रदान किया गया जो भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला, 2007, नई दिल्ली में राज्य के उत्कृष्ट प्रदर्शन हेतु दिया गया।
विद्युत व्यवस्था
- चंडीगढ़ को अपनी विद्युत आवश्यकताएं पूरी करने के लिए आस पास के राज्यों और केंद्रीय उत्पादन परियोजनाओं से बिजली मिलती है। भाखड़ा संकुल में कुल विद्युत उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी 3.5 प्रतिशत है।
- ताप नाभिकीय और गैस आधारित केंद्रीय उत्पादन परियोजनाओं से 82.9 मेगावॉट का ठोस आबंटन मिलता है। इस कमी को बी बी एम बी के अलावा केंद्रीय उत्पादन परियोजनाओं से तदर्थ आबंटन के माध्यम पूरा किया जा रहा है। शहर के आस पास सभी गांवों में बिजली है और सार्वजनिक रोशनी को विस्तारित किया गया है। विभिन्न सरकारी भवनों में लगभग 20,000 ऊर्जा सक्षम लैम्प लगाए गए हैं।
सूचना प्रौद्योगिकी
- चंडीगढ़ प्रशासन की दूरदर्शी परियोजना 'राजीव गांधी चंडीगढ़ टेक्नोलॉजी पार्क' (आर॰ जी॰ सी॰ टी॰ पी॰) का निर्माण कार्य पूरी गति से हो रहा है। इसके तीसरे चरण के पूरा होने पर 35000 व्यावसायिकों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा और इस प्रकार आर॰ जी॰ सी॰ टी॰ पी॰ के प्रत्यक्ष रोजगार की संख्या बढ़ कर 67000 हो जाएगी और इससे चंडीगढ़ में 2,00,000 अप्रत्यक्ष रोजगारों का सृजन होगा। आर॰ जी॰ सी॰ टी॰ पी॰ के उद्यमी विकास केन्द्र की स्थापना लगभग 1.5 एकड़ क्षेत्रफल में की जा रही है।
- सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग करने तथा जल समूह को अनुकूल सेवाएं देने के लिए चंडीगढ़ एक आदर्श राज्यबन गया है। ई शासन पहल के तहत विभाग द्वारा धानास, हुडाजासु, कैम बावाला, रायपुर ख़ुर्द, रायपुर कलां, माखनमाज़रा और बहलाना गांवों में सात अन्य ग्राम संपर्क केन्द्र 2007 के दौरान स्थापित किए गए हैं। गांव पनसोड़ा, दादूमाज़रा, हालो माज़रा, ख़ुदा अलीशेर, दरिया, मोली जागरण और मलोया में सात और 'ग्राम संपर्क केन्द्र' बनाए गए हैं।
- इन केन्द्रों के अतिरिक्त कुछ अन्य संपर्क केन्द्रों का प्रस्ताव है और नई सेवाएं जैसे बी॰ एस॰ एन॰ एल॰ बिलों का भुगतान, बिजली के बिल, पानी के बिल, एल॰ आई॰ सी॰ प्रीमियम का भुगतान, स्कूलों की फीस का भुगतान और नलकूप बुक करना है।
- प्रशासन ऊर्जा संरक्षण की दिशा में कार्यरत है। टाटा बी॰ पी॰ सोलर लि. को वनस्पति उद्यान में राज्य स्तरीय ऊर्जा पार्क बनाने का आदेश दिया गया है। सौर प्रकाश पहल के तहत गांवों की सभी स्ट्रीट लाइटों के स्थान पर सौर आधारित स्ट्रीट लाइटें लगा दी गई हैं।
उर्जा और बिजली
- संघ राज्य क्षेत्र के सभी निवासियों को पर्याप्त बिजली के प्रावधानों पर प्रशासन का ध्यान है। वॉल्टेज प्रोफाइल में सुधार लाने तथा संघ राज्य क्षेत्र के बिजली वितरण नेटवर्क पर लोड को कम करने के लिए विद्युत स्कंध में 80 एम॰ वी॰ ए॰ आर॰ स्वचालित केपेसिटर बैंक जोड़ने की योजना बनाई है जिसे संघ राज्य क्षेत्र के आस पास अलग अलग बिंदुओं पर विभिन्न मौजूदा 66 के॰ वी॰ ग्रिड सबस्टेशन पर लगाया जाएगा।
- सी॰ एफ॰ एल॰ का उपयोग सभी सरकारी भवनों के लिए अनिवार्य बनाया गया है। इसी प्रकार सभी संस्थागत भवनों में उनके संकुलों के अंदर पार्किंग स्थलों पर सौर प्रकाश प्रदान किया जाएगा।
- विद्युत विभाग ने वितरण की कमी के लक्ष्यों को 20.89 प्रतिशत से घटाकर 12.29 प्रतिशत कर दिया गया है। यह कमी लगभग 1.5 प्रतिशत है। अगले वर्ष में यह कमी 1.4 प्रतिशत तक कम करने के सभी प्रयास किए जा रहे हैं।
ग्रामीण विकास
- समाज के गरीब और कमजोर वर्गों को आगे बढ़ाने के लिए उनके अधिकारों के विषय में तथा राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण द्वारा उन्हें दिए जाने लाभों की जानकारी प्रदान करने के लिए 14 कानूनी जागरूकता गोष्ठियां संघ राज्य क्षेत्र के अलग अलग गांवों में आयोजित की गई हैं।
- गांव खजेरी और पलसोरा में सीमेंट, कंक्रीट, पेविंग और भूमिगत नालियां बनाने का कार्य पूरा कर लिया गया है। गांव मोली जागरण में 70 प्रतिशत कार्य पूरा हो गया है।
वाणिज्य और व्यापार
व्यापारियों के लिये अनुकूल वातावरण बनाने के उद्देश्य से सभी बड़े फैसले उनसे परामर्श करके लिए जाते हैं। चंडीगढ प्रशासन ने उत्पाद शुल्क नीति 2006-07 को लागू करने से पहले इस पर जनता की राय ली है। भारत सरकार के 'खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय' उत्पाद शुल्क तथा अन्य करों की चोरी की जांच करेगी और प्रशासन की राजस्व को बढाएगी।
- चंडीगढ केंद्रशासित प्रदेश में व्यावसायिक क्रियाओं को बढाने के लिए, एक व्यापार से दूसरे व्यापार में जाने वालों के लिए उदारीकरण की घोषणा की गई है। इस नीति के तहत व्यापारिक प्रतिष्ठानों के भूमि तल पर व्यापार बदलने की प्रक्रिया को नि:शुल्क करने की घोषणा की गई है। अब व्यापारिक परिसरों के भूमितल के व्यापारी बिना कोई शुल्क दिए अथवा आवेदन किए अपना व्यापार बदल सकते हैं।
खेलकूद और प्रतियोगिताएं
- प्रशासन ने सेक्टर 18 में 'बालिका हॉकी अकादमी' खोली है और जल्दी ही यह क्रिकेट तथा फुटबॉल के लिए बालिका अकादमी खोलने जा रहा है।
- प्रशासन द्वारा भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच 8 अक्तूबर 2007 को एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच का आयोजन सफलतापूर्वक किया गया और इसके लिए सेक्टर 16 के क्रिकेट स्टेडियम का विस्तार किया गया। *अंतरराष्ट्रीय स्तर की विभिन्न सुविधाएं और नवीनतम भूमि उपकरण यहां जोड़े गए हैं। एक नया एथलीट एवं फुटबॉल स्टेडियम सेक्टर 56 में आधुनिकतम सुविधाओं के साथ बनाया जाएगा, जिसमें 40 हजार दर्शकों के बैठने की जगह होगी और इसकी प्रक्रिया आरंभ हो गई है। बास्केटबॉल, वॉलीबॉल, जूड़ो तथा कुश्ती के लिए इन्डॉर प्रावधान इस स्टेडियम में प्रदान किए जाएंगे।
- वर्ष 2007 में चंडीगढ़ खेल परिषद द्वारा दो आंतरिक अकादमी गठित की गई जो हॉकी तथा क्रिकेट के लिए संघ राज्य क्षेत्र में उच्च वर्ग के प्रथम दर्जें के खिलाडियों को तैयार करने के लिए थीं। ठहरने और भोजन की व्यवस्था के साथ उनकी शिक्षा, खुराक, खेलने के सामान आदि की सभी सुविधाएं इन अकादमियों के प्रशिक्षुओं को मुफ्त प्रदान की जा रही हैं।
सामाजिक कल्याण
- सामाजिक कल्याण प्रशासन का एक मुख्य उद्देश्य रहा है। अनेक जन अनुकूल योजनाएं प्रशासन द्वारा आरंभ की गई हैं। जातिगत भेदभाव की संकीर्णता को मिटाने के लिए तथा अंतर्जातीय विवाह को बढ़ावा देने के लिए विवाहित जोड़ो को 5000 की राशि दी जाती है, जिनमें से यदि एक अनुसूचित जाति समुदाय का सदस्य हो तो प्रशासन यह राशि बढ़ाकर 50,000 रु. कर देता है।
- बालिका समृद्धि योजना के तहत गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों में जन्म लेने वाली बालिका को 500 रु. दिए जाते हैं। चंडीगढ़ प्रशासन ने विशेष आवश्यकताओं वाले 50 बच्चों के लिए एक विद्यालय स्थापित करने का निर्णय लिया है जो प्रयास भवन, सेक्टर 37 के परिसर में चलाया जाएगा। वार्षिक योजना 2008 – 09 में उपकरण तथा अन्य व्यय के लिए 14 लाख रु. व्यय करने का प्रस्ताव है।
- मलोया में निराश्रित बच्चों के लिए 900 बच्चों हेतु प्रशिक्षण प्रदान करने की क्षमता के साथ व्यावसायिक प्रशिक्षण केन्द्र निर्माणाधीन है। प्रशासन ने बाल हेल्पलाइन स्थापित की है।
स्वास्थ्य सेवाएं
- शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय और अस्पताल, सैक्टर 32 आधुनिकतम सुविधाओं के साथ दूरस्थ चिकित्सा परियोजना आरंभ की गई। इसका लक्ष्य पी॰ जी॰ आई॰ के विशेषज्ञता प्राप्त डॉक्टरों की विशेषज्ञ सलाह का लाभ उठाने के लिए जरूरतमंद लोगों को सहायता प्रदान करना तथा उन्हें उच्च गुणवत्ता चिकित्सा सेवाएं देना है।
- शासकीय बहु विशेषज्ञता अस्पताल (जी॰एम॰ एस॰ एच॰), सैक्टर 16 में आपातकालीन ऑपरेशन थियेटर सहित 28 बिस्तरों वाली एक इकाई जोड़कर उन्नत बनाया गया है।
- प्रशासन ने प्रत्येक मां और बच्चा 5273 रु. की लागत पर संघ राज्य क्षेत्र में प्रजनन और बाल स्वास्थ्य के निगरानी योग्य सूचकांकों में सुधार के लिए परियोजना आरंभ की है।
- शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय और अस्पताल, चंडीगढ़ में पूर्व एनेस्थिसिया और पश्चात एनेस्थिसिया कक्षों और ऑपरेशन पश्चात के वॉर्ड सहित सात ऑपरेशन कक्ष स्थापित किए गए। मानसिक रूप से मंद व्यक्तियों के लिए एक आवासीय गृह ‘समर्थ’ भी सेक्टर 15, चंडीगढ़ में बनाया गया है। जी॰ एम॰ सी॰ एच॰ के कर्मचारियों को रहने के लिए लगभग 5.6 करोड़ रु. की विशाल राशि स्वीकृत की गई है।
शिक्षा
- चंडीगढ़ प्रशासन अपनी विश्वस्तरीय परियोजना के साथ बहु संस्थागत चंडीगढ़ शिक्षा शहर जो 130 एकड़ क्षेत्रफल में सारंगपुर में बनाया जा रहा है।
- प्रशासन ने सामान्य श्रेणी की बालिकाओं के लिए उपस्थिति छात्रवृत्ति 30 रु. प्रति माह से बढ़ाकर 250 रु. की है। यह छात्रवृत्ति कक्षा 1 से कक्षा 5 के लिए है।
- अनु. जाति के लड़कों और लड़कियों के बीच नामांकन और शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन ने कक्षा 1 से कक्षा 8 में पढ़ने वाले अनु. जाति के छात्रों को उपस्थिति छात्रवृत्ति को 6 से 14 वर्ष के आयु समूह में 30 रु. प्रति माह से बढ़ाकर 250 रु. करने का निर्णय लिया है।
- कक्षा 9 से 12वीं के अनु. जाति / अनु. जनजाति विद्यार्थियों की स्कालरशिप बढ़ाई जाएगी।
- चंडीगढ़ प्रशासन ने मुस्लिम, ईसाई, अन्य पिछड़े वर्गों, विकलांगों, स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों, पूर्व-सैनिकों, विधवाओं और तलाकशुदा महिलाओं के बच्चों को ट्यूशन शुल्क से छूट दी है जिनकी आय 1.5 लाख रु. प्रति वर्ष से कम है। *अल्प आय वर्गों और झुग्गियों में रहने वाले परिवारों के बच्चों को प्रोत्साहन 250 रु. प्रति माह ताकि उन बच्चों के नए नामांकन किए जा सकें जो अभी तक कहीं पढ़ाई नहीं कर रहे हैं।
प्रशासन
- चंडीगढ़ प्रशासन संविधान की धारा 239 के अंतर्गत नियुक्त किये गए प्रशासक के अधीन कार्यरत है।
- शहर का प्रशासनिक नियंत्रण भारत सरकार के गृह मंत्रालय के पास है।
- वर्तमान में पंजाब के राज्यपाल ही चंडीगढ के प्रशासक होते हैं।
- प्रशासक का सलाहकार एक अखिल भारतीय सेवाओं से नियुक्त अति-वरिष्ठ अधिकारी होता है। ये अधिकारी प्रशासक के बाद सर्वे-सर्वा होता है। इस अधिकारी का स्तर भारतीय प्रशासनिक सेवा में ए.जी.एम.यू कैडर का होता है।
- उपायुक्त: भारतीय प्रशासनिक सेवा का अधिकारी जो चंडीगढ़ के सामान्य प्रशासन की देखरेख करता है।
- वन उपसंरक्षक, भारतीय वन सेवा का अधिकारी है, जो वन्य प्रबंधन, पर्यावरण, वन्य-जीवन एवं प्रदूषण नियंत्रण के लिए उत्तरदायी होता है।
- वरिष्ठ अधीक्षक (पुलिस), भारतीय पुलिस सेवा का अधिकारी, जो शहर में विधि एवं न्याय व्यवस्था बनाये रखने एवं संबंधित विषयों के लिए उत्तरदायी होता है।
- उपरोक्त तीनों अधिकारी अखिल भारतीय सेवाओं के ए.जी.एम.यू, हरियाणा या पंजाब कैडर से होते हैं।
परिवहन
- चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा मास रेपिड परिवहन प्रणाली को शीघ्र ही आरंभ करने का निर्णय लिया गया है ताकि परिवहन प्रणाली को प्रयोक्ता अनुकूल बनाया जा सके। संघ राज्य प्रशासन और पंजाब तथा हरियाणा की राज्य सरकारें परियोजना के कार्यान्वयन में एक साथ कार्य कर रही हैं।
- प्रशासन द्वारा शीघ्र ही वातानुकूलित और डबल डेकर बसों को शहर में लाया जाएगा। वर्ष 2007-08 के दौरान 85 बसें खरीदी और सड़कों पर लाई गई हैं।
- सी॰टी॰यू॰ ने अपनी 70 प्रतिशत कार्यशैली का कम्प्यूटरीकरण किया है और अब यह आगे कम्प्यूटरीकरण की प्रक्रिया में है। उपक्रम द्वारा चरण गत रूप से अपने बेड़े की निगरानी के लिए एक ग्लोबल पॉजीशनिंग प्रणाली स्थापित करने की प्रक्रिया भी की जा रही है। आई॰एस॰बी॰टी॰ सेक्टर 43 के पहले चरण ने काम करना आरंभ कर दिया है और इसका दूसरा चरण इस वर्ष के अगले दौर में पूरा हो जाने की आशा है।
- चंडीगढ़ एयरपोर्ट सिटी सेंटर से करीब 11 किमी. की दूरी पर है। देश के प्रमुख शहरों से यहां के लिए नियमित फ्लाइटें हैं।
- चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन सिटी सेंटर से करीब 8 किमी. दूर सेक्टर 17 में स्थित है। यह रेलवे स्टेशन शहर को देश के अन्य हिस्सों से रेलमार्ग द्वारा जोड़ता है। दिल्ली से यहां के लिए प्रतिदिन ट्रेने हैं।
- राष्ट्रीय राजमार्ग 21 और 22 चंडीगढ़ को देश के अन्य हिस्सों से सड़क मार्ग द्वारा जोड़ते हैं। दिल्ली, जयपुर, शिमला, कुल्लू, कसौली, मनाली, अमृतसर, जालंधर, लुधियाना, हरिद्वार, देहरादून आदि शहरों से यहां के लिए नियमित बस सेवाएं हैं।
आवास योजना
- चंडीगढ़ आवास मंडल अनेक परियोजनाओं पर कार्यरत है। यह मंडल ‘चंडीगढ़ छोटे घर की योजना-2006' के कार्यान्वयन के लिए एक नोडल एजेंसी होने के नाते वर्ष के दौरान 25,728 एक कमरे वाले घर निर्मित करने के कार्यान्वयन की प्रक्रिया को अंतिम रूप दे रहा है। जो दो चरणों में पूरा किया जाएगा। इस योजना के तहत सेक्टर 49 में 1024 फ्लेट और सेक्टर 38 (पश्चिम) में 1120 फ्लेट बनाने का कार्य पहले ही आरंभ किया जा चुका है। इसी प्रकार शेष 6 स्थानों का निर्माण का कार्य आने वाले समय में आरंभ किया जाएगा।
- मंडल ने वर्ष के दौरान 56 सेक्टर में 326 प्री फैब शेल्टर निर्मित किए हैं जो शहर में कचरा बिनने वाले लोगों के लिए आबंटित किए जाने हैं। सेक्टर -49 में 400 ईडब्ल्यूएस घर तथा सेक्टर-38 (पश्चिम) में 288 घर इस योजना के तहत बनाए जा रहे है और इनके फरवरी, 2009 तक पूरा हो जाने की उम्मीद है।
- मंडल द्वारा प्रशासन के कर्मचारियों को रिहायशी इकाइयों के आबंटन के लिए मंडल द्वारा एक विशेष स्वयं निधिकरण आवास योजना आरंभ की गई है, जिसे सेक्टर-52 और 56 में 45.5 एकड़ भूमि पर निर्मित किया जाएगा। अगले 3 वर्षों के दौरान सेवानिवृत्ति होने वाले कर्मचारियों के लिए तथा पिछले 3 वर्षों में सेवानिवृत्त हो चुके कर्मचरियों के लिए 5% आवास आरक्षित किए गए हैं। शारीरिक विकलांग व्यक्तियों के लिए 3% घर आरक्षित किए गए है।
- सेक्टर 26 (पूर्व) मद्रासी कॉलोनी में झुग्गी झोंपडियों में रहने वाले लोगों द्वारा खाली की गई भूमि की उपयोगिता के लिए एक कदम के रूप में मंडल ने इस क्षेत्र में 160 ई॰डब्ल्यू॰एस॰ घरों का निर्माण शुरू किया है। यह कार्य मार्च 2009 में पूरा होने की उम्मीद है।
- एक कमरे वाले 256 और दो कमरों वाले 208 घरों का निर्माण प्रगति पर है और जून 2008 तक इसके पूरा हो जाने की आशा है। 400 ईडब्ल्यूएस और 288 ईडब्ल्यूएस घरों का निर्माण मार्च 09 तक पूरा होने की आशा है।
नगर निगम
- चंडीगढ़ नगर निगम ने 28 करोड़ रु. की लागत से डिगियन में मल जल उपचार संयंत्र का उन्नयन किया है। नगर निगम को पानी की आपूर्ति तथा सीवेज / ड्रेनेज सेवाओं में प्रथम पुरस्कार भारत सरकार की ओर से दिया गया, जिसे भारत के प्रधानमंत्री ने प्रदान किया।
- पानी की आपूर्ति पर नजर और निगरानी रखने के लिए 700 करोड़ रु. की लागत से पर्यवेक्षण नियंत्रण रखने के लिए 700 करोड़ रु. की लागत से एक आंकड़ा अधिग्रहण प्रणाली लगाई गई है। इससे बिजली की खपत में कमी आएगी और प्रति वर्ष प्रचालन तथा अनुरक्षण लागत में 3 करोड़ रु. की बचत होगी।
- पीने के पानी की बचत और दृश्यावली के लिए अतिरिक्त पानी हेतु छत्तीस करोड़ रु. की परियोजना ली गई है। इस परियोजना से 10 एमजीबी तृतीयक जल का उत्पादन किया जाएगा। सेक्टर 15 में मौजूदा धोबी घाट को स्वचालित लॉन्ड्री माट में बदल दिया गया है, जो भारत में अपने प्रकार का एक अनोखा है।
- शहर की सुंदरता को बढ़ाने के लिए पर्यावरण का और भी उन्नयन किया गया है। नगर निगम में 30.00 करोड़ रु. की लागत से 10 एकड़ भूमि में दादू माजरा में एक ठोस अपशिष्ट प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित किया है।
पर्यटन
केपिटल कॉम्प्लेक्स
इस परिसर में हरियाणा और पंजाब के अनेक प्रशासनिक भवन हैं। विधानसभा, उच्च न्यायालय और सचिवालय आदि इमारतें यहां हैं। यह परिसर समकालीन वास्तुशिल्प का एक बहुत सुन्दर उदाहरण है। यहां का ओपन हैंड स्मारक कला का उत्तम नमूना है।
पिंजौर रॉक गार्डन
चंडीगढ़ आने वाले पर्यटकों को रॉक गार्डन अवश्य देखना चाहिए। इस गार्डन का निर्माण श्री नेकचंद ने किया था। इसे बनवाने में औद्योगिक और शहरी कचरे का इस्तेमाल किया गया है। पर्यटकों के लिए यहाँ मूर्तियों, मंदिरों, महलों आदि का आकर्षण है। हर साल इस उद्यान को देखने हजारों पर्यटक आते हैं। उद्यान में झरनों और जलकुंड के अलावा ओपॅन एयर थियेटर भी देखा जा सकता, जहां अनेक प्रकार की सांस्कृतिक गतिविधियां होती हैं।
रोज़ गार्डन
'जाकिर हुसैन रोज गार्डन' के नाम से विख्यात यह उद्यान एशिया का सबसे बड़ा रोज़ गार्डन है। यहां गुलाब की 1600 से भी अधिक किस्में हैं। उद्यान को बहुत सुन्दरता से डिजाइन किया गया है। अनेक प्रकार के रंगीन फव्वारे इसकी सुंदरता को बढ़ाते हैं। हर साल यहां गुलाब पर्व आयोजित होता है। श्री रंधावा ने ही चीफ इंजीनियर और आर्किटेक्ट के साथ मिलकर इस रोज गार्डन को ऐसा रूप दिया कि यह गार्डन एक घाटी का आभास देता है। अब यह सुबह की सैर के लिए बेहतरीन सैरगाह है। रोज गार्डन में हर वर्ष रोज़ फेस्टिवल नाम से एक भव्य मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें सांस्कृतिक संध्या के अतिरिक्त दिन भर रोज़ मेले में बच्चों के लिए मिस रोज़, मिस्टर रोज़ और विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। प्रतिवर्ष लगने वाले इस रोज़ फेस्टिवल में आने वाले 40 हजार से अधिक लोगों के उत्साह को देखकर फूलों और बागों के प्रति चंडीगढ़वासियों के प्रेम को समझा जा सकता है।
सुखना झील
यह मानव निर्मित झील 3 वर्ग किमी. के क्षेत्र में है। इसका निर्माण 1958 में हुआ था। अनेक प्रवासी पक्षियों का यहां आना होता है। झील में बोटिंग का आनंद लेते समय दूर-दूर फैली पहाड़ियों के सुंदर नज़ारों के साथ-साथ सूर्यास्त का नज़ारा भी यहां बड़ा मनमोहक दिखाई देता है।
कार्बूजिए ने शिवालिक की पहाडि़यों के दामन में बहते बरसाती बड़े नदी जैसे चौ पलाली का रो (नाला) और सुखना चौ पर इस प्रकार बांध बनाया जिससे बरसाती पानी शहर में न फैले। उस बांध पर चालीस फुट का एक पैदल रास्ता बनाया गया। इसके चारों ओर पेड़-पौधों को बड़ी संख्या में लगाया गया है। यहां कटावदार सीढि़यां हैं किन्तु यह आम रास्ता नहीं है। यह उम्दा और खूबसूरत सैरगाह है जो नगरवासियों के साथ-साथ पर्यटकों के लिए भी यह आकर्षण का केंद्र है।
इस प्रकार सेक्टरों में बंटे चंडीगढ़ नगर के पहले सेक्टर का निर्माण हुआ जो एक झील के नाम से विख्यात हुआ। शहर के प्रमुख टाउन प्लानर नरेन्द्र सिंह लांबा और चीफ इंजीनियर जे.सी. वर्मा ने सुखना झील को इस प्रकार बनवाया कि यह चंडीगढ़ के निवासियों की मनपसंद सैरगाह बन गयी। आज भी सुबह-शाम के समय यहां लोगों को सैर करते देखा जा सकता है।
सन 1958 में बनी तीन कि॰मी॰ लंबी इस झील के आसपास 2452 हेक्टेयर जमीन पर पेड़-पौधों की हरियाली है कि डूबते सूर्य और उमड़ते- घुमड़ते बादलों के झुरमुट को पर्यटक अपने कैमरे में क़ैद कर लेने को सदैव तत्पर रहते हैं।
आम फेस्टिवल
सुखना झील पर हर वर्ष आम फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है। कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन के अलावा सावन की तीज के झूले भी यहां पड़ते हैं। चंडीगढ़ आने वाले पर्यटकों का यह सर्वाधिक प्रिय स्थल है। सायबेरियन पक्षियों की सर्दियों की शरणस्थली सुखना झील में मोटरबोटिंग की सख्त मनाही है, लेकिन नौका विहार, स्कीइंग और पानी के अन्य खेल यहां खेले जा सकते हैं।
लेजर वैली
सेक्टर-10 में 20 एकड़ भूमि में फैली है यह घाटी। यहां वोगनवेला की 3000 से भी अधिक किस्में देखी जा सकती हैं। यहां हर वर्ष वोगनविला शो का आयोजन भी किया जाता है। सेक्टर 10 में ही स्थित गवर्नमेंट म्यूजियम और आर्ट गैलरी भी यहां आने वाले पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। इस म्यूज़ियम में गांधार शैली की बौद्धकालीन प्रतिमाओं के अलावा राजपुर, कांगड़ा, पहाड़ी और मुगल शैली की कलाकृतियां भी देखी जा सकती हैं।
बॉटेनिकल गार्डेन
सुखना झील और रॉक गार्डन के बीचोबीच 88 एकड़ भूमि पर बना है वनस्पति जगत का यह अनुपम गार्डन जो पेड़-पौधों में रुचि रखने वालों के लिए अच्छा पर्यटन स्थल है।
रॉक गार्डन
सेक्टर एक में मौजूद यह गार्डन एक व्यक्ति के एकल प्रयास का अनुपम और उत्कृष्ट नमूना है, जो दुनिया भर में अपने अनूठे उपक्रम के लिए बहुत सराहा गया है। रॉक गार्डन के निर्माता नेकचंद एक कर्मचारी थे जो दिन भर साइकिल पर बेकार पड़ी टयूब लाइट्स, टूटी-फूटी चूडि़यों, प्लेट, चीनी के कप, फ्लश की सीट, बोतल के ढक्कन व किसी भी बेकार फेंकी गई वस्तुओं को बीनते रहते और उन्हें यहां सेक्टर एक में इकट्ठा करते रहते। धीरे-धीरे फुर्सत के क्षणों में लोगों द्वारा फेंकी गई फालतू चीजों से ही उन्होंने ऐसी उत्कृष्ट आकृतियों का निर्माण किया कि देखने वाले दंग रह गए। नेकचंद के रॉक गार्डन की कीर्ति अब देश-विदेश के कलाप्रेमियों के दिलों में घर कर चुकी है।
संग्रहालय
चंडीगढ़ में अनेक संग्रहालय हैं। यहां का सरकारी संग्रहालय और कला दीर्घा में गांधार शैली की अनेक मूर्तियों का संग्रह है। यह मूर्तियां बौद्ध काल से संबंधित हैं। संग्रहालय में अनेक लघु चित्रों और प्रागैतिहासिक कालीन जीवाश्म को भी रखा गया है। अन्तर्राष्ट्रीय डॉल्स म्युजियम में दुनिया भर की गुडियाओं और कठपुतियों को रखा गया है।
सुखना वन्यजीव अभ्यारण्य
लगभग 2600 हेक्टेयर में फैले इस अभ्यारण्य में बड़ी संख्या में वन्यजीव और वनस्पतियां पाई जाती हैं। मूल रूप से यहां पाए जाने वाले जानवरों में बंदर, खरगोश, गिलहरी, साही, सांभर, भेड़िए, जंगली सूकर, जंगली बिल्ली आदि शामिल हैं। इसके अलावा सरीसृपों की अनेक प्रजातियां यहां हैं। अभ्यारण्य में पक्षियों की विविध प्रजातियों भी पायी जाती है।
चंडिका देवी
शक्ति की देवी चंडिका देवी का मंदिर जो कालका-चंडीगढ़ मार्ग पर स्थित है, हिंदुओं की प्रिय धर्मस्थली है।