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- व्यास के एक शिष्य का नाम जो ऋग्वेद के आचार्य थे[1]। इन्हें ऋग्वेद की शिक्षा दी गयी थी। इन्होंने इंद्रप्रमिति तथा बाष्कल को इसकी शिक्षा दी[2]। इन्हें युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में निमंत्रित किया गया था[3]। यह 86 श्रुतर्षियों में से एक श्रुतर्षि थे[4]। इन्होंने अपने पाठ्य विषय के दो भाग कर अपने उपर्युक्त शिष्यों को दिये[5]।
- शाकवैण रथीतर के चार शिष्यों में से एक शिष्य[6]।
- एक भार्गव गोत्रकार ऋषि[7]।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भागवत पुराण 1.4.21; 9.22.22; वायु पुराण 60.13; 108.42; विष्णु पुराण 3,4.8)
- ↑ भागवत पुराण 12.6.36, 52, 54; ब्रह्म पुराण 34.13; विष्णु पुराण 3.4.16)
- ↑ भागवत पुराण 10.74.8)
- ↑ ब्रह्म पुराण 2.33.2)
- ↑ वायु पुराण 60.19, 24-38)
- ↑ ब्रह्म पुराण 2.35.4)
- ↑ मत्स्यपुराण195. 18;196.18)